एयरपोर्ट का रडार सिस्टम कैसे काम करता है, आप भी जानें

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक को कैसे कंट्रोल किया जाता है, तो आपको भी इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए।

know about airport radar system

अच्छा, आपने कभी न कभी हवाई यात्रा तो ज़रूर किया होगा? नहीं किया, ओके जी! अगर हवाई यात्रा नहीं किया है तो भी आपने एक बार नहीं बल्कि कई बार तो ये ज़रूर सोचा होगा कि यार, ये एयर ट्रैफिक कैसे काम करता है? यानि हवाई जहाज कैसे इतने आसानी से सही जगह लैंड कर जाती है? एयर ट्रैफिक को कैसे कंट्रोल किया जाता और कैसे विमान चालक को इसकी सूचना दी जाती है?

ऐसे तमाम सवालों का जवाब अगर आप भी जानना चाहते हैं, तो आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए। क्योंकि, इस लेख में हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि एयर ट्रैफिक, राडार सिस्टम आदि कैसे काम करता है और साथ में ये भी बताने जा रहे हैं कि हवाई जहाज में बैठे विमान चालक इसे कैसे फॉलो करते हैं, तो आइए जानते हैं।

पहले जान लेते हैं रडार क्या है?

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दुनिया के व्यस्त हवाई अड्डों से एक दिन में हजारों फ्लाइटें ऑपरेट होती हैं। यह सब राडार सिस्टम या एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों की मुस्तैदी के बिना मुमकिन नहीं है। रडार जिसे (रेडियो डिटेक्शन एंड रैंगिंग) कहते हैं, यह रडार हवाई जहाज की लोकेशन, डायरेक्शन आदि बहुत सी जानकारी रेडियो वेव्स की मदद से सेंड और रिसीव करता है।

ऐसा कहा जाता है कि रेडियो वेव्स से लक्ष्य का पता लगाया जाता है। राडार के माध्यम से वेव भेजी जाती है और वस्तु से टकराकर जो वेव आने में समय लगता है उसे कैलकुलेट करके यह मालूम किया जाता है कि प्लेन आने में कितना समय है।(पासपोर्ट ऑनलाइन ऐसे करें अप्लाई)

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राडार की मदद से ही एयर ट्रैफिक को कंट्रोल किया जाता है। जब वेव विमान से टकराकर वापिस आती है यह जानकारी मिल जाती है कि हवाई जहाज किस दिशा से आ रही है। एक अन्य तर्क है कि वेव को राडार सिस्टम कैच कर लेता है, फिर अपने आप मैप डिज़ाइन करता है जिससे यह पता चल जाता है कि कौन सा विमान किस गति से चल रहा है और धरती पर कितने समय में पहुंच जाएगा।

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एयर ट्रैफिक कंट्रोल

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एयरपोर्ट में जो एयर ट्रैफिक कंट्रोल मौजूद होता है उसमें antenna diplexer, Phase lock loop receiver और proscessing लगा होता है, जहां से छोटी-छोटी वेव निकलती है और ये वेव प्लेन से टकराकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल के पास आती है, जिससे ये पता चलता है कि हवाई जहाज सही डिश में उड़ रही है या नहीं। जैसे ही वेव के गलत दिशा में हवाई जहाज उड़ती है, तो तुरंत एयर ट्रैफिक कंट्रोल सूचित करता है।

रडार की रेंज

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रडार की रेंज काफी अधिक होती है। कहा जाता है कि हजारों मिल दूर से हवाई जहाज की स्पीड, लोकेशन और डायरेक्शन रडार की मदद से पता चल जाता है। आपको बता दें कि आपदा का पता लगाने के लिए, मौसम विभाग की जानकारी इत्यादि के लिए भी राडार का ही इस्तेमाल किया जाता है। वहीं एयर ट्रैफिक कंट्रोल रडार (ATC-Radar) हवाई यातायात को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग किया जाता है।

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इस लेख को पढ़ने के बाद आप यक़ीनन जान गए होंगे कि एयरपोर्ट का रडार सिस्टम कैसे काम करता है और ये भी जान गए होंगे कि कैसे आसानी से हवाई जहाज जमीन के एयरपोर्ट के संपर्क में रहती है।

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Image Credit:(@dj, freepik)

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