मैं गाजियाबाद में रहती हों और दिल्ली में मेरा ऑफिस है। गाजियाबाद से लेकर दिल्ली तक के रास्ते में कितनी ही जगह कचरे के ढेर नजर आते हैं, कई जगहों पर कचरे के अंबार और नाली की बदबू की वजह से नाक बंद करने को मजबूर होना पड़ता है। कभी-कभी सोचती हूं साफ-सुथरा शहर क्या अब एक सपना बनकर रह गया है। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, कई दूसरे महानगरों का यही हाल है। जगह-जगह गंदगी और उससे फैली अव्यवस्था हमारे ट्रेवलिंग एक्सपीरियंस को खराब बना देती है। लेकिन इसी बीच इंदौर को सबसे साथ-सुथरे शहर का दर्जा मिलने पर मुझे काफी खुशी महसूस हो रही है।
जब देश के ज्यादातर शहर बढ़ती जनसंख्या और सीमित संसाधनों के चलते गंदगी की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं इंदौर लगातार दूसरे साल सबसे साफ-सुथरा शहर करार दिया गया है। इंदौर टॉप पोजिशन हासिल करने में कामयाब रहा है, वहीं दूसरे नंबर पर भोपाल और तीसरे नंबर पर चंडीगढ़ है।
कुछ सालों में बदल गए हालात
जो लोग इंदौर शहर से वाकिफ नहीं हैं वे ये सोच रहे होंगे कि इंदौर पहले से ही साफ-सुथरा रहा होगा। लेकिन हकीकत यह नहीं है। ज्यादातर शहरों में लोग अपने घर तो साफ रखते हैं और घरों का कचरा उठाकर गलियों में फेंक देते हैं। कुछ साल पहले तक यही हाल इंदौर का भी था, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां के हालात में काफी बदलाव आया है।
म्युनिसपेलिटी के साथ-साथ लोगों ने भी समझी जिम्मेदारी
यहां म्यूनिपेलिटी शहर का कचरा समय से उठा लेती है, वहीं दूसरी तरफ शहर के बाशिंदे भी अपना फर्ज पूरी जिम्मेदार के साथ उठा रहे हैं। लोगों को इस बात का अहसास है कि वे अगर सड़क पर कचरा फेंकते हैं तो इसका असर उन्हीं पर होगा। इसी बदली हुई सोच के चलते यहां लोग सड़क पर खाली डिब्बे, पानी की बोतलें या नमकीन-चिप्स के रैपर जैसा कचरा नहीं फेंकते। इसी पहल का नतीजा है कि यहां पार्क, पिकनिक स्पॉट जैसे पब्लिक प्लेसेस इतने साफ-सुथरे दिखते हैं कि दिल खुश हो जाता है।
गंदगी होने के ज्यादातर मामलों में लोगों के ध्यान देने और आसपास के लोगों को स्वच्छता अभियान में शामिल करने की वजह से यहां स्वच्छता अभियान की मुहिम रंग लाई है। आप खुद देख सकते हैं कि शहर में आई बारात किस तरह अपना कचरा बटोरती नजर आ रही है।
हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मिनिस्टर हरदीप सिंह ने सर्वे के नतीजे घोषित करते हुए कहा कि तीन लाख की जनसंख्या वाले इंदौर की एनडीएमसी इसमें टॉप पर है।
सरकार के इस स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वे के तीसरे एडिशन में 4023 शहरों का असेसमेंट किया गया, जिसमें कुल मिलाकर 400 मिलियन लोग रहते हैं। पिछले सर्वे के उलट इस बार सरकार खराब प्रदर्शन करने वाले उन परफॉर्मेस की लिस्ट भी जारी करेगी, जो इसमें सबसे निचले पायदान पर रहे।
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