क्यों बंद रखी जाती है तिरुपति बालाजी की आंखे?

भगवान वेंकटेश्वर जिन्होंने कलियुग में अपने सभी भक्तों की रक्षा करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिए थे। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। 

Mystery Behind lord venkateswara closed eyes

(mystery behind lord venkateswara closed eyes) भारत में सभी प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में एक तिरुपति बालाजी का मंदिर है। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। इस मंदिर से जुड़ी रहस्य, प्रेम और आस्था जुड़ी हुई है। जिसके कारण भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। भगवान वेंकटेश्वर अपने भक्तों को सभी परेशानियों से बचाने के लिए कलयुग में जन्म लिया था। यह भगवान विष्णु के अवतार हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर कलयुग में जब तक रहेंगे। तब तक उनका अंत नहीं हो सकता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर को कलयुग का वैकुंठ के नाम से भी जाना जाता है। वेंकटेश्वर को कलयुग में गोविंदा, श्रीनीवासा, बालाजी के नाम से भक्त बुलाते हैं। अब ऐसे में उनकी आंखे बंद क्यों रहती है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

क्या है तिरुपति बालाजी की आंखों का रहस्य (lord venkateswara closed eyes mystery)

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आधुनिक युग में भगवान वेंकटेश्वर का निवास तिरुपति तिरुमाला मंदिर में माना जाता है। भगवान वेंकटेश्वर (भगवान विष्णु मंत्र) को उनकी शक्तिशाली और चमकीली आंखों के लिए जाना जाता है। भक्त सीधे भगवान की आंखों में नहीं देक सकते हैं। क्योंकि उनकी आंखे ब्रह्मांडीय ऊर्जा से भरपूर है। इसी कारण भगवान वेंकटेश्वर की आंखे सफेद मुखौटे से बंद कर दी जाती है, लेकिन गुरुवार के दिन उनकी आंखों से सफेद मुखैटे को बदला जाता है। उस दौरान सभी भक्त देवता की आंखों का दर्शन क्षण भर के लिए कर सकते हैं।

पंच कपूर से ढकी जाती है बालाजी की आंखें (Balajis eyes are covered with punch camphor)

पंच कपूर से बालाजी की आंखे ढकी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर की आंखें हमेशा खुली रहती है। इनकी आंखों में काफी तेज है। इसलिए कपूर (कपूर के उपाय) से इनकी आंखों को ढककर रखा जाता है। हर गुरुवार को उनके नेत्रों का दर्शन किया जा सकता है।

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गुरुवार को होता है बालाजी का श्रृंगार (Balaji Shringaar on Thursday)

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हर गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को चंदन से स्नान कराया जाता है और फिर चंदन का लेप भी लगाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि हृदय पर चंदन लगाने के दौरान माता लक्ष्मी की छवि ऊभर आती है।

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बालाजी के माला में होते हैं 27 तरह के फूल (27 types of flowers in Balaji garland)

तिरुपति बालाजी के लिए रोज 100 फीट लंबी माला बनाई जाती है। उन्हे 27 तरह की मालाएं बनाकर पहनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि सभी मालाओं के लिए अलग-अलग वाटिकाओं से लाई जाती है। वहीं ब्रह्मोत्सव और वैकुंठोत्सव के मौके पर विदेशों से भी फूल मंगाए जाते हैं।

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Image Credit- flipkark, freepik

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