बॉलीवुड की आइकॉनिर फिल्म मुगल-ए-आजम 1960 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म को के. आसिफ द्वारा डायरेक्ट किया गया है। इस फिल्म में मेन रोल में मधुबाला, दिलीप कुमार और पृथ्वीराज कपूर थे। साथ ही इस फिल्म को बॉलीवुड की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक माना जाता है। यह फिल्म अनारकली और राजकुमार सलीम के दुखद प्यार पर आधारित है। इस फिल्म में प्यार, वफादारी, परिवार और युद्ध को बखूबी दर्शाया गया है। लेकिन जितनी ही खास यह फिल्म है,उतनी ही खास इस फिल्म की बनने की कहानी है। ऐसे में आज हम आपको मुगल ए आज़म फिल्म से संबंधित कई रोचक तथ्य बताएंगे।
क्या आप जानते हैं कि यह बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्मों में से एक है। जिस तरह से इस फिल्म को फिल्माया गया है , उसके हिसाब से अंदाजा लगाया जा सकता है। इस फिल्म में जितने कपड़े पहने गए हैं उन्हें दिल्ली में सिला जाता था और सूरत में इन कपड़ों पर नक्काशी की जाती थी। ज्वेलरी हैदराबाद से बनाई जाती थी , वहीं मुकुम कोल्हापुर में बनते थे। इसके अलावा हथियार राजस्थान में और जूते आगरा में बनते थे। सिर्फ इतना ही नहीं इस फिल्म में 2000 ऊंटों, 4000 घोड़ों का उपयोग किया गया था। केवल इन्हीं ऊंटों और घोड़ों पर करीब 1.5 करोड़ थी।
क्या आप जानते हैं कि जब प्यार किया तो डरना क्या गाने को 105 बार लिखने के बाद फाइनल किया गया था। इतना ही नहीं कहा जाता है कि इस गाने को बनाने में करीब 10 करोड़ रूपये लगे थे। इसके लिए लता मंगेशकर को यह गाना स्टूडियो के बाथरूम में गाना पड़ था, क्योंकि उस समय पर रिवर्बेरेशन नहीं होता था।
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क्या आप जानती हैं कि इस फिल्म के लिए के.आसिफ ने सबसे पहले मधुबाला को नहीं बल्कि किसी और को चुना था। जी हां , अनारकली के रोल के लिए पहले शहनाज को चुना गया था। शहनाज थिएटर करती थी और उनके एक प्ले के दौरान के.आसिफ की नजर शहनाज पर पड़ी और उसे देख लगा कि उन्हें अपनी अनारकली मिल गई। शहनाज के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह बेहद खूबसूरत थी और सिर्फ खूबसूरती ही नहीं उनकी आवाज भी बेहद सुरीली थी।
के.आसिफ ने इंटरव्यू में बताया था कि उन्होनें पहले नूतन को इस रोल के लिए अप्रोच किया था। लेकिन नूतन इस रोल को करने की लिए नहीं मानी , पर उन्होनें के.आसिफ से मधुबाला को इस रोल के लिए कास्ट करने को कहा। साथ ही मधुबाला खुद उनसे मिलने गई थी और कहा था कि वह इस फिल्म में काम करना चाहती हैं। हालांकि, बता दें कि मधुबाला के पिता के साथ के.आसिफ के अच्छे संबंध नहीं थे और मधुबाला ने ही के.आसिफ को कहा था कि वे उनके पिता की शर्तों को मान लें। इसेक बाद ही मधुबाला को अनारकली का रोल मिला।
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हिंदी सिनेमा की सबसे आइकोनिक फिल्म को बनने में करीब 16 साल लग गए थे। यह फिल्म 1944 में बननी शुरू हुई थी और 1960 में रिलीज हुई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि 1947 में भारत का बंटवारा हो गया था। इसके बाद देश के हालात काफी बदल गए थे और इसी का असर के.आसिफ की फिल्म पर भी पड़ा। इसी के बीच कई बार इस फिल्म की कास्ट भी बदल गई, जो कि फिल्म की देरी का अहम मुद्दा था।
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