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Holi  date  or  march shubh muhurat and Significance

Holi Kab Hai 2024: 24 या 25 मार्च कब है होली? यहां जानें सही तारीख और पूजा का शुभ मुहूर्त

Holi Shubh Muhurat And Significance 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की रात्रि में होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन होली खेली जाती है।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-03-22, 17:19 IST

(holi 2024 date 24 or 25 march shubh muhurat and significance) हिंदू धर्म में सभी त्योहारों के विशेष महत्व है। वहीं हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात्रि में होलिका दहन करने की परंपरा है और उसके अगले दिन विशेष रूप से होली खेली जाती है।

इस बार होली की डेट को लेकर लोग बेहद कन्फ्यूजन में हैं। कुछ लोग 24 मार्च बता रहें हैं और कुछ लोग 25 मार्च की होली बता रहे हैं। अब ऐसे में होली कब है, सही तारीख क्या है और शुभ मुहूर्त क्या है। इसके बारे में अश्विनी गुरुजी, ध्यान आश्रम से विस्तार से जानते हैं। 

कब है होली? (Holi 2024 Date)

South India holi  significance

होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, इस बार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत दिनांक 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से होगी और इसके अगले दिन दिनांक 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है। इसलिए इस साल होली 25 मार्च को ही मनाई जाएगी। 

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है? (Holika Dahan Date 2024)

होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। पंचांग के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11:13  मिनट से लेकर 12:27 मिनट तक है। इस अवधि के दौरान होलिका दहन किया जाएगा। 

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कब है होलाष्टक? (Holashtak Date 2024)

होली से आठ दिन पहले होलाष्टक आरंभ हो जाता है। इस दौरान सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वहीं पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ दिनांक 16 मार्च को रात 09 बजकर 39 मिनट से लेकर हो रहा है और इसका समापन दिनांक 17 मार्च को सुबह 09 बजकर 53 मिनट पर होगा। अब ऐसे में होलाष्टक की शुरुआत दिनांक 17 मार्च से होगी और 24 मार्च को समाप्ति होगी। 

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क्या है होली को लेकर मान्यता (Holi Significance 2024)

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  • प्रह्लाद जिसे हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन मॉस की पूर्णिमा को, होलिका दहन में जलाकर मारने का प्रयास किया था। किन्तु उस रात की शक्ति ही कुछ ऐसी थी कि प्रह्लाद बिना जले बाहर आ गया और होलिका जलकर राख़ हो गयी। पुराणों में निहित कथाएं ज्ञान का भंडार हैं। ज्ञान की प्राप्ति और दैविक शक्तियों का अनुभव गुरु द्वारा निर्धारित क्रियाओं और साधनाओं के नियमित अभ्यास से ही संभव हैं।
  • यह सृष्टि पांच तत्वों के संयोजन और सम्मिश्रण से उत्पन्न हुई है। पञ्च तत्वों में अग्नि विशेष महत्त्वपूर्ण है क्योंकि केवल इसी तत्व को दूषित नहीं किया जा सकता है। इसके संपर्क में जो कुछ भी आता है वह शुद्ध हो जाता है। यही अग्नि, मनुष्य का उत्थान करने की क्षमता रखती है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि ऋग वेद का पहला शब्द अग्नि ही है।
  • अग्नि की शक्ति को प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं जिसमें होली भी एक है। इस दिन होलिका, प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी थी। किन्तु वह एक साधिका थी और अग्नि द्वारा उसके पवित्र होने का समय आ चुका था, इसलिए वरदान होते हुए भी अग्नि ने उसे स्वीकार कर लिया और प्रह्लाद, जो पहले से ही पवित्र था, बिना जले ही बाहर आ गया। एक पवित्र शरीर को अग्नि प्रभावित नहीं करती हैं।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को अपनी बहन होलिका का जरिए जिंदा जलाना चाहता था, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति से भगवान विष्णु (विष्णु जी मंत्र) प्रसन्न होकर नरसिंह अवतार लेकर दैत्य को मारा। तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है और होलिका दहन (होलिका दहन पूजा) के अगले दिन हर्षोल्लास के साथ रंगों का उत्सव मनाया जाता है। रंगों वाली होली को दुल्हंडी के नाम से भी जाना जाता है।

 

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Image Credit- Freepik

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FAQ
होलिका दहन में नारियल डालने से क्या होता है?
होलिका की अग्नि में नारियल अर्पित किया जाए, तो घर की आर्थिक तंगी दूर होती है। साथ ही होलिका दहन के समय होलिका में नारियल के साथ पान और सुपारी चढ़ाने से घर की आर्थिक तंगी दूर होती है।
होलिका दहन में क्या क्या सामग्री चाहिए?
अक्षत, गंध, गुड़, फूल, माला, रोली, गुलाल, कच्चा सूत, हल्दी, एक लोटे में जल, नारियल, बताशा, गेहूं की बालियां और मूंग आदि।
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