Durvasa Rishi: बात-बात पर क्रोध करने वाले दुर्वासा ऋषि का कैसे हुआ महादेव द्वारा जन्म

आज हम आपको महर्षि दुर्वासा के जन्म से जुड़ी बड़ी ही रोचक कथा बताने जा रहे हैं। 

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Durvasa Rishi: हिन्दू धर्म ग्रंथों में कई महान ऋषियों का उल्लेख मिलता है। उन्हीं में से एक थे दुर्वासा ऋषि। दुर्वासा ऋषि न सिर्फ ज्ञानी थे अपितु अत्यंत क्रोधी भी थे। दुर्वासा ऋषि को उनके भयंकर क्रोध के लिए जाना जाता है। महादेव से लेकर देवराज इंद्र तक ऐसे कोई भी देवी या देवता न थे जो दुर्वासा ऋषि के गुस्से के भागी न बने हों।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको दुर्वासा ऋषि के जन्म से जुड़ी एक बेहद ही रोचक कथा बताने जा रहे हैं जिसका सीधा संबंध भगवान शिव से है। तो चलिए जानते हैं दुर्वासा ऋषि के जन्म की कथा और उनके इतने क्रोधी होने के पीछे का कारण।

भगवान शिव के पुत्र हैं दुर्वासा ऋषि

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दुर्वासा ऋषि भगवान शिव के पुत्र कहलाते हैं। माना जाता है कि उनका जन्म भगवान शिव (कौन थीं भगवान शिव की 5 बेटियां) के क्रोध से हुआ था। इसी कारण से उनके स्वभाव में भी जन्म से ही क्रोध का ज्वालामुखी समाहित है। दुर्वासा ऋषि को छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आ जाता था और वह श्राप दे देते थे।

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कैसे हुई दुर्वासा ऋषि की उत्पत्ति

  • पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय जब माता पार्वती भगवान शिव के साथ एकाकी समय व्यतीत कर रही थीं तब अचानक से देवताओं ने उनके एकांतवास में खलल डाल दिया जिसके बाद भगवान शिव का क्रोध अपने चरम पर पहुंच गया।
  • भगवान शिव का क्रोध देख सभी देवता छुप गए। इतने में माता अनुसूया भगवन शिव और मां पार्वती (माता पार्वती के मंत्र) के दर्शनों के लिए पहुंची। माता अनुसूया को आता देख माता पार्वती ने भगवान शिव को शांत कराने की कोशिश की।
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  • भगवान शिव शांत तो हो गए लेकिन उनके क्रोध से जन्मी ऊर्जा कैलाश में इधर-उधर टकराकर कैलाश का ही नुकसान करने लगी। सभी देवतागण और महादेव के परिवार के सदस्य भगवान शिव के पास पहुंचे और उन्हें इस क्रोध ऊर्जा को नष्ट करने करने की प्रार्थना करने लगे।
  • तब भगवान शिव ने बताया कि वह इस ऊर्जा को पुनः अपने अंदर नहीं समा सकते हैं क्योंकि यह ऊर्जा उनके तीसरे नेत्र से निकली है और उनका तीसरा नेत्र अगर दोबारा खुला तो उससे सृष्टि को और भी नुकसान होगा।
  • महादेव की बात सुन माता अनुसूया ने भगवान शिव से आज्ञा मांगी कि वह अपने तपोबल से उनकी इस क्रोध ऊर्जा को अपने भीतर धारण कर सकती हैं। महादेव ने भी माता अनुसूया को आज्ञा प्रदान की जिसके बाद माता अनुसूया ने इस ऊर्जा को अपने गर्भ में धारण किया।
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  • चूंकि माता अनुसूया ने क्रोध ऊर्जा को गर्भ में धारण किया था इसी कारण से महादेव के क्रोध से ऋषि दुर्वासा का जन्म हुआ और क्रोधाग्नि से प्रकट होने के कारण उनके स्वभाव में अत्यंत क्रोध समाहित हो गया।

तो ये थी दुर्वासा ऋषि के जन्म की कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Shutterstock, Pinterest

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