मुस्लिम शादियों में बहुत ही खास मानी जाती हैं ये रस्में, जानें मेहर से लेकर वलीमे तक का रिवाज

Muslim Wedding Ceremony Steps: मोहब्बत, इज्जत और बराबरी की बुनियाद पर खड़ी मुस्लिम शादियां धार्मिक रस्मों का खूबसूरत मेल होती हैं। ये रस्में ना सिर्फ परंपरा की पहचान होती हैं, बल्कि एक मजबूत रिश्ते की नींव भी खड़ी रखती हैं।
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Muslim Wedding Rituals: हर धर्म की शादियां अपने-अपने अंदाज और रस्मों के लिए जानी जाती हैं। हालांकि, मुस्लिम शादियों की जाए, तो यह सिर्फ एक मोहब्बत का इकरारनामा नहीं, बल्कि एक पाक इबादत होती है। निकाल दो दिलों का नहीं, बल्कि दो रूहों का मिलन होता है। मोहब्बत, इज्जत और बराबरी की बुनियाद पर खड़ी मुस्लिम शादियां होती हैं।

इसलिए लोग मुस्लिम शादियों के बारे में जानने के लिए हमेशा इच्छुक रहते हैं। कई तरह के सवाल पूछते हैं जैसे सिर्फ 3 बार कबूल कहने पर शादी हो जाती है? अगर दो बार कहा जाए तो क्या शादी नहीं होगी? ऐसे ही कई तरह के सवाल मन में होते हैं। बता दें शादियों में होने वाली हर रस्म फिर चाहे वो मेहर हो या निकाह...हर किसी की अपनी अलग खासियत होती है।

ये रस्में ना सिर्फ परंपरा की पहचान होती हैं, बल्कि एक मजबूत रिश्ते की नींव भी रखती हैं। मुस्लिम शादियों में हर रस्म एक दुआ की तरह होती है, शादी के दिन से लेकर वलीमे तक.. हर लम्हा न सिर्फ दूल्हा-दुल्हन के लिए खास होता है, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी एक यादगार एक्सपीरियंस बन जाता है।

आइए आज हम उन्हें खास रीति-रिवाजों के बारे में जानेंगे, जिसमें रीति-रिवाजों का गहरा मतलब छिपा हुआ है। तो देर किस बात की इस लेख में मेहर से लेकर वलीमे तक का रिवाज तक के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मेहर क्या होती है?

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जब दो लोग निकाह के रिश्ते में बंधे होते हैं, तो इस रिश्ते की बुनियाद सिर्फ मोहब्बत पर नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और बराबरी पर खड़ी की जाती है। इसमें मेहर बहुत ही खास हिस्सा है, जिसे निकाह के वक्त दिया जाता है। बता दें कि इस्लाम में मेहर एक लड़की का हक है, जो उसका पति देता है।

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मेहर एक तरह की तय राशि या संपत्ति होती है, जिसे दुल्हा निकाह से पहले दुल्हन को देने का वादा करता है। यह जरूरी नहीं कि मेहर हमेशा पैसे ही हों, यह कोई कीमती चीज जैसे गहना, जमीन या कुछ ऐसा जो दूल्हे के देने की हैसियत हो। मेहर बाद में निकाह से पहले या बाद में अदा कर सकता है।

निकाह की रस्म होती है बेहद खास

मुस्लिम शादी की असल शुरुआत निकाह से होती है, जिसे बहुत ही खास तरीके से मुकम्मल की जाती है। इस रस्म में सिर्फ दो लोग नहीं होते, बल्कि गवाह भी शामिल होते हैं। दूल्हा और दुल्हन इन गवाह के सामने एक-दूसरे के होने की हामी भरते हैं और सुन्नत तरीके से निकाह को पूरा करते हैं।

निकाह कैसे होता है?

निकाह की रस्म आमतौर पर किसी मौलवी की मौजूदगी में होती है। इस दौरान तीन चीजों पर जोर दिया जाता है।

  • पहला दूल्हा और दुल्हन से तीन बार पूछा जाता है कि क्या वो इस निकाह को अपनी मर्जी से कबूल करते हैं। दोनों की तरफ से तीन बार जोर से कबूल है कहा जाता है।
  • निकाह से पहले या दौरान मेहर की रकम तय की जाती है और निकाहनामे में दर्ज की जाती है। यह निकाह में बहुत जरूरी रस्म है।
  • शरीयत के अनुसार निकाह तभी माना जाता है, जब इसमें कम से कम दो गवाह मौजूद हों। दो लड़के वाले और दो लड़की वालों के होते हैं, निकाह के बाद वो लोग निकाहनामा पर अपना नाम दर्ज करते हैं।

खुतबा-ए-निकाह से होता है मुकम्मल

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मुस्लिम शादी यानी निकाह की शुरुआत एक बेहद खास और पाक रस्म से होती है जिसे कहते हैं खुतबा-ए-निकाह। इसमें काजी पूरी बारात के सामने दूल्हा के साथ बैठकर निकाह पढ़ाते हैं।

इस दौरान मौलवी कुरान की कुछ आयतें पढ़ते हैं, जिसे खासतौर पर सूरह-अन-निसा, अर-रूम या अल-अहजाब से खत्म किया जाता है। फिर शादी की अहमियत, मियां-बीवी के रिश्ते की पाकीजगी और एक-दूसरे के हक पर रौशनी डाली जाती है।

आखिर में एक दिल से की जाने वाली दुआ होती है, जिसमें अल्लाह से ये फरियाद की जाती है कि यह रिश्ता हमेशा खुशियों, समझदारी और अमन से भरा रहे और आप नजरों से बचे रहें।

आखिर में होती है रुख्सती?

निकाह के बाद एक खास रस्म होती है, जिसे रुख्सती के नाम से जाना जाता है। इसमें दुल्हन अपने ससुराल या दूल्हा के घर की ओर रुख करती है।

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यह रस्म सभी को बहुत इमोशनल कर देती है। इसमें लड़की का परिवार उसे दुआओं के साथ विदा करता है और गाड़ी तक छोड़कर आता है। इस रस्म के बाद लड़की अपने ससुराल के पास चली जाती है, तो इसके बाद लड़के वाले पर वलीमा करना वाजिब हो जाता है।

वलीमा की होती है शाही दावत

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बता दें लड़के वालों पर वालिमा करना अल्लाह ने फर्ज कर दिया है। यह शादी के बाद दूल्हे की ओर से दी जाने वाली दावत है। यह इस बात को बताता है कि हमारा निकाह हो चुका है और हम एक- दूसरे के साथ खुश हैं। इसमें रिश्तेदार, दोस्त, पड़ोसी सभी लोगों को दावत दी जाती है। इस मौके पर अच्छा खाना और दुआएं और ढेर सारी मस्ती होती हैं।

इस तरह एक शादी मुकम्मल होती है। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- (@freepik and shutterstock)

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