उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट पर इस बार बेहद दिलचस्प टक्कर रही। यहां बीजेपी की स्मृति ईरानी का मुकाबला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से था और स्मृति ने यहां 55120 वोटों से जीत हासिल की। स्मृति को यहां 4,67,598 वोट और राहुल को 4,13,394 वोट मिले। स्मृति 2014 में भी यहीं से राहुल के खिलाफ चुनावी मैदान में थीं लेकिन एक लाख वोटों से हार गई थीं। अमेठी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। गांधी परिवार से राहुल गांधी इस सीट पर 2004 से लगातार जीत दर्ज कर रहे थे। अगर स्मृति के चुनावी सफर की बात करें 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद स्मृति लगातार अमेठी में डटी रहीं और उन्होंने राहुल की अमेठी से गैरमौजूदगी को अपना चुनावी मुद्दा बनाया।
वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2008 तक हर घर में एक महिला चर्चा का विषय बनी हुई थी। हर महिला उसके जैसा बनना चाहती थी, हर सास को वैसी ही बहू चाहिए थी और हर पति को वैसी ही पत्नी। जी हां, हम बात कर रहे हैं एकता कपूर के फेमस टीवी सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की बहू तुलसी विरानी यानी रियल लाइफ में स्मृति ईरानी का, जिनका परिचय अब शब्दों का मोहताज नहीं। टीवी सीरियल की दुनिया से बाहर निकल वह अब देश के नायका बन चुकी हैं। स्मृति ईरानी अब देश राजनीति की वह महिला महाराथी हैं, जो महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है और राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी का एक मजबूत अंग। भले ही स्मृति ईरानी अब टीवी सीरियल से दूर हो अपनी अलग पहचान बना चुकी हों मगर देश की महिलाओं के बीच वह आज भी मिसाल हैं। चलिए उनसे जुड़ी 5 दिलचस्प बातें आपको सुनाते हैं।
ब्यूटी पैजेंट में लिया हिस्सा
भाजपा की वरिष्ठ नेता और टीवी सीरियल में अभिनेत्री रह चुकीं स्मृति ईरानी के परिचय के लिए केवल इतना काफी नहीं है। इन सबसे भी पहले वह एक मॉडल रह चुकी हैं। या यूं कह लें कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ही मॉडलिंग से की थी। स्मृति ने अपनी 12 क्लास के एग्जाम देने के बाद मॉडलिंग को चुना। वह एक मध्यम वर्गीय परिवार से थीं और अपनी फैमिली को फाइनेंशियली सपोर्ट करने के लिए स्मृति ने पढ़ाई की जगह पैसा कमाना ज्यादा जरूरी समझा़। अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में भी वह बता चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी राजनीति में सक्रिय होने से पहले टेलीविजन इंडस्ट्री में काम कर चुकी हैं। यहां तक कि साल 1998 में मिस इंडिया ब्यूटी पेजेंट में भी हिस्सा ले चुकी हैं। इसके बाद स्मृति ईरानी मीका सिंह की सावन में लग गई आग गाने में नजर आई थीं। इस एलबम के बाद स्मृति ईरानी ने साल 2000 में स्मृति ईरानी का 'आतिश', 'हम हैं कल आज और कल' सीरियल ऑनएयर हुआ था।
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स्मॉली स्क्रीन की बन गईं ‘क्वीन’
टीवी सरियल की दुनिया में सक्रीय होने के बाद उन पर टीवी सीरियल की क्वीन कही जाने वाली एकता कपूर की नजर पड़ी। ‘इतिहास’ जैसा पॉपुलर शो बनाने के बाद एकता अपनी ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम कर रही थीं। उन्हें इस सीरियल के लिए एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो स्मॉल स्क्रीन पर तहलका मचा दे। तब उनकी नजर स्मृति पर पड़ी। इसके बाद स्मृति की लाइफ ही बदल गई। स्मृति को ‘क्योंकि सास भी कभी बहू’ सीरियल के लिए चुन लिया गया। लोग उन्हें तुलसी विरानी के नाम से जानने लगे। घर-घर में बस उन्हीं की चर्चा होती। हर कोई चाहता कि उनके घर तुलसी जैसी बहू आ जाए। देखते ही देखते स्मृति टीवी इंडस्ट्री का एक पॉपुलर फेस बन गईं और हर टीवी सीरियल के हिट होने की गायरंटी भी।
दोस्त से हुई शादी
