सावन 2023 शुरू हो गया है और इस दौरान सबसे ज्यादा जिस पेड़ की जरूरत होती है वह है बेल पत्र का पेड़। कई लोगों को बेल फल और बेल पत्र में अंतर लगता है, लेकिन यह एक ही पेड़ है। हिंदू मान्यताओं के हिसाब से यह पत्र शिव जी को बहुत पसंद है क्योंकि यह पौधा पार्वती जी के पसीने से उत्पन्न हुआ था। इसकी तीन पत्तियों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उपाधि दी जाती है।
बेल पत्र के इस्तेमाल के लिए अगर आप घर पर इसे उगाना चाहें, तो इसे घर के गार्डन में या फिर गमले में उगाया जा सकता है। अगर आप गार्डन में उगा रही हैं, तो थोड़ी सी सावधानी रखनी होगी क्योंकि इसके फल काफी सख्त खोल के साथ उगते हैं जो गिरने पर किसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में इसे गार्डन के बीच में लगाने के बारे में ना सोचें। अगर गमले में लगा रही हैं, तो फल आएंगे ही नहीं इसलिए आपको चिंता की जरूरत नहीं है।
इसे शुभ माना जाता है वह तो अलग बात है, लेकिन NCIB की एक रिसर्च मानती है कि इस पौधे में बहुत सारे औषधीय गुण भी हैं। बेल पत्र और फल दोनों ही एंटी माइक्रोबियल गुण रखते हैं। इनमें एंटीवायरल और रेडियो प्रोटेक्टिव गुण भी हैं। गर्मियों में ये शरीर को ठंडा रख सकते हैं। कुछ हद तक डायरिया की दिक्कत में भी यह मददगार साबित हो सकते हैं।
अब जब हमने बेल के पौधे की बात कर ही ली है, तो चलिए इसे उगाने के बारे में भी कुछ बातें जान लेते हैं।
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बेल फल के अंदर मिलने वाले बीजों को धोकर सुखा लीजिए। इन सूखे हुए बीजों को मिट्टी से 2-3 इंच के नीचे गाड़ दीजिए। इसे पानी की जरूरत होगी, लेकिन कभी ओवर वॉटर ना करें। 10-12 दिनों में आप देखेंगी कि बीज से पौधा निकलना शुरू हो गया है। हालांकि, बीज से लगे पौधे को पूरा बढ़ने में 3-4 साल लग सकते हैं।
बेल पत्र का पौधा घर पर जल्दी उगाना है, तो नर्सरी से इसे खरीद लें। हां, इसे खरीदते समय आपको ध्यान रखना है कि लाए हुए पौधे में किसी तरह की बीमारी ना हो। अगर पौधे की पत्तियां मुड़ी हुई या सफेद दिख रही हैं, तो उसे ना खरीदें।
अगर आपको इसका पौधा उगाना है, तो आपको हमेशा अच्छी तरह से ड्रेन होने वाली मिट्टी का इस्तेमाल करना है। इसमें थोड़ी रेत भी मिलाई जा सकती है। बहुत गीली और काली मिट्टी इस पौधे के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे बहुत ज्यादा फर्टिलाइजर की जरूरत नहीं होती है। यह कांटों वाला पौधा होता है और सूखा ग्रस्त इलाकों में भी उग सकता है इसलिए मिट्टी उसी हिसाब से बनानी चाहिए।
अगर बेल के पौधे को पानी देना है, तो एक बार में गमले को पानी से भर दें और मिट्टी के जरिए पानी ड्रेन होने दें। इसके बाद दो-तीन दिनों तक पानी ना दें।
जब बेल का पौधा छोटा होता है तब इसकी मिट्टी में खरपतवार उग जाते हैं। उस समय मिट्टी की गुड़ाई करके इसकी जड़ों पर हवा लगाना जरूरी होता है।
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बेल का पौधा जब छोटा होता है तब महीने में एक बार इसे फर्टिलाइजर दिया जा सकता है। गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट ऐसे कम पानी में पनपने वाले पौधों के लिए बेस्ट होती है। मिट्टी का PH लेवल बढ़ाने के लिए आप 1 कप छाछ को एक लीटर पानी में मिलाकर भी इस पौधे में डाल सकती हैं। ध्यान रखें छाछ शुद्ध होनी चाहिए इसमें किसी भी तरह का कोई मसाला ना मिला हो।
पौधे की घनी पत्तियों के लिए इसकी छंटाई बहुत जरूरी है। आपको 2 महीने में एक बार इसकी छंटाई करनी चाहिए जिससे पौधा लंबा होने पर नहीं घना होने पर ध्यान देगा।
बेल के पौधे को भरपूर सूरज की धूप चाहिए इसलिए इसे ऐसी लोकेशन पर ही रखना चाहिए जहां धूप अच्छी हो। हां, जब पौधा बहुत छोटा होता है तब दोपहर की कड़ी धूप से गर्मियों में बचाया जा सकता है। एक बार पौधा 2-3 फिट का हो गया, तो इसे कहीं भी धूप में रख दें फर्क नहीं पड़ेगा।
इसमें कीड़े और बीमारियां लग सकती हैं। इसके लिए बाजार से दवा खरीदकर लाने की जगह नीम ऑयल को पानी में डाइल्यूट कर इसकी पत्तियों पर महीने में एक बार छिड़काव करना ही काफी होगा।
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