पीएम नरेंद्र मोदी अगले 5 सालों के लिए भाजपा की सरकार बनाएंगे। इस चुनाव में, महिला और पुरुष बड़ी संख्या में मतदान करने के लिए आए, जिसमें 67 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले वर्षों की तुलना में बहुत ज्यादा है। लेकिन खुशी की बात यह है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली बड़ी कामयाबी के पीछे देश की महिला का खासा योगदान है क्योंकि उन्होंने पुरुषों से ज्यादा मतदान करके एनडीए के हाथ मजबूत किये। जी हां जहां से एनडीए को ज्यादा सफलता मिली है उनमें से कुछ जगहों पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा वोटिंग की है और कुछ जगहों पर पिछली बार की तुलना में इस बार महिलाओं की वोटिंग का प्रतिशत ज्यादा रहा है। इसका मतलब यह है कि महिलाओं ने विश्वास किया है कि एक निर्वाचित सरकार उनके भविष्य के लिए बहुत कुछ कर सकती है। आज हम आपको ऐसे कुछ मुद्दों के बारे में बताएंगे जो महिलाएं नरेंद्र मोदी सरकार से चाहती हैं।
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जॉब्स
2014 में प्रधानमंत्री ने कहा था कि महिलाएं केवल होम मेकर नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माता हैं। महिलाओं को देश में रोजगार के कमजोर परिदृश्य को देखते हुए सरकार से बेहतर रोजगार की संभावनाएं चाहिए। नेता चुनाव प्रचार में रोजगार की बात क्यों नहीं करते हैं, जबकि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर देना हमारे नेताओं के लिए बहुत बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत में महिला कर्मचारियों की संख्या 2005 में 35 प्रतिशत से कम होकर 2018 में 26.7 प्रतिशत हो गई है।
सुरक्षा
यूं तो पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की सुरक्षा पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है लेकिन जहां आधी आबादी महिला है, उस दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए कुछ चीजों पर तेजी से सुधार करने की आवश्यकता है। कई रिसर्च से यह बात सामने आई है कि केवल 25 प्रतिशत महिलाएं सड़कों पर चलने में सुरक्षित महसूस करती हैं, जबकि 44.6 प्रतिशत महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं और 30.5 प्रतिशत इसके बारे कुछ नहीं कहती हैं।
पॉलिटिक्स में महिलाओं की भूमिका
आधुनिक भारतीय पॉलिटिक्स में कई ऐसी महिलाएं रही हैं, जिनकी ऐतिहासिक भूमिका से हम अच्छी तरह से परिचित हैं। स्वतंत्रता आंदोलनों से लेकर आज़ाद भारत में सरकार चलाने तक में महिलाओं की राजनीतिक भूमिका और पहल अहम रही है। लेकिन जब राजनीति में महिला भागीदारी की बात आती है तो आंकड़ें बेहद निराशाजनक हैं। अगर भारत की एक्टिव पॉलिटिक्स में महिलाओं की स्थिति की बात करें तो भारत 193 देशों में 141वें स्थान पर है। महिलाएं देश की संसद को अधिक समावेशी बनाना चाहती हैं। लगभग 86.8 प्रतिशत महिलाओं ने सोचा कि महिला आरक्षण बिल संसद में महिला प्रतिनिधियों की संख्या में सुधार करेगा। जबकि 31.2 प्रतिशत को अभी भी लगता है कि यह वांछित परिवर्तन नहीं लाएगा।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारम्भ केंद्र की वर्तमान सरकार द्वारा लिंग के अनुपात में समानता लाने की दिशा में उठाया गया एक सराहनीय कदम है। यह मोदी सरकार की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। अधिक प्रचार लेकिन कम पॉजिटिव होने के लिए इसकी आलोचना हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि कई युवा महिलाएं प्राथमिक स्कूलों में शामिल हो जाती हैं, लेकिन वह बहुत ज्यादा समय तक कक्षाओं में टिकती नहीं हैं। 2011 की जनगणना द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की महिला साक्षरता दर 65.46 प्रतिशत है, जो विश्व औसत 79.7 प्रतिशत से काफी कम है। महिलाएं उम्मीद कर रही हैं कि आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इन कक्षाओं में टिकें।
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टॉयलेट, हाइजीन और हेल्थ
स्वच्छ भारत एक मिश्रित अभियान है, जो मोदी सरकार ने मिश्रित परिणाम के साथ निकाला है। हालांकि यह बहुत सारे वादे को पूरा करता है। मोदी सरकार ने कहा है कि उन्होंने पिछले चार वर्षों में नौ करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया है और 4.5 लाख से अधिक गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है। लेकिन टॉयलेट तक पहुंच का मतलब यह नहीं है कि खुले में शौच समाप्त हो गया है। महिलाएं इस मोर्चे पर किसी भी बदलाव की बहुत बड़ी हकदार हैं, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव उन पर पड़ता है और इसमें उनका सीधा हाथ होता है। उम्मीद है कि नई सरकार इस का निर्माण करेगी और व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से इसे व्यापक बनाने के लिए नारी शक्ति का उपयोग करेगी।
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उज्जवला योजना
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना भारत के गरीब परिवारों की महिलाओं के चेहरों पर खुशी लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 को शुरू की गई एक योजना है। इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन मिलेंगे। जी हां स्वास्थ्य, उज्जवला योजना की सभी योजनाओं में इसका एक हिस्सा जहां एलपीजी कनेक्शन खतरनाक चुल्लों की जगह ले चुके हैं। सरकार ने कहा है कि उन्होंने 8 करोड़ कनेक्शन प्रदान किए हैं और महिलाओं को इससे सीधे फायदा मिलता है। महिलाएं भी सरकार से ऐसी ही उम्मीद कर रही हैं।
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