क्या आप जानते हैं ‘रंग बरसे' क्लासिक सॉन्ग के पीछे की कहानी

होली का त्यौहार हो और हम ‘रंग बरसे' का क्लासिक सॉन्ग ना सुनें ऐसा हो नही सकता। इस गाने के बिना होली का त्यौहार अधूरा है। ऐसे में चलिए जानें इस गाने के पीछे की कहानी।


Rang Barse Bhige Chunar Wali iconic song

होली का त्यौहार पूरे भारत में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसे में इस दिन हम कई सॉन्ग सुनते हैं। बॉलीवुड के कई पुराने गाने हैं जिन्हे सुनना हम सभी काफी ज्यादा पसंद करते हैं। इन्ही में से एक गाना फिल्म ‘सिलसिला’ का अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माया गया ‘रंग बरसे सॉन्ग’ तो आपने सुना ही होगा? इस गाने को भारत का बच्चा- बच्चा जानता है। इस गाने के बिना तो होली का त्यौहार ही अधूरा सा लगता है।

ऐसे में क्या आप इस आइकॉनिक गाने के पीछे की कहानी के बारे में जानती हैं? आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है कि आखिर कैसे यह गाना बनाया गया था। चलिए जानें सभी डिटेल्स को विस्तार से।

‘रंग बरसे' गाना नहीं बल्कि भजन हैं

Rang Barse Bheege Chunarwali Lyricsकंपोजर देबज्योति मिश्रा ने रंग बरसे की मेकिंग का किस्सा बताया है। इस गाने से जुड़ी तमाम बातें मिश्रा ने बताई हैं। देबज्योति मिश्रा नेकहा कि- एक समय में टॉलीगंज में रहा करते थे। उस समय वहां नॉन-बंगाली लोग गाने गाकर होली मनाने आया करते थे। उनके गाना हमें काफी ज्यादा पसंद आते थे। ( इन भोजपुरी गानों के बिना अधूरा है होली का पर्व, देखें लिस्ट)

कवयित्री मीरा का यह 5वीं सदी का भजन है

देबज्योति मिश्रा आगे कहते हैं कि उन्हें इस बारे में बाद में पता चला कि यह गीत रियल में 15वीं सदी की कवयित्री मीरा के एक पारंपरिक भजन पर आधारित था। भले ही इस गाने के बोल बाद में हरिवंश राय बच्चन के थे और गाने को शिव-हरि ने कंपोज किया था। मूल भजन रंग बरसे ओ मीरा, भवन में रंग बरसे , कुन ए मीरा तेरो मंदिर चिनयो, कुन चिनयो तेरो देवरो, रंग बरसे ओ मीरा भवन में रंग बरसे. फिल्म में स्क्रिप्ट को फिट करने के लिए नंबर बदल दिए गए थे।

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आज की पीढ़ी भी ‘रंग बरसे' गाने को सुनना करती है पसंद

वहीं इस भजन की खास बात यह है कि यह भजन पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों के बीच लोकप्रिय रहा है। आज के जमाने के लोग भी इस भजन को होली के त्यौहार में सुनना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। शायद ही कोई होगा जो इस गाने को नहीं जानता होगा। इस गाने को हरिवंश राय बच्चन ने लिखा है वे उत्तर प्रदेश से हैं। गाने में आंचलिक शब्दों का प्रयोग हुआ है, इससे होली के गाने में मानो इंद्रधनुषी छौंका लग गया है।

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image credit: google

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