साल 2001 में स्मृति ईरानी ने अपने दोस्त जुबिन ईरानी से शादी की थी। उनकी शादी भी काफी चर्चा में थी। स्मृति ईरानी जुबिन ईरानी की दूसरी वाइफ थीं। उनकी पहली वाईफ मोना थीं। मोना और जुबिन की एक बेटी शानेल है। ऐसा कहा जाता है कि जुबिन की पहली वाइफ मोना स्मृति की बहुत अच्छी दोस्त थीं। वहीं कुछ लोग यह भी कहते हैं कि जुबिन और स्मृति दोनो बचपन के दोस्त थे। स्मृति और जुबिन के दो बच्चे हैं जोहर और जोइश। जुबिन की बेटी शानेल ईरानी से भी स्मृति की रिलेशनशिप काफी अच्छी है। कुछ समय पहले स्मृति ने अपने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर की थी इसमें वह अपने पति की पूर्व पत्नी मोना ईरानी के साथ नजर आ रही थीं। इस तस्वीर के साथ उन्होनें कैप्शन लिखा था, ‘मोना ईरानी आज भी अपनी पुरानी जीन्स में फिअ आ सकती हैं लेकिन मेरा तो पुरानी जींस में एक पैर भी नहीं घुस पाएगा। ’
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टीवी की नायका से देश की नायका तक का सफर
तुलसी वीरानी यानी स्मृति ईरानी के सियासी सफर की कहानी भी दिलचस्प है। वर्तमान समय में स्मृति ईरानी मोदी सरकार की तेजतर्रा और लोकप्रीय नेता है। स्मृति ने वर्ष 2003 में भारतीय जनता पार्टी की मेंबरशिप ली। इसके बाद पहली बार उन्होंने चांदनी चौक से लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। वह 2004 में महाराष्ट्र यूथ विंग की वाइस प्रेसिडेंट बनीं और फिर वह 2011 में स्मृति ईरानी राज्यसभा की सदस्य बनीं। अपने इस 19 साल के सफर में स्मृति ईरानी ने पार्टी की तरफ से दी गई कई सारी अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। इतना ही नहीं साल 2014 में देश में हुए लोकसभा के चुनाव के लिए बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी के उस समय के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के विरुद्ध स्मृति ईरानी को खड़ा किया था। हालांकि इस चुनाव में स्मृति को राहुल गांधी से हार मिली थी। लेकिन बीजेपी को इन चुनाव में मिली जीत के बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। 2014 में वह मानव संसाधन मंत्री बनीं और उसके बाद उन्हें टेक्सटाइल मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया। 2017 में वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में कार्यरत रही और फिलहाल वह केंद्रीय मंत्री के रूप में काम कर रही हैं।
कॉन्ट्रोवर्सी
स्मृति ईरानी से जुड़े विवादों को सूची काफी लंबी है. सबसे पहले स्मृति जिस विवाद में फंसी वह साल 2004 था। दरअसल स्मृति ने नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा था, कि उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री का पद को छोड़ देना चाहिए। बाद में स्मृति ने पार्टी की कार्यवाही से बचने के लिए अपने इस बयान को वापस ले लिया था। सबसे बड़ा विवाद स्मृति ईरानी को लेकर तब हुआ जब स्मृति ईरानी ने सन् 2004 के लोकसभा चुनावों के लिए भरे गए अपने हलफनामें में अपनी उच्च शिक्षा बी.ए बताई थी, जो कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से की थी। वहीं जब स्मृति द्वारा 2014 के लोकसभा में जो हलफनामा भरा गया था, उस हलफनामें में उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता बी.कॉम भरी थी। दो नामांकन में बताई गई अलग-अलग शैक्षिक योग्यता के कारण उनको काफी विरोध झेलना पड़ा था और ये मसला कोर्ट तक जा पहुंचा था। इसके अलावा बतौर मानव संसाधन विकास मंत्रालय रहते हुए स्मृति ईरानी ने जब स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली जर्मन भाषा को हटा कर संस्कृत लाने का फैसला लिया तब भी वह विवादो में घिर गईं। दरअसल स्मृति ने इन स्कूलों को 2014 में आदेश दिया था कि वो अपने स्कूल में जर्मनी भाषा की जगह बच्चों को संस्कृत भाषा पढ़ाएं। इस मसले पर जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने नरेंद्र मोदी से बातचीत भी की थी।
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