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जानें क्या होती है Veto Power और किस तरह से किया जाता है इसका इस्तेमाल

वीटो पावर का इस्तेमाल इसके स्थायी सदस्य करते हैं। इस पावर का इस्तेमाल कर किसी प्रस्ताव को पारित किया जा सकता है या रोक दिया जाता है। 
Editorial
Updated:- 2022-03-03, 12:23 IST

कुछ समय से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। ऐसे में पूरी दुनिया पर विश्व युद्ध का खतरा छाया हुआ है। हालांकि, यह कहना मुश्किल होगा कि हालात सामान्य कब होंगे और यह युद्ध कब रूकेगा। लेकिन, इसी कड़ी में पिछले हफ्ते से यूएन में वीटो पावर को लेकर चर्चा चल रही है।

बता दें कि 25 फरवरी 2022 को, रूस ने यूएनएससी के एक प्रस्ताव के लिए अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया, जिसमें उसने अपने छोटे और सैन्य रूप से कमजोर पड़ोसी देश यूक्रेन के खिलाफ रूस की "आक्रामकता" की निंदा की। प्रस्ताव में कहा गया है कि रूस "यूक्रेन के खिलाफ अपने बल प्रयोग को तुरंत बंद कर देगा और संयुक्त राष्ट्र के किसी भी सदस्य देश के खिलाफ किसी भी तरह की गैरकानूनी धमकी या बल प्रयोग नहीं करेगा।"

जबकि, 11 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, हालांकि, भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे कई देशों ने अपनी पावर का इस्तेमाल नहीं किया है। जिसका मतलब है कि इन देशों ने रूस के यूक्रेन के खिलाफ आक्रमण पर जरूरी लेकिन पूर्ण विरोध नहीं दिखाया है। अब आप सोच रहे होंगे कि UNSC क्या है? वीटो पावर का क्या मतलब है? कोई देश वीटो पावर का इस्तेमाल कैसे कर सकता है? चिंता न करें आज हम आपको इन सभी चीजों के बारे में बताएंगे।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थापना वर्ष 1945 में UN चार्टर द्वारा की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है और इसे अंतर्राष्ट्रीय शांति, सद्भाव और सुरक्षा बनाए रखने का प्रभार दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं और यह सदस्य निर्धारित करते हैं कि यह राज्यों और विवादित पक्षों के साथ व्यापक चर्चा के बाद दो या दो से अधिक देशों के बीच विवाद को कैसे रोका जाए।

वीटो क्या होता है?

veto power

वीटो को नेगेटिव वोट कहा जाता है। इसमें यूएन के सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्य अपने एक वोट से किसी भी प्रस्ताव को पारित कर सकते हैं या खारिज कर सकते हैं। बता दें कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में 15 सदस्य होते हैं। इन 15 सदस्यों में से 5 सदस्य स्थायी होते हैं जिन्हें P5 भी कहा जाता है और बाकि 10 गैर-स्थायी सदस्य होते हैं।

P5 सदस्यों में चीन, फ्रांस, रूस, यूके और यूएस शामिल है। इसके साथ ही बता दें कि गैर-स्थायी सदस्यों को केवल 2 साल के लिए चुना जाता है। वर्तमान में गैर-स्थायी सदस्यों में एस्टोनिया, भारत, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नाइजर, नॉर्वे, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, ट्यूनीशिया और वियतनाम शामिल है।

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संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 27(3) के अनुसार, P5 सदस्य के वोटों की सहमति के अनुसार ही सारे प्रस्ताव होने चाहिए। हालांकि, स्थायी सदस्य अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए या अपनी विदेश नीति के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए वीटो का उपयोग करके एक मसौदा प्रस्ताव को रोक सकते हैं।

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किस P5 सदस्य ने सबसे अधिक वीटो का उपयोग किया है?

veto power use

पहली बार वीटो का उपयोग 16 फरवरी 1946 में किया गया था, जब सोवियत संघ ने लेबनान और सीरिया से विदेशी सैनिकों की वापसी से संबंधित एक ड्राफ्ट को ब्लॉक कर दिया था। नॉन प्रॉफिट सिक्योरिटी काउंसिल की रिपोर्ट की मानें तो अभी तक 293 वीटो वोट का इस्तेमाल किया जा चुका है और बता दें कि रूस के पास इस वीटो पावर का लगभग आधा भाग है जिसमें 143 वीटो हैं। 1992 के बाद से सोवियत संघ के पतन के बाद, रूस वीटो का सबसे अधिक बार उपयोग करने वाला देश रहा है। इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर शामिल है।

  • अमेरिका ने पहली बार वीटो पावर का इस्तेमाल 1970 में किया था और इसके बाद आज तक अमेरिका ने 83 वीटो डाले हैं।
  • ब्रिटेन ने 1956 में स्वेज संकट के दौरान वीटो पावर का इस्तेमाल किया था और वह आज तक 32 बार वीटो पावर का उपयोग कर चुका है।
  • चीन ने 18 बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है। इस गणना में, चीन गणराज्य (आरओसी) द्वारा एक वीटो का उपयोग किया गया था, जबकि बाकि 17 को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा इस्तेमाल किया गया है।
  • फ्रांस ने पहली बार 1946 में वीटो पावर लागू किया था और अब तक 17 बार इस विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर चुका है।

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