शिव जी के इन मंदिरों में छिपा है पंचतत्व का रहस्य, अंदर प्रवेश के बाद होने लगती है ये अनुभूतियां

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह पंचतत्वों पर आधारित 5 शिवालयों का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 

 
ekambaranathar to Thillai nataraja Shiva temples showing five elements of nature ()

सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ की उपासना करने के लिए सावन मास बेहद शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। इस पावन माह में भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने के लिए दूरी पर स्थित शिवालयों पर जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर आपकी कोई मनोकामना है, जिसे पूरी करना चाहते हैं, तो सावन माह में विधिवत रूप से शिव जी की पूजा-पाठ करने से लाभ हो सकता है। बता दें, भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग से जुड़े मंदिरों की तरह पंचतत्व पर आधारित उन 5 शिवालयों का बहुत महत्व माना गया है। जिनके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो सकती है। साथ ही सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि भगवान भोलेनाथ के पंचतत्व मंदिरों से जुड़ी रहस्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

एकंबरनाथ मंदिर,पृथ्वी तत्व

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एकंबरनाथ मंदिर पृथ्वी तत्व पर आधारित है। यह मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। यहां शिवलिंग आम के पेड़ के नीचे प्रतिष्ठित है। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही जातक के सभी कष्ट और चिंताएं दूर हो जाती है। वहीं बालू से बनें एकंबरनाथ शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बजाय छींटे देकर किया जाता है।

जंबूकेश्वर मंदिर, जल तत्व

जंबूकेश्वर मंदिर त्रिचिरापल्ली में स्थित है। यह मंदिर जल तत्व का प्रतीक है। यहां मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग को स्थानीय लोग अप्पू लिंगम के नाम से पूजते हैं। जिसका अर्थ जल लिंगम है। भगवना भोलेनाथ का ये मंदिर बेहद पावन है। ऐसी मान्यता है कि यहां एक समय में माता पार्वती ने जल से शिवलिंग निकाल कर महादेव की पूजा की थी। इसलिए इसे जल तत्व से जोड़ा गया है।

अरुणाचलेश्वर मंदिर, अग्नि तत्व

अरुणाचलेश्वर मंदिर अग्नि तत्व से जुड़ी है। यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के इस मंदिर में दर्शन और पूजन करने से भगवान शिव के जीवन में छाया अंधकार दूर हो जाता है। साथ ही अधिक ऊर्जा की भी प्राप्ति होती है।

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कालहस्तीश्वर मंदिर, वायु तत्व

कालहस्तीश्वर मंदिर वायु तत्व से जुड़ी है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के जिला चित्तुर के काला हस्ती क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर को शिव भक्त दक्षिण का कैलाश कहकर बुलाते हैं। इस शिवलिंग को वायु लिंग या कर्पूर लिंगम के नाम से भी जाना जाता है। यहां शिवलिंग पर न तो जल चढ़ाया जाता है और न ही इसका स्पर्श किया जाता है।

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नटराज मंदिर, आकाश तत्व

natraja temple

नटराज मंदिर आकाश तत्व से जुड़ी है। यह मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम शहर में स्थित है। इस मंदिर को थिल्लई नटराज मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव को नृत्य करते हुए दर्शाया गया है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान की लिंग की बजाय मूर्ति या फिर कहें साकार रूप की पूजा होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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