कहते हैं कि इंसान गलतियों का पुतला होता है और गलतियां हम सभी से होती हैं। लेकिन दुनिया में सबसे मुश्किल चीज है गलती होने के बाद उसे realize करना और बाद में उस गलती को मान लेना। अमूमन देखने में आता है कि जब भी कोई गड़बड़ होती है तो हम हमेशा दूसरों की ही गलती निकालते हैं और हमेशा खुद को सही ठहराने की कोशिश करते हैं। ऐसा हम सभी करते हैं। फिर भले ही बात प्रोफेशनल लाइफ की हो या फिर पर्सनल लाइफ की।
वहीं, जब भी हम दूसरों की बातों को सुनते हैं तो हम हमेशा डिंफेसिव मोड पर होते हैं और खुद की गलती मानना तो दूर उसे सुनना भी पसंद नहीं करते। लेकिन, अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए हमें यह स्वीकार करना होगा कि हम हमेशा सही नहीं हो सकते। ऐसे में हमें अपनी गलतियों के लिए स्वेच्छा से माफी मांगने और उसे सही करने की क्षमता होनी चाहिए। तो चलिए आज हम आपको ऐसे कुछ तरीके बता रहे हैं, जिसकी मदद से आप अपने भीतर इस गुण का समावेश कर सकती हैं-
नहीं है कमजोरी
कुछ महिलाएं सिर्फ इसलिए गलती को स्वीकार नहीं करना चाहतीं, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि इससे वह दूसरों के सामने कमजोर दिखाई देंगी या फिर इससे उन्हें गैर-जिम्मेदार या बुरा समझ लिया जाएगा। लेकिन आपको यह समझने की जरूरत है कि गलती करना कमजोरी की निशानी नहीं है।
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कहा जाता है कि अगर आप गलती कर रही हैं तो इसका अर्थ है कि आप वास्तव में विकास कर रही हैं, क्योंकि कोशिशें करने वाला ही गलती करता है और फिर गलतियां आपको बहुत कुछ सिखा जाती है। इसलिए मिसटेक्स को नकारात्मक रूप में ना लें।
दूसरों पर ना उठाएं उंगली
वे कहते हैं कि जब भी आप किसी की ओर उंगली उठाती हैं, तो बाकी की चार उंगलियां वास्तव में आपकी ओर इशारा करती हैं। इसका मतलब यह है कि आपको किसी को भी दोष देने या फिर न्याय करने का कोई अधिकार नहीं है। हो सकता है कि आपके भीतर उससे अधिक दोष ना हो। ऐसे में जब आप दूसरों पर उंगली उठाना छोड़ देती हैं तो आप अपनी गलतियों को आसानी से महसूस कर पाती हैं और उसे ठीक करने में सक्षम हो पाती हैं।
रहें ओपन माइंडेड
जो महिलाएं स्वभाव से क्लोज माइंडेड होती है, वह कभी भी खुद की गलती को देख नहीं पातीं, तो उसे मानना और उसे ठीक करना तो बहुत दूर की बात है। इसके अलावा, अगर आप खुले विचारों की नहीं है तो इससे आपके पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। क्योंकि आप कभी खुद की गलती स्वीकार नहीं करतीं और इसलिए आप सामने वाले का पक्ष सुनने के लिए भी तैयार नहीं होतीं।
इससे आपके रिश्तों के साथ-साथ विकास भी प्रभावित होता है। इसलिए खुद को थोड़ा ओपन माइंडेड बनाएं। सहजता से दूसरों के पक्ष को सुनें और उसे खुले दिमाग से स्वीकार करें।
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