मुर्गी पहले आई या अंडा? इस सवाल पर सालों से बहस हो रही है। लेकिन, अब एक नया सवाल लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है और वह है कि मुर्गा पक्षी है या जानवर? यह सवाल इतना चर्चा में है कि सोशल मीडिया से लेकर कोर्ट तक में इसे लेकर बहस हो रही है। सामान्य तौर पर जब यह सवाल पूछा जाता है तो हमारा दिमाग तुरंत जवाब में पक्षी कहता है। लेकिन, हाल ही में ऐसी खबर सामने आई है कि गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी जिसके बाद से ही मुर्गा जानवर है या पक्षी इसपर बहस छिड़ गई है। गुजरात हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में ऐसा दावा किया गया था कि मुर्गियों को कानूनी तौर पर जानवर माना जाना चाहिए। हालांकि, इस मामले में कोर्ट ने क्या कहा और क्या फैसला हुआ हम इसपर नहीं, बल्कि साइंस क्या कहता है यह आपको बताने जा रहे हैं।
साइंस की नजर में मुर्गा जानवर और पक्षी दोनों ही है। एनिमल किंगडम एनिमेलिया जो इंसानों को छोड़कर हर जिंदा जीव को वर्गीकृत करता है। इसने भी मुर्गे को वर्गीकृत किया है। इसके अलावा मुर्गे को एवीज की कैटेगरी में भी जगह दी गई है। एवीज कैटेगरी वह होती है, जिसमें उन सभी पक्षियों को रखा जाता है जिनके पंख होते हैं और वह अंडे देते हैं। अब मुर्गे और मुर्गी दोनों के ही पंख होते हैं ऐसे में इसे भी एविज की कैटेगरी में रखा जाता है।
आसान भाषा में समझें तो एनिमल किंगडम एनिमेलिया में वर्गीकृत होने की वजह से इसे जानवर भी माना जा सकता है। इसके बाद जब एनिमेलिया में जानवरों की अलग-अलग कैटेगरी बांटी गई तो उसमें एवीज में मुर्गे को रखा गया तो इसे पक्षी भी समझा जाता है।
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यह आपने अक्सर सुना होगा कि मुर्गा सुबह बांग देता है। लेकिन, इसके पीछे कोई संयोग नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक कारण है। दरअसल, मुर्गे और मुर्गियों में एक नेचुरल क्लोक यानी जैविक घड़ी होती है, जिसे सर्कैडियन रिदम के नाम से जाना जाता है। यह घड़ी सूरज की रोशनी के साथ सक्रिय हो जाती है मुर्गे को बांग देने के संकेत देती है। इसी के साथ माना जाता है कि मुर्गे के आंखें लाइट सेंसिटिव होती हैं। ऐसे में जब लाइट चेंज होती है तो मुर्गे का दिमाग बांग देने के संकेत देता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से मुर्गी की उम्र आमतौर पर 5 से 10 साल होती है। मुर्गा-मुर्गी की उम्र उनके पैरों के रंग से पता लग सकती है। ऐसा माना जाता है कि अगर मुर्गा-मुर्गी की उम्र कम होगी तो उनके पैरों का रंग गाढ़ा होगा और वहीं, उम्र के साथ-साथ उनके पैरों का रंग हल्का होना शुरू हो जाता है। बता दें, मुर्गा-मुर्गी पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन असर करता है। जो कई बार मुर्गा-मुर्गी से इंसानों में भी फैल जाता है।
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मुर्गे या मुर्गी की आंखें लाइट सेंसिटिव होती हैं, यह तो आप जान ही गए हैं। यही वजह है कि लाइट से अपनी आंखों को बचाने के लिए मुर्गे उन्हें बंद ही रखते हैं। ऐसे में लगता है कि मुर्गे-मुर्गियां सो रहे हैं, लेकिन वह दिन के साथ रात में भी सोते हैं। क्योंकि, रात के समय ही उनकी नींद पूरी होती है।
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