Women Freedom Fighters List: भारत के आजाद होने के बाद से हर साल 15 अगस्त के दिन इंडिपेंडेंस डे मनाया जाता है। यह उन वीर सपूतों और वीरांगनाओं को याद करने का समय होता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए बिल्कुल निडर होकर ब्रिटिश शासकों का सामना किया था। भारत की आजादी की लड़ाई में कई महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इन महिलाओं ने समाज की बेड़ियों को तोड़कर देश की आजादी के लिए खुद लड़ाई लड़ी थी। आज हम उन महिलाओं के बारे में बताने वाले हैं, जिनसे अंग्रेज भी थर-थर कांपते थे। तो चलिए ऐसी वीमन फ्रीडम फाइटर्स के बारे में जानते हैं, जिनकी देशभक्ति को हर कोई सलाम करता है। उनके योगदान को कभी भी भूला नहीं जा सकता है।
कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी लक्ष्मी बाई से भी पहले अंग्रेजों का डटकर सामना करने वाली महिला हैं, जिन्होंने कर्नाटक के कित्तूर में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की पहल की थी। ऐसे में चेनम्मा के इस योगदान को भी कभी भूला नहीं जा सकता है।
साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक वीरांगना ऊषा मेहता भी थी, जिन्होंने आंदोलन के शुरुआती महीनों में कांग्रेस रेडियो के माध्यम से लोगों को बढ़-चढ़कर अंदोलन में हिस्सा लेने और उनसे जुड़ने के लिए प्रेरित किया करती थीं। इन्हें 'सीक्रेट कांग्रेस रेडियो' के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कुछ ही वक्त के बाद वे अंग्रेजों की निगाह में आ गई थीं। इसके कारण उन्हें पुणे जेल में भी रहना पड़ा था।
कस्तूरबा गांधी महात्मा गांधी की पत्नी थीं और उन्होंने भारत की आजादी के दौरान कई आंदोलनों में भाग लिया था। आजादी की लड़ाई में कस्तूरबा ने हर कदम पर अपने पति का साथ दिया था। इतना ही नहीं, उस महिला ने कई बार स्वतंत्र रूप से और गांधीजी के मना करने के बाद भी कई संघर्ष किए। कस्तूरबा गांधी को तो इसके लिए जेल भी जाना पड़ा था।
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झांसी की एक और वीरांगना झलकारी देवी हैं, जो रानी लक्ष्मी बाई के वेश में आजादी के लिए लड़ाी लड़ते हुए युद्ध भूमि में ही शहीद हुई थीं। इस तरह देश की आजादी के लिए झलकारी देवी ने अपने प्राण त्याग दिए थे। वह झांसी के एक किसान सदोवा सिंह की बेटी थी।
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झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के नाम हर कोई वाकिफ है, ऐसी न जाने कितनी और लड़कियां रही होंगी, इनस प्रेरणा लेकर आजादी की लड़ाई में शामिल हुई थीं। रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और उन्हें भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी भी माना जाता है। दरअसल, उन्होंने भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम (1857) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं।
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