स्कूल या पब्लिक प्लेस पर आपकी बच्ची के साथ नहीं कर पाएगा कोई बदतमीजी, पहले ही सिखा दें ये 5 अहम बातें

बच्चियों की सुरक्षा के लिए उन्हें सशक्त बनाना जरूरी है। स्कूल जाने या पब्लिक प्लेस पर वीजिट करने से पहले अगर आप अपनी छोटी सी बच्ची को कुछ जरूरी बातें सिखाएंगी, तो वे अपने आप को मजबूत बना सकती हैं। साथ ही, किसी की बदतमीजी से बच भी सकती हैं।
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आज के दौर में बच्चियों की सुरक्षा, माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। स्कूल हो या कोई पब्लिक प्लेस, पेरेंट्स के मन में हमेशा यह चलता रहता है कि उनकी बच्ची सुरक्षित और हंसती-खिलखिलाती रहे। ऐसे में, बाहरी खतरों से बचाने का सबसे पहला कदम है उन्हें खुद को सुरक्षित रखने के तरीके सिखाना। इसके लिए आपको सिर्फ बाहरी सुरक्षा उपायों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। बच्चियों को सशक्त बनाना इतना जरूरी है कि वे किसी भी गलत स्थिति को पहचान सकें और उससे खुद को बचा सकें। इस लेख में हम आपको उन 5 अहम बातों के बारे में बताएंगे, जो आपको अपनी बच्ची को जरूर सिखाना चाहिए, ताकि कोई भी उसके साथ बदतमीजी न कर पाए।

बच्चियों को पब्लिक प्लेस पर खुद को सुरक्षित रखने के लिए ऐसे समझाएं

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अच्छा स्पर्श और बुरा स्पर्श का फर्क बताएं

यह सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण बात है जो हर बच्चे को पता होनी चाहिए। उन्हें बताएं कि शरीर के कुछ हिस्से प्राइवेट होते हैं जिन्हें कोई नहीं छू सकता, सिवाय डॉक्टर या माता-पिता के, वो भी केवल तभी जब बहुत ज़रूरी हो। समझाएं कि अगर कोई उन्हें ऐसे छूता है जिससे उन्हें अजीब, असहज या बुरा महसूस हो, तो वह 'बुरा स्पर्श' है। बताएं कि अगर कोई उन्हें गलत तरीके से छूता है या उन्हें असहज महसूस कराता है, तो उन्हें तुरंत उस जगह से हट जाना चाहिए और जोर से 'नहीं' कहना चाहिए। उन्हें सिखाएं कि ऐसी किसी भी घटना के बारे में आपसे या किसी भरोसेमंद बड़े से तुरंत बात करें, चाहे वह कोई भी हो, परिवार का सदस्य या बाहर का कोई व्यक्ति। उन्हें आश्वासन दें कि आप हमेशा उनकी बात सुनेंगे और उन पर विश्वास करेंगे।

बेटी को 'नहीं' कहना सिखाएं

बच्चों को अपनी सीमाएं तय करना और 'नहीं' कहना सिखाना बेहद जरूरी है। उन्हें समझाएं कि अगर कोई उन्हें कुछ ऐसा करने को कहता है जो उन्हें पसंद नहीं, या उन्हें असहज महसूस कराता है, तो उन्हें 'नहीं' कहने का पूरा अधिकार है। यह भी सिखाएं कि अगर कोई उनकी बात नहीं सुनता है और जबरदस्ती करता है, तो उन्हें चीखना, चिल्लाना या भागना चाहिए।

उन्हें बताएं कि उनकी भावनाएं महत्वपूर्ण हैं और उन्हें हमेशा अपनी अंतर्ज्ञान पर भरोसा करना चाहिए। अगर उन्हें कोई व्यक्ति या स्थिति ठीक नहीं लगती, तो उन्हें उससे दूर रहना चाहिए।

अजनबियों से बात न करने और उनसे चीजें न लेने की सीख दें

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यह एक क्लासिक लेकिन हमेशा प्रासंगिक सलाह है। अपनी बच्ची को बताएं कि उन्हें किसी भी अजनबी से बात नहीं करनी चाहिए, खासकर अगर वे अकेले हों। उन्हें सिखाएं कि अजनबी अगर उन्हें कोई कैंडी, खिलौना या कोई और चीज़ देने की कोशिश करें, तो उसे बिल्कुल न लें। समझाएं कि अगर कोई अजनबी उनसे लिफ्ट देने या पता पूछने के बहाने पास आने की कोशिश करे, तो उन्हें तुरंत दूर हट जाना चाहिए और मदद के लिए किसी बड़े को पुकारना चाहिए। उन्हें 'अजनबी' की परिभाषा भी समझाएं कि वह कोई भी हो सकता है जिसे वे नहीं जानते, भले ही वह दोस्ताना लगे।

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इमरजेंसी में किससे मदद मांगनी है, यह बताएं

बच्चों को यह जानना जरूरी है कि अगर वे कभी खतरे में पड़ें या मदद की जरूरत हो, तो वे कहां जाएं। उन्हें कुछ सुरक्षित जगहों की पहचान करना सिखाएं, जैसे पुलिसकर्मी, सुरक्षा गार्ड, किसी दुकान के अंदर दुकानदार, या ऐसे माता-पिता जिनके साथ बच्चे हों। उन्हें अपना पूरा नाम, माता-पिता का नाम और फोन नंबर याद करवाएं। उन्हें बताएं कि अगर वे रास्ता भटक जाएं या खुद को असुरक्षित महसूस करें, तो इन सुरक्षित लोगों से मदद कैसे मांगें। फोन पर इमरजेंसी नंबर जैसे 100 या 112 डायल करना भी सिखाएं, भले ही उन्हें अभी तक फोन इस्तेमाल करना न आता हो।

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इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सुरक्षा के नियम सिखाएं

आजकल बच्चे कम उम्र में ही इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने लगते हैं, जिससे नए खतरे पैदा होते हैं। उन्हें सिखाएं कि वे ऑनलाइन किसी भी अजनबी से बात न करें और अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी जैसे पता, स्कूल का नाम, फोन नंबर किसी के साथ साझा न करें।बताएं कि वे अपनी तस्वीरें या वीडियो किसी को भी न भेजें, खासकर अगर कोई ऐसा करने के लिए दबाव डाले।

उन्हें साइबरबुलिंग यानी ऑनलाइन धमकाने के बारे में बताएं और सिखाएं कि अगर उनके साथ ऐसा कुछ होता है, तो उन्हें तुरंत आपको बताना चाहिए। उन्हें यह भी समझाएं कि ऑनलाइन जो कुछ भी दिखता है, वह हमेशा सच नहीं होता, और किसी भी व्यक्ति की बातों पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।

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Image credit- Freepik


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