शादी का सीज़न आ गया है। किसी के घर में शहनाई बजेगी तो किसी के घर से डोली उठेगी। बुकिंग हॉल फुल तो पहले से ही हो गए थे, अब केवल तैयारियां शुरू होने को बाकी हैं जो शादी के एक-दो दिन पहले शुरू हो जाते हैं।
लेकिन इन तैयारियों के बीच कुछ अन्य तरह की तैयारियां भी शुरू होती हैं। कुछ ही जगहों में ही सही, लेकिन शुरू जरूर होती हैं।
ये तैयारियां हैं "दुल्हन खरीदने की, जो राजस्थान में होती हैं, वो भी लड़कियों के मां-बाप की सहमित से।"
कम है लड़कियां यहां
ऐसा लड़कियों की संख्या कम होने की वजह से होता है। सबको मालुम है कि देश में लड़कियों की जनसंख्या लड़कों की तुलना में कम है। कुछ राज्यों में तो ये काफी कम है। अब ये सरकार की अनदेखी हो या समाज की, भुगतान तो हमेशा हम लड़कियों को ही करना पड़ेगा। खैर... इसके बारे में कभी और बात करते हैं। आज हम बात करने वाले हैं राजस्थान की, जहां कुंवारे लड़कों को शादी के लिए दुल्हन नहीं मिलती इसलिए वे दुल्हन खरीद कर शादी करते हैं।
(कुंवारे केवल बोलने के लिए होते हैं, कोई लड़का कभी कुंवारा हो सकता है क्या?)
हरियाणा के भी कई इलाके लड़कियों की कम संख्या की समस्या से ग्रस्त हैं। लेकिन राजस्थान के युवाओं के पास दुल्हन खरीदने का ऑप्शन है।(क्योंकि उनके पास पैसे हैं।) इसलिए वे आसानी से एक फिक्स रेट में जो 50 हज़ार से 1 लाख रुपये तय है, देकर अपने लिए दुल्हन ख़रीदते हैं।
जोरों पर है ये चलन
आजकल ये चलन राजस्थान के गांवों और अर्ध-शहरी इलाक़ों में ज़ोरों पर है। इन इलाकों में कोटा, बूंदी, झालावर और बारां ज़िले आते हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि इस ख़रीद-फ़रोख़्त में समृद्ध जातियां भी शामिल हैं। indiatimes में 13 जुलाई 2017 को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार ये चलन माहेश्वरी, बनिया, जैन और ब्राहम्ण जैसी जातियां भी अपना रही हैं।
यहां से लाई जा रही हैं दुल्हन
बिना डरे हुए एक mediator ने India Times को बताया कि,
'बिना किसी खतरे के आसानी से 50 हज़ार से 1 लाख रुपये में दुल्हन मिल जाती है। ये शादियां गैरकानूनी भी नहीं है क्योंकि ये शादी दोनों ही तरफ के घरवालों की मर्ज़ी से होती है।'
साथ ही mediator ने दुल्हनों के बारे में बताते हुए कहा कि,
'ज़्यादातर दुल्हनें मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार से लाई जाती हैं। हां, कई बार राजस्थान की भी दुल्हनें खरीदी जा सकती हैं। '
ये ऊपर दिए गए सारे राज्य गरीब राज्य हैं। तो दुल्हन भी इन राज्यों के गरीब घरों से ही खरीदी जाती होंगी। शायद लड़कियां बोझ बन जाए इससे पहले मां-बाप भी इन्हें बेचना ही पसंद करते होंगे।
अतुल्नीय भारत
कहां तो एक तरफ देश में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', 'सुकन्या समृद्धि योजना' और 'सेल्फ़ी विड डॉटर' जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं और वहीं दूसरी तरफ दुल्हनों की खरीद-बिक्री चल रही है।
इसे कहते हैं, अतुल्नीय भारत। Incredible India.
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