क्या आप जानते हैं ओडिशा के इस गांव के बारे में, जहां नहीं है दहेज़ लेने की प्रथा

भारत के ओडिशा में एक ऐसा गांव हैं जिसमें लड़कियों को लड़कों की तुलना में ज्यादा अहमियत दी जाती है। आइए जानें इसके बारे में। 

no dowry village main

भारत में दहेज़ प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है कभी लोग खुले आम दहेज़ की मांग करते हैं, तो कभी किसी अलग ढंग से दहेज़ लिया जाता है। शायद यही वजह है कि आज भी जब घर में लड़के का जन्म होता है तब जश्न मनाया जाता है और लड़की के जन्म के समय माता-पिता के चेहरे पर उसके जन्म की ख़ुशी के साथ शादी की चिंता की लकीरें भी नज़र आने लगती हैं। लेकिन भारत में ही ओडिशा का एक ऐसा गाँव है माझिपारा जहां बच्ची के जन्म के समय खुशियां तो मनाई ही जाती हैं जिसमें माँ को नए कपड़े, मिठाई और अनाज उपहार में दिया जाता है। बच्ची को सभी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पूरे दिन घर के बाहर दावत होती है। आइए जानें इस गांव की खासियत के बारे में।

ले सकते हैं इस गांव से सीख

no dowry village

हमारा देश भारत दुनिया में सबसे अधिक कन्या भ्रूण हत्या के मामलों का गवाह है इसलिए हम सभी ओडिशा के इस छोटे से गांव माझिपारा से सीख सकते हैं।अंगुल में सतकोसिया के घने जंगलों के भीतर स्थित माझिपारा के आदिवासी, बालिकाओं को एक आशीर्वाद मानते हैं और बच्ची का जन्म आशीर्वाद माना जाता है। भारत में सबसे ज्यादा चलन में आने वाली दहेज़ प्रथा इस गांव से कोसों दूर है।

मनाया गया लड़की के जन्म पर जश्न

अभी कुछ ही दिनों पहले मांझीपुर की 23 वर्षीय स्नेहा जानी ने बच्ची को जन्म दिया था और पूरे गांव में ख़ुशी की लहार दौड़ उठी थी। यकीनन अंगुल में सतकोसिया के घने जंगलों के भीतर स्थित मझिपारा के आदिवासी निवासियों के लिए, एक बालिका भगवान का आशीर्वाद स्वरुप है।

नहीं लिया जाता है लड़की के परिवार से दहेज़

dowry system

माझीपुरा गांव में दहेज मौजूद नहीं है। वास्तव में यहां दूल्हे का परिवार दुल्हन को उपहार भेजता है। वास्तव में ये एक ऐसी जगह है जहां की इस प्रथा को आदर्श मानकर पूरे देश के लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए और दहेज़ प्रथा को ख़त्म करना चाहिए।

इसे जरूर पढ़ें: भारतीय शादी की कुछ ऐसी रस्में जो इसे बनाती हैं औरों से जुदा

सरकार ने किये कई प्रयास

सरकार ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में जो पिछड़ रहे हैं, लिंगानुपात में सुधार के प्रयास किए हैं । "मो गेल्हा झिया" कार्यक्रम के तहत, जिला प्रशासन गंजम जिले में जन्मी हर लड़की का जन्मदिन मनाता है। एक निश्चित तिथि पर, छात्राओं के साथ अधिकारियों ने नवजात शिशु के घर का दौरा किया। लड़की और उसके माता-पिता को एक बेबी किट, फूलों का गुलदस्ता, मिठाई और प्रमाण पत्र दिया जाता है। इसके अलावा, सुकन्या समृद्धि योजना के तहत नवजात के नाम पर एक बैंक खाता खोला जाता है।

वास्तव में ये एक ऐसी जगह है जिससे सभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है और दहेज़ प्रथा को पूरी तरह हटाने की जरूरत है जिससे लड़कियों को बोझ न समझा जाए।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik

Recommended Video

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP