आज के कॉम्पीटीशन के इस युग में यह बेहद जरूरी है कि बच्चे सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक व भावनात्मक रूप से भी मजबूत हों। मानसिक रूप से मजबूत बच्चे दुनिया की चुनौतियों का आसानी से सामना कर लेते हैं। वह न सिर्फ समस्याओं से निपटने और कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होते हैं, बल्कि विफलताएं भी उनके कदमों को नहीं रोक पातीं, वह मजबूती से पलटकर उसका जवाब देते हैं। दरअसल, जो बच्चे बचपन से ही मानसिक रूप से मजबूत होते हैं, कठिन व विपरीत परिस्थितियां भी उन्हें डरा नहीं पातीं और न ही वह किसी भावनात्मक दबाव के कारण कोई गलत निर्णय ले पाते हैं।
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बच्चों में यह मानसिक मजबूती जन्म से ही नहीं होती, बल्कि अपनी परवरिश के दौरान पैरेंट्स उन्हें इस तरह तैयार करते हैं ताकि वह बड़े होकर हर परिस्थिति का मजबूती से सामना कर सकें। ऐसी कई पैरेंटिंग स्ट्रेटेजी, डिसिपिलिन टेक्निक व टीचिंग टूल्स होते हैं, जिससे आप बच्चे की मेंटल मसल्स को भी बिल्डअप कर सकती हैं। आज हम आपको इस लेख में इन्हीं टूल्स के बारे में बताएंगे-
आमतौर पर घरों में मम्मी बच्चों की फिजिकल हेल्थ पर ज्यादा ध्यान देती हैं। सुबह उठकर ब्रश करना, नहाना व समय पर भोजन करना यकीनन बच्चों के हेल्दी रहने के लिए जरूरी है, लेकिन इसके साथ-साथ आप बच्चे की मेंटल हेल्थ पर भी गौर करें। इसके लिए आप उनके साथ कुछ दिमागी गेम खेल सकती हैं। साथ ही आप उन्हें मेंटली स्ट्रॉन्ग होने के फायदों के बारे में भी बताएं। इतना ही नहीं, जिस तरह आप बच्चे की फिजिकल हेल्थ के लिए साल में एक बार डॉक्टर के पास जरूर जाती हैं, ठीक उसकी तरह उसे मेंटली स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए थेरेपिस्ट से मिलना भी एक अच्छा विचार है। इस तरह बच्चा अपने मन में दबी सभी बातों को आसानी से एक्सप्रेस कर पाता है, साथ ही प्रोफेशनल हेल्प मिलने के कारण उसे दिमागी तौर मजबूत होने में मदद मिलती है।
आज के समय में हर पैरेंट्स अपने बच्चे को परफेक्ट व हर कदम पर आगे देखना चाहते हैं और यहीं पर वह गलती कर बैठते हैं। दरअसल, माता-पिता के इस व्यवहार से बच्चा गलती करने से डरता है और फिर उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। अमूमन लोग अपनी गलतियों से सीखते हैं और जब आप बच्चे से परफेक्शन की उम्मीद करते हैं तो वह चीजों को बेहतर तरीके से सीख ही नहीं पाता। इसलिए बच्चे को गलती करने दें। साथ ही उसे यह भी बताएं कि गलतियां करना लर्निंग का ही प्रोसेस है और इसलिए अगर उनसे गलती होती है तो उसमें शर्मिन्दा होने या हिचकिचाने की जरूरत नहीं है। इस तरह बच्चा गलतियों से सीख-सीखकर मानसिक रूप से मजबूत होता चला जाता है।
हम सभी अपने जीवन में किसी न किसी चीज से डरते हैं और इसलिए उसका सामना करने से डरते हैं। अगर आपका बच्चा भी किसी चीज से डरता है तो पहले उसका आत्मविश्वास बढ़ाएं और फिर उसे प्रोत्साहित करते हुए डर का सामना करना सिखाएं। इस तरह जब एक बार बच्चा अपने डर का सामना कर लेता है तो उसे दुनिया की कोई भी परेशानी या कठिन परिस्थिति मुश्किल नहीं लगती क्योंकि वह जीवन में अपने सबसे बड़े डर का सामना कर चुका होता है।
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अगर आप सच में चाहती हैं कि बच्चा इमोशनली मजबूत हो तो उन्हें खुद को एक्सप्रेस करने का मौका दें। आप चाहें कितनी भी बिजी हों, लेकिन दिन में दस मिनट बच्चे के लिए जरूर निकालें ताकि वह अपने मन में दबी भावनाओं को आपके सामने व्यक्त कर सके। जब बच्चे के मन की भावनाएं मन में ही दबी रह जाती हैं तो फिर वह कभी भी मानसिक रूप से मजबूत नहीं बन पाता। वैसे आप न सिर्फ उन्हें खुद को व्यक्त करना सिखाएं, बल्कि उन्हें यह भी बताएं कि वह अपनी भावनाओं को मैनेज कैसे करें। जरूरी नहीं है कि हर बार गुस्सा होने पर आप भी उन्हें शांत कराएं, यह उन्हें खुद करना सीखना होगा। हालांकि आप इसमें उनकी मदद कर सकती हैं।
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