भारत एक ऐसा देश है, जहां हर त्योहार को अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी खास परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। वैसे ही सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आने वाली हरियाली तीज सुहागिन महिलाओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है और इसे अलग-अलग राज्यों में अलग तरीकों से सेलिब्रेट किया जाता है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है और पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। देशभर में, खासकर उत्तरी भारत में, यह त्योहार बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे तो इस त्योहार की मूल भावना एक ही रहती है, लेकिन इसे मनाने के तरीके, पकवान और परंपराएं हर राज्य में थोड़ी बदल जाती हैं।
मुख्य रूप से हरियाली तीज बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों में हरियाली तीज को अलग-अलग नामों से भले ही पुकारा जाता है, लेकिन इसका मूल और भावनाएं सभी एक ही समान होती हैं। अगर आप यह जानना चाहती हैं कि राजस्थान के शाही अंदाज से लेकर बिहार की सरलता और मध्य प्रदेश की मिली-जुली संस्कृति में हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है, तो यह लेख आपके लिए है। हम आपको इन तीनों राज्यों में हरियाली तीज के अलग-अलग रीति-रिवाजों, खास पकवानों और परंपराओं के बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए, हरियाली तीज के बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।
बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश में ऐसे मनाते हैं हरियाली तीज
बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में हरियाली तीज को मधुश्रावणी तीज के नाम से जाना जाता है। यह आमतौर पर नवविवाहित महिलाएं ही करती हैं। हरियाली तीज सावन के महीने में 13 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान नवविवाहित महिलाएं उपवास रखती हैं और सिर्फ सात्विक भोजन करती हैं। खास बात है कि इस समय महिलाएं जो भी खाती हैं, उसमें नमक का इस्तेमाल नहीं होता है।
इसे भी पढ़ें-Hariyali Teej Saree Designs:ननद को करें खुश, हरियाली तीज पर गिफ्ट करें ये साड़ियां
राजस्थान में कैसे मनाई जाती है हरियाली तीज?
राजस्थान में हरियाली तीज को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस राज्य में हरियाली तीज के दिन माता पार्वती की मूर्ति को बड़े ही आकर्षक तरीके से सजाकर उनकी सवारी निकाली जाती है। इस जुलूस में पुरुष एवं महिलाएं दोनों ही पूरे भक्तिभाव के साथ शामिल होते हैं। इस दौरान भजन-कीर्तन के साथ माता पार्वती की सवारी निकलती है, जिसे तीज माता की सवारी भी कहा जाता है। इस सवारी को शहर के हर गली-मुहल्ले में घुमाया जाता है।हरियाली तीज की इस सवारी में सिर्फ एक घर के लोग नहीं होते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में लोग इस सवारी का हिस्सा बनते हैं और अपने लिए भगवान का आर्शिवाद मांगते हैं।
महाराष्ट्र में कैसे मनाया जाता है हरियाली तीज?
भारत के विविध त्योहारों की श्रृंखला में हरियाली तीज एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, लेकिन महाराष्ट्र में इसे एक अलग नाम और कुछ विशिष्ट रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति के दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है, जबकि अविवाहित युवतियां इसे एक योग्य वर की कामना से करती हैं। इस दिन महिलाएं लगभग डेढ़ दिन का निराहार व्रत रखती हैं, जिसमें वे जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं विशेष रूप से लाल या हरे रंग की नई साड़ी पहनती हैं। हाथों में मेंहदी लगाती हैं और पारंपरिक सोलह श्रृंगार करके तैयार होती हैं। मिट्टी से भगवान शिव, माता गौरी, उनकी सखी और भगवान गणेश की मूर्तियां बनाएं। मूर्तियों की स्थापना के बाद, श्रद्धा भाव और विधि-विधान से पूजा-अर्चना उनकी पूजा करती हैं। फिर, व्रत का समापन अगले दिन सुबह किया जाता है, जब महिलाएं पूजा और प्रार्थना के बाद अपना व्रत खोलती हैं।
इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ।
Image credit- Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों