27 जून से पुरी जगन्नाथ मंदिर में रथ यात्रा का उत्सव शुरू हो चुका है। वैसे तो कल देश के कोने-कोने से भगवान जगन्नाथ अपने मंदिर से बाहर निकलकर भक्तों के मध्य आते हैं और उन्हें अपने दिव्य दर्शन देते हैं, मगर पुरी में इस उत्सव को पूरे विधि और विधान से मनाया जाता है। आज रथ यात्रा 2025 का दूसरा दिन है और आज से लेकर अगले 11 दिनों तक भगवान अपनी मौसी गुंडिचा देवी के मंदिर में रहेंगे। अपनी मौसी के घर भाई और बहन के साथ विश्राम करेंगे और यहां भी पूरे विधि विधान अलग-अलग रीति रिवाज से उनकी पूजा की जाएगी। वहीं हर दिन कोई नया अनुष्ठान होगा।
इस उत्सव के दौरान देश-विदेश से भक्त लोग पुरी आए हुए हैं और उत्सव के हर आयोजन में भाग ले रहे हैं। भक्त अपनी भक्ती को प्रभु जगन्नाथ के समक्ष अलग-अलग तरह प्रस्तुत कर रहे हैं और अपने प्रभु को इतने करीब से देखकर भाव विभोर हो रहे हैं। अगर आप भी इस उत्सव की भव्यता को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं, तो इस अद्भुत यात्रा की लाइव तस्वीरें देखें, जो हम यहां पर हर पल अपडेट कर रहे हैं और साथ ही आपको नई-नई जानकारी भी दे रहे हैं।
अगर आप पुरी में नहीं हैं, तब भी इन चित्रों के माध्यम से इस ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन का हिस्सा बन सकते हैं। इन तस्वीरों में रथों की विशालता, भक्तों की भीड़ और उत्सव का अद्भुत माहौल साफ देखा जा सकता है। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का एक विशाल संगम है, जिसे हर कोई देखना चाहता है।
Rath Yatra में कौन सा रथ रहता है सबसे आगे?
इस शोभायात्रा में सबसे आगे रहता है बलभद्र जी का रथ और बीच में होता है सुभद्रा जी का रथ और सबसे पीछे होता है भगवान श्री जगन्नाथ जी का रथ। ऐसी मान्यता है कि समुद्र की गर्जन से सुभद्रा जी को डर लगता है इसलिए उनका रथ दोनों भाइयों के बीच में चलता है।
छेरा पन्हारा की रस्म से हुई यात्रा प्रारंभ
इस रस्म में पुरी का राजा सोने की झाड़ू से रथ के नीचे और आस-पास की जगह को साफ करता है।
क्या है श्री जगन्नाथ के रथ का नाम ?
इस बार श्री जगन्नाथ के 16 पहिए वाले रथ का नाम नंदीघोष रखा गया है। वही उनके रथ की रस्सी का नाम शंखाचुड़ा है।
बलभद्र जी के रथ का नाम
भगवान जगन्नाथ के भाई बलभद्र जी 14 पहिया वाले रथ में बैठते हैं और उनके रथ का नाम तालध्वज है। वही रस्सी का नाम बासुकी है।
सुभद्रा जी के रथ का नाम
श्री जगन्नाथ भगवान और बलभद्र जी की छोटी बहन सुभद्रा भी यात्रा में शामिल होती हैं और उनके रथ का नाम दर्पदलन है, उनका रथ 12 पहियों का होता है और रथ को खींचने वाली रस्सी का नाम स्वर्णचूड़ा नाड़ी है।
भगवान के रथ को कौन खींचता है?
पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं और उनका रथ कोई भी भक्त जो सौभाग्यशाली है वो खींच सकता है। कहा तो यहां तक जाता है कि अगर आप रथ को छू भर लें या रस्सी को ही छू लें, तो आपके भाग्य खुल जाते हैं।
क्या होता है पाहंडी' अनुष्ठान?
इस तस्वीर में पुरी में वार्षिक रथ यात्रा उत्सव में 'पाहंडी' अनुष्ठान के दौरान जगन्नाथ मंदिर के 'सेवायतों' द्वारा भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को ले जाया जा रहा है। यह बहुत बड़ा अनुष्ठान होता है और इसे करने में बहुत ज्यादा वक्त लगता है।
जगन्नथ उत्सव में अगर आप हिस्सा लेने पुरी नहीं जा पाए हैं, तो आप यहां हरजिंदगी में इस उत्सव की लाइव फोटो देख सकती हैं। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य धर्म पर आधारित लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit - PTI
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