Period Custom: पीरियड्स भले ही एक नेचुरल प्रोसेस हो, लेकिन इसे अंधविश्वास से लेकर बुरी किस्मत तक से जोड़कर देखा जाता आ रहा है। यही कारण है कि दुनियाभर में इससे जुड़े कई रीति-रिवाज बनाए गए हैं।
ऐसा ही एक देश है नेपाल। भले ही आज हम 21वीं सदी में पहुंच गए हैं, जहां टेक्नोलॉजी और साइंस ने खूब तरक्की कर ली है, लेकिन इसके बावजूद भी हम आज भी रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देते हैं।
नेपाल में भी पीरियड्स से जुड़ी चौपाड़ी प्रथा निभाई जाती है। चलिए जानते हैं क्या है इस प्रथा के बारे में।
चौपाड़ी प्रथा (What Is Chhaupadi Tradition)
नेपाल में पीरियड्स के दौरान लड़कियों को अलग करके रखा जाता है। उन्हें एक झोपड़ी या जानवरों को रखे जाने वाले बाड़े में रखा जाता है।
इस दौरान उन्हें किसी से मिलने की मनाही होती है। खासतौर पर पुरूष और भगवान की मूर्तियों को उन्हें छूने नहीं दिया जाता है। नेपाल के अन्य राज्यों जैसे अछाम में 'चौपड़ी' और बझांग जिले में 'चौकुल्ला' या 'चौकुडी' भी कहा जाता है।
इसके अलावा इसे ददेलधुरा, बैताडी और दारचुला में छुए और बहिरहुनु के नाम से भी जाना जाता है।
प्रथा के पीछे की कहानी
नेपाल के पश्चिमी भाग से चौपाड़ी शब्द की उत्पति हुई है। यह प्रथा अंधविश्वास का ही एक प्रमाण है, जिससे जुड़ा एक मिथ है कि भगवान इंद्र ने पीरियड्स को श्राप के रूप में बनाया था।
इसलिए इस दौरान नेपाल में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अशुद्ध माना जाता है। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।
माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान जब कोई महिला पेड़ को छू लेती है तो पेड़ में फल देने बंद कर देता है। पुरुष को छूने से उन्हें रोग हो सकता है।
बुरी किस्मत से जोड़ा जाता है (Period Myths)
इस दौरान महिलाओं को अलग करके रखने का एक कारण था कि वह अपने परिवार के लिए बुरी किस्मत का कारण बनता है और इससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
प्रथा पर लगाया जा चुका है प्रतिबंध (Is Chhaupadi Tradition Is Legal)
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साल 2005 में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रथा पर बैन लगा दिया गया था। इसके बाद साल 2017 में कानून पारित हुआ कि अगर पीरियड्स के दौरान कोई महिला को ऐसा करने पर मजबूर करता है तो उसे 3 महीने की जेल होगी और 3000 नेपाली रूपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। (जानें शादी से जुड़े अजीब रिवाज)
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पीरियड्स से जुड़े अन्य रिवाज ( Periods Related Tradition)
- भारत के ऐसे कई राज्य हैं, जहां पीरियड्स से जुड़ी रस्में निभाई जाती हैं। तमिलनाडु में पीरियड्स से संबंधित इस रिवाज को 'मंजल निरातु विज़ा'के नाम से जाना जाता है।
- असम में 'तुलोनिया बिया' रिवाज निभाया जाता है, जिसमें लड़कियों को करीब 7 दिन तक अलग करके रखा जाता था।
- पुराने समय में पीरियड्स के कपड़े को फेंकने की बजाय दफनाया जाता है। माना जाता था कि इससे बुरी आत्माएं आकर्षित होती हैं। इस कपड़े को काला जादू करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था।
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