क्या मेहंदी लगाने से बदलती हैं दुल्हन के हाथों की रेखाएं?

दुल्हन का श्रृंगार जब तक पूरा नहीं होता है जब तक उसके हाथों और पैरों में मेहंदी ना लगी हो लेकिन क्या मेहंदी दुल्हन के हाथों की रेखाएं भी बदल देती हैं?

mehndi history indian mythology

दुल्हन का श्रृंगार जब तक पूरा नहीं होता है जब तक उसके हाथों और पैरों में मेहंदी ना लगी हो लेकिन क्या मेहंदी दुल्हन के हाथों की रेखाएं भी बदल देती हैं? दुल्हन के विभिन्न श्रृंगारों में से एक मेंहदी भी है। सिंदूर, बिंदिया, चूड़ी और गहने श्रृंगार की चीजों के साथ दुल्हन की मेंहदी उसके श्रृंगार को और भी सुंदर बनाती है।

ऐसा माना जाता है कि मेहंदी लगाने से दुल्हन के हाथों की रेखाएं बदल जाती हैं और इसके पीछे एक कहानी भी है। शादी से पहले एक लड़की हिन्दू परंपराओं के अनुसार कई रस्में निभाती हैं और उनमें से एक है मेहंदी की रात। मेहंदी की रस्म को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है इसलिए शादी से पहले मेहंदी की रात होती है।

मेंहदी का रंग चढ़ने के के बाद यह कितने लंबे समय तक दुल्हन के हाथों पर रची रहती है यह भी वर-वधु के गहरे रिश्ते को दर्शाता है। शादी ही नहीं विभिन्न त्यौहारों जैसे करवा चौथ, दिपावली और रक्षा-बंधन पर भी मेहंदी लगाई जाती है। मेहंदी को बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है।

mehndi history indian mythology

मेहंदी का इतिहास

ऐसा कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में जब सल्तनत साम्राज्य ने भारत में अपनी जड़ें बनाई तब ही मेंहदी का आगाज हुआ। मेंहदी मुगलों के लिए भी एक खास श्रृंगार माना जाता था। श्रृंगार के अलावा यह उनके लिए विभिन्न प्रकार की सजावट की वस्तु एवं औषधि का काम भी करती थी। उस समय अरब के साथ-साथ और भारत में भी धीरे-धीरे मेंहदी का इस्तेमाल बढ़ रहा था। मुगलों में मेंहदी की रीति को देखते हुए ही हिन्दू परिवारों में भी धीरे-धीरे इसका चलन शुरू हो गया लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि हजारों वर्ष पहले ही मेंहदी को हिन्दू धर्म में मान्यता प्राप्त हो गई थी और यहां तक कि मेहंदी को शुभ चीजों में शामिल कर लिया गया था।

Read more: खूब चढ़ेगा बालों पर मेहंदी का रंग जब आप उसमें मिलाएंगी ये 5 चीजें

mehndi history indian mythology

हिंदू धर्म में मेहंदी को माना गया शुभ

कुछ लोक कथाओं के अनुसार मेंहदी का सीधा संबंध मां दुर्गा के महाकाली रूप से है। लोक कथाओं के अनुसार जब स्वर्ग लोक में बसे देवताओं पर राक्षसों का प्रकोप भारी पड़ रहा था और वे उन्हें रोकने में असमर्थ हो रहे थे तब मां दुर्गा ने उनकी सहायता करने का निश्चय किया था। इसके बाद मां ने महाकाली का रूप लिया और राक्षसों का नास किया लेकिन ऐसा करने में मां पूरी तरह रक्त से भर गई थी। देवी के इस रूप को देखकर ऋषि-मुनि और अन्य देवता भयभीत हो उठे।

mehndi history indian mythology

भयभीत होकर सभी भगवान इन्द्र के पास पहुंचे और उनसे माता को शांत करने का निवेदन किया लेकिन वहां जाकर भी उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। देवराज इन्द्र ने उन ऋषि-मुनियों को बताया कि इस कार्य को तो केवल देवों के देव महादेव ही कर सकते हैं। वे स्वयं उनकी कोई और सहायता नहीं कर सकते हैं। इसके बाद भगवान शिव ने देवी को इस बात का एहसास कराया कि उनका रूप सभी को भयभीत कर रहा है। तभी मां दुर्गा ने अपनी इच्छा शक्ति से एक देवी को प्रकट किया। यह देवी बेहद सुंदर थी। मां दुर्गा के आदेश पर ही वह देवी औषधि बनकर देवी के हाथ-पैरों में सज गई। जिसके बाद मेंहदी द्वारा श्रृंगारित हाथ और पांव देखकर देवी दुर्गा अत्यंत प्रसन्न हुईं।

मां ने अपने द्वारा प्रकट देवी को वरदान देते हुए कहा, “जैसे तुमने औषधि का रूप धारण कर मेरी शोभा बढ़ाई है ठीक उसी तरह तुम जगत की सभी स्त्रियों का सौंदर्य भी बढ़ाओ और औषधि के रूप में पूजित हो।“ आज भी मेहंदी का इस्तेमाल औषधि रूप में भी किया जाता है।

इस वरदान के चलते ही ऐसा कहा जाता है कि मेहंदी स्त्री के हाथों की रेखाएं बदल सकती हैं और वो बेहद शुभ है इसलिए शादी से पहले दुल्हन को मेहंदी लगाई जाती है ताकि वो अपने नए जीवन में खुशियों के रंग भर सकें।

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP