3 से 7 साल के बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए जरूरी हैं ये 6 बातें

अच्छी परवरिश के लिए जरूरी है कि माता पिता बचपन से अपने बच्चों की क्रियाओं पर ध्यान दें। तो चलिए एकसपर्ट से जानते हैं कि 3 से 7 साल के बच्चों को कैसे हैंडल करना चाहिए।

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बच्चों की परवरिश हर माता-पिता के लिए बड़ी चुनौती होती है। उनके मन में हमेशा यह प्रश्न रहता है कि आखिर अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ कैसे बनाएं। जिस तरह से वर्तमान समय में किशोर उम्र के बच्चों में अपराध और अवसाद के मामले देखने को मिल रहे हैं, उसने चिंता और बढ़ा दी है। बच्चे को सिखाने की असल उम्र तीन से सात वर्ष है। यह उम्र बच्चों के व्यवहार को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखकर आप अपने छोटे बच्चों को समझदार और सक्षम युवा बना सकते हैं। तो चलिए आर्टेमिस अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के प्रमुख मनोचिकित्सक व प्रमुख सलाहकार डॉ. राहुल चंडोक से जानें, 3 से 7 साल के बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।

बच्चों को बात से नहीं, बल्कि काम से सिखाइए

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3 से 7 साल की उम्र बच्चों के मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाती है। इस उम्र में बच्चे अपने आसपास के परिवेश को देखकर सीखते हैं। ऐसे में अपने व्यवहार से बच्चे के सामने वह उदाहरण प्रस्तुत कीजिए, जैसी आप उससे अपेक्षा कर रहे हैं। अगर आप चाहते हैं कि बच्चा गाली न दे, चीखे-चिल्लाए नहीं, बात माने, बड़ों का सम्मान करे, तो आपको उसके समक्ष स्वयं इसका उदाहरण बनना होगा। आप स्वयं अपशब्दों का प्रयोग करते हुए बच्चे से अच्छे व्यवहार की उम्मीद नहीं कर सकते।

बच्चों को छूट देने की सीमाएं तय कीजिए

बच्चों को हर बात पर टोकना सही नहीं है, लेकिन उन्हें कितनी छूट दी जानी है, उसकी सीमा भी निर्धारित होनी चाहिए। आपको उसके व्यवहार में छोटी से छोटी नकारात्मकता पर भी ध्यान रखना चाहिए। बच्चा कुछ भी ऐसा करे, जो सही नहीं है, तो उसके तुरंत टोकिए। डांटने के बजाय उसे आराम से समझाइए कि उसने जो किया या बोला है, वह गलत है और उसके क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं। बातचीत एवं व्यवहार को लेकर एक नियम तय रखिए और परिवार के हर सदस्य को उन नियमों का पालन करने को कहिए। इसके अलावा दिनचर्या में नियमितता भी जरूरी है।

बच्चों के अच्छे काम की तारीफ कीजिए

बात बच्चों की हो या बड़ों की, तारीफ हर किसी को अच्छी लगती है। अगर बच्चे को उसके किसी गलत काम पर टोकते हैं, तो उसके अच्छे काम पर उसकी तारीफ भी कीजिए। बच्चे को ऐसा अनुभव मत कराइए कि वह केवल गलत ही करता है। वह जब भी कुछ अच्छा बोले या करे, तो उसकी प्रशंसा कीजिए। किसी अच्छे काम के लिए उसे छोटे उपहार दीजिए। और सबसे बड़ी बात, बच्चे से सोच-समझकर वादे कीजिए और अगर कोई वादा कर दिया हो, तो उसे पूरा अवश्य कीजिए। भले ही वह वादा एक टॉफी देने का ही क्यों न हो।

बच्चों की हर बात मत मानिए

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कई बार माता-पिता प्रेम के वश में बच्चे की हर बात पर हामी भर देते हैं। इससे आगे चलकर बच्चे में जिद की भावना बढ़ सकती है, ऐसा मत कीजिए। अगर बच्चे की कोई मांग सही नहीं है, तो उसे मना कीजिए। उसे यह पता होना चाहिए कि हर जिद पूरी नहीं होती है।

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बच्चों को मोबाइल से दूर रखने में है समझदारी

आज के समय में बहुत से माता-पिता बच्चों को थोड़ा व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल फोन पकड़ा देते हैं। यह गलत है। इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के विकास पर दुष्प्रभाव पड़ता है। स्क्रीन टाइम को कम से कम रखिए। साथ ही उन्हें आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। घर में उन्हें समय दीजिए और उनके साथ कुछ खेलिए।

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बच्चों की बातों को न करें इग्नोर

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सबसे महत्वपूर्ण बात, आप कितने भी व्यस्त हों, अगर बच्चा कुछ कहना चाह रहा है तो थोड़ा समय निकालकर उसकी बात सुनिए। इससे बच्चे अपने विचार रखने के लिए प्रोत्साहित होते हैं, जो आगे चलकर उनके व्यवहार का महत्वपूर्ण पहलू साबित होता है। बच्चों की भावनाओं का सम्मान कीजिए और जब बच्चे अपना विचार व्यक्त करने लायक हो जाएं तो उनकी राय को भी सुनिए।

इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप बच्चे को अच्छी परवरिश दे सकते हैं, जिससे आगे चलकर वह सजग और समझदार व्यक्ति बनकर सामने आएगा।

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Image credit- Herzindagi

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