हिंदी में आपको बहुत सारी कहावते सुनने को मिल जाएंगे, जिनमें एक बहुत ही लोकप्रिय कहावट है कि ' जो बादल गरजते हैं, वो बरसते नहीं...' इस कहावत का अर्थ मुहावरे के आधार पर तो यह है कि, 'जो लोग ज्यादा बोलते हैं, वो काम कुछ नहीं करते ...' । मगर इसके पीछे एक वैज्ञानिक तथ्य भी है, जो बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक है। इस तथ्य के बारे में हमें भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के सीनियर अधिकारी एससी-जी डॉक्टर राजेंद्र कुमार से जानकारी मिली है। वह कहते हैं, "हां, ऐसा होता है। मगर यह कहावत केवल मई और जून में होने वाले मौसम परिर्वतन पर निर्भर करती है। ऐसा मॉनसून सीजन में नहीं होता है।" हमने राजेंद्र जी से इस विषय पर विस्तर से बात की इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
किस प्रकार के बादल सिर्फ गरजते हैं मगर बरसते नहीं ?
यहां यह समजना बहुत जरूरी है कि बादल कई प्रकार के होते हैं। जैसे- क्यूम्यलोनिम्बस, नम्बोस्ट्रेटस, सिरस, सिरास्ट्रेटस, सिरोकम्यलस और क्यूमयलस। इनमें सभी प्रकार के बादल अलग-अलग तरह का मौसम परिवर्तन करते हैं। मगर क्यूमयलस ऐसे बादल होते हैं, जो केवल गरजते हैं और इससे तेज बिजली चमकती है। बार यह बादल थोड़ी बहुत बूंदाबांदी या ओले भी बरसा देते हैं। मगर इनसे तेज बारिश नहीं होती है।
ईवेपोरेशन होता है बड़ा कारण
जब बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही होती, तब ऐसा होता है कि बादल आते हैं, गरजते हैं, तेज आंधी आती है, बिजली भी चमकती, मगर बारिश की बूंदे जमीन पर गिरने से पहले ही इवैपोरेट हो जाती हैं। ऐसा ज्यादातर उन क्षेत्रों में होता है, जहां बहुत गर्मी होती है। राजस्थान के ऐसे कई इलाकों में होता है।
नमी न होने के कारण नहीं होती बारिश
ऐसा भी होता है कि वायुमंडल में बादल बनते हैं, थोड़ी बहुत बिजली चमकती है और गरज भी होती है। मगर मॉइश्चर कम होने के कारण बारिश नहीं होती हैं। आपने नोटिस किया होगा कि कभी बादल आते हैं कभी धूप निकल आती है। बदली होती है, तो बिजली और बादल की गरजन सुनाई देती है, मगर कुछ ही देर में मौसम खुल जाता है।
तेज हवाओं के कारण
तेज हवाएं बादालों को उड़ा ले जाती हैं। ऐसा मई और जून के मौसम में मॉनसून आने से पहले आपको कई बार देखने को मिलेगा। बस तेज आंधी आती है या ठंडी हवा चलती है। आसमान में बादल फटे-फटे से नजर आते हैं, मगर बारिश नहीं होती है। मगर मॉनसून में ऐसा नहीं होता है। क्योंकि इस मॉनसून में केवल बारिश होती है। हवा बहुत कम ही चलती है। इसलिए बिजली चमकना और बादल गरजना भी मॉनसून कम ही होता है।
सूखी आंधी
कई बार केवल धूल मिट्टी वाली आंधी से बादल बन जाते हैं। यह बादल आंधी के साथ ही गायब हो जाते हैं। कई बार वह गरजते भी हैं, मगर बरसते नहीं हैं। ऐसा केवल अप्रेल, मई और जून में ही होता है।
तो जब अगली बार बदली छाए, बादल आएं, बिजली चमके और गरजन हो, तो यह मत सोच बैठिएगा कि बारिश होगी ही। क्योंकि जब बारिश होती है, तब केवल बारिश होती है और बिजली एंव बादल बाद में चमकते और गरजते हैं।
नोट- यह सभी जानकारी भारत मौसम विभाग (IMD) के अधिकारी डॉक्टर राजेंद्र कुमार से बातचीत पर आधारित है।
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