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जया एकादशी 2022: जानें कब है जया एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और महत्व

आइए जानें इस साल कब मनाई जाएगी जया एकादशी और इस दिन पूजन करने और व्रत करने का क्या महत्व है।   
Editorial
Updated:- 2022-02-09, 14:01 IST

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक महीने में दो एकादशी तिथियां होती हैं पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं जिनका अपना अलग महत्व है। इन्हीं एकादशी तिथियों में से एक महत्वपूर्ण एकादशी तिथि है जया एकादशी की तिथि।

यह एकादशी माघ महीने में होती है और ऐसा माना जाता है कि इस तिथि में व्रत करने से व्यक्ति की कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। मान्यता अनुसार जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूरी श्रद्धा पूर्वक आराधना की जाती है। इस दिन विष्णु पूजन करने से कई कष्टों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का द्वार प्रशस्त होता है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब पड़ेगी जया एकादशी और इसका क्या महत्व है।

jaya ekadashi by Dr.Aarti dahiya

जया एकादशी की तिथि एवं पूजा का मुहूर्त

  • इस साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि जया एकादशी तिथि 12 फरवरी 2022, शनिवार के दिन मनाई जाएगी।
  • एकादशी तिथि आरंभ: 11 फरवरी, शुक्रवार दोपहर 01:52 मिनट से
  • एकादशी तिथि समापन : 12 फरवरी, शनिवार सायं 04:27 मिनट पर
  • चूंकि उदया तिथि मेंएकादशी तिथि 12 फरवरी के दिन पड़ रही है इसलिए इसी दिन व्रत एवं पूजन लाभदायक होगा।
  • व्रत के पारण का समय :13 फरवरी, रविवार प्रात: 07: 01 मिनट से प्रातः 09: 15 मिनट के बीच

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जया एकादशी का महत्व

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मान्यता अनुसार जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का माता लक्ष्मी समेत पूजन करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस तिथि के दिन व्रत उपवास करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। जया एकादशी का व्रत सभी व्यक्तियों के लिए बहुत ही पुण्यदायी होता है। पुराणों के अनुसार जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष, पाप और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। जया एकादशी का व्रत करने से कई समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाता है।

जया एकादशी व्रत कथा

जया एकादशी की कथा के अनुसार एक समय में देवराज इंद्र नंदन वन में अप्सराओं के साथ गंधर्व गान कर रहे थे, जिसमें प्रसिद्ध गंधर्व पुष्पदंत, उनकी कन्या पुष्पवती तथा चित्रसेन और उनकी पत्नी मालिनी भी उपस्थित थीं। इस विहार में मालिनी का पुत्र पुष्पवान और उसका पुत्र माल्यवान भी उपस्थित हो गंधर्व गान में साथ दे रहे थे। उस समय गंधर्व कन्या पुष्पवती, माल्यवान को देख कर उस पर मोहित हो गई और अपने रूप से माल्यवान को वश में कर लिया। इस कारण दोनों सुर और ताल के बिना गान करने लगे। इसे इंद्र ने अपना अपमान समझा और दोनों को श्राप देते हुए कहा- तुम दोनों ने न सिर्फ यहां की मर्यादा को भंग किया है, बल्कि इंद्र की आज्ञा का भी उल्लंघन किया है। इस कारण तुम दोनों स्त्री-पुरुष के रूप में मृत्युलोक जाकर वहीं अपने कर्म का फल भोगते रहो। इंद्र के श्राप से दोनों पृथ्वीलोक में हिमालय में अपना जीवन दुखपूर्वक बिताने लगे। दुखी होकर दोनों ने निर्णय लिया कि वो देव आराधना करें और संयम से जीवन गुजारें। उसी तरह एक दिन माघ मास में शुक्लपक्ष एकादशी तिथि आ गयी। दोनों ने निराहार रहकर दिन गुजारा और पूरे दिन भगवान विष्णु को स्मरण करते रहे। दूसरे दिन प्रात: उन दोनों को व्रत के पुण्य प्रभाव से मृत्यलोक से मुक्ति मिल गई और दोनों को पुन:अप्सरा का नवरूप प्राप्त हुआ और वे स्वर्गलोक चले गए। तभी से जया एकादशी का महत्व बढ़ गया।

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जया एकादशी व्रत की पूजा विधि

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  • जया एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन यदि संभव होतो ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करके विष्णु भगवान का पूरे श्रद्धा भाव से पूजन करें।
  • यदि आप व्रत कर रहे हैं तो व्रत का संकल्प करके चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर विष्णु जी की मूर्ति माता लक्ष्मी समेत स्थापित करें।
  • विष्णु जी की तस्वीर को चंदन लगाएं और माता लक्ष्मी को रोली या सिन्दूर से टीका लगाकर पुष्प एवं भोग अर्पित करें एवं श्रद्धा भाव से पूजन करते हुए फलाहार व्रत करें।
  • इस दिन यदि आप व्रत का पालन करते हैं तो फलाहार का सेवन करें और यदि व्रत न भी करें तब भी सात्विक भोजन करें।
  • इस दिन ध्यान रखें कि व्रत के दौरान किसी से लड़ाई, झगड़ा न करें और सात्विक धर्म का पालन करें।
  • व्रत रखने वाले लोग भोजन में किसी भी तरह के नमक के सेवन से बचें।
  • ऐसी मान्यता है कि एकादशी तिथि के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • ध्यान रखें यदि आप पीले वस्त्र धारण करके पूजन करते हैं तो यह अत्यंत फलदायी होता है।
  • पीला प्रसाद और फल, मेवा भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम का पाठकरें। भगवान विष्णु की आरती करें एवं सभी परिजनों को प्रसाद वितरित करें।
  • पूरे दिन व्रत करने के बाद अगले दिन व्रत का पारण करें।

इस प्रकार जया एकादशी के दिन व्रत और पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है और इस दिन विष्णु पूजन से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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