एक मां हर मुश्किल का सामना कर लेती है, एक मां अपने आंचल में ढेरों खुशियां बटोरकर अपने बच्चों को देती है, एक मां हर मौके पर अपने बच्चों के साथ रहती है। मां की ममता के कई तरह के रूप होते हैं और इस दौर में जहां हमारी लाइफस्टाल बदल गई है वहां मां को और भी कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। मां-बेटी का एक अनोखा रिश्ता होता है और समय के साथ-साथ इस रिश्ते में बदलाव भी होते हैं और ये सफर और भी खूबसूरत होता जाता है।
मदर्स डे के मौके पर हरजिंदगी की एक खास कैम्पेन में Maa & Me के तहत नेशनल अवॉर्ड विनिंग डायरेक्टर और स्क्रीन राइटर श्राबनी देओधर, एक्ट्रेस प्रोड्यूसर और डायरेक्टर सई देओधर और चाइल्ड एक्ट्रेस और बेहद टैलेंटेड नक्षत्रा आनंद ने हमसे बात की और अपने मदरहुड एक्सपीरियंस के बारे में कुछ बातें बताईं।
मां को परफेक्ट बनने की जरूरत नहीं वो सिर्फ मां बने-
श्राबनी देओधर ने मदरहुड को लेकर एक बहुत ही जरूरी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अक्सर महिलाओं को लगता है कि वो अपने बच्चे के लिए हर चीज़ परफेक्ट दें। अगर वो कुछ नहीं कर पातीं तो वो गिल्ट में आ जाती हैं और ये गिल्ट लोगों को बहुत ज्यादा परेशान कर देता है। आपने कोशिश की ये बहुत अच्छा है, लेकिन आप खुद को किसी भी चीज़ के लिए गिल्टी न मानें। आपने अपने बच्चे के लिए बहुत बेस्ट किया। मदरहुड महिलाओं को तब परेशान करता है जब वो खुद को गिल्टी मानने लगती हैं। ये सही तरीका नहीं है।
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अपने करियर का बलिदान देने से पहले कोशिश जरूर करें-
सई देओधर कहती हैं कि कई लोगों ने उनसे ये कहा है कि बच्चों के लिए करियर छोड़ना पड़ा। सई का कहना है कि अगर आप कोशिश करेंगे तो ये सब कुछ हो जाएगा। इतना सोचने की जरूरत नहीं है। अगर आपने कोशिश नहीं की और पहले ही हाथ पैर डाल दिए तो आप नहीं कर पाएंगे। शुरू के कुछ दिन भले ही मुश्किल होंगे, लेकिन बाद के समय में आपको खुद पर प्राउड होगा।
बच्चे वही सीखते हैं जो आप करते हैं-
श्राबनी जी का कहना था कि बच्चों को शुरुआत से ही ये नहीं बताना चाहिए कि किसी से जाकर झूठ बोल दो कि मम्मी घर पर नहीं है। बच्चे बहुत इम्प्रेशनेबल होते हैं और इसलिए ये सही नहीं है कि उन्हें बचपन से ही झूठ बोलना सिखाया जाए। बच्चे को ये आदत होनी चाहिए कि वो आपको आकर सब कुछ सच-सच बता दे आप अगर खुद ही उसे झूठ बोलना सिखाएंगे तो ये गलत होगा।
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बच्चों की तारीफ करें और उन्हें समझाने की कोशिश करें-
कई लोगों की आदत होती है कि वो बच्चे की तारीफ नहीं करते और इससे उसे मोटिवेशन नहीं मिलता। बच्चा अगर कुछ अच्छा करता है तो आपको जरूर उसकी तारीफ करनी होगी। अगर आप उसे प्रोत्साहित नहीं करेंगे तो आगे से वो अपनी तरफ से एफर्ट्स नहीं डालेगा। सई देओधर का कहना है कि हर मां को अपने बच्चे से बात करनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर उसे डांटना सही है, लेकिन उसके साथ ही साथ उसकी तारीफ करना और उससे ये सवाल करना जरूरी है कि 'बेटा आपके हिसाब से आपने जो किया वो सही है या नहीं' बच्चे को ये अहसास दिलाएं कि अगर वो कुछ गलत कर रहा है तो क्यों कर रहा है।
बच्चों के दोस्तों के बारे में माता-पिता को पता होना चाहिए-
श्राबनी देओधर का कहना है कि भले ही आप बहुत व्यस्त हों या फिर आपको काम में समय नहीं मिल रहा और आप बच्चे के साथ कम समय बिता पा रहे हों, लेकिन आपको ये ध्यान रखना चाहिए कि जितना भी समय आप बच्चे के साथ बिताएं वो पूरा बच्चे को दें अपने फोन, टीवी या किसी और काम को नहीं। बच्चे किसके साथ खेल रहे हैं, किसकी संगती में जा रहे हैं उसके बारे में आपको पता होना चाहिए।
सई, श्राबनी और नक्षत्रा के साथ इस पूरी बातचीत का वीडियो जल्द ही हरजिंदगी के यूट्यूब चैनल और वेबसाइट पर दिखेगा। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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