फिल्मी दुनिया से लेकर वास्तविक दुनिया में अक्सर लोग सांप को दूध पिलाते हैं। नागपंचमी, शिवरात्रि या सावन के दिनों में ऐसे दृश्य देखने को मिलता है कि जब बड़ी संख्या में लोग सांप को दूध पिलाते हैं। हिंदू धर्म में सांपों को देवता का दर्जा दिया जाता है। स्वयं भगवान शिव सांप को अपने गले में लपेटकर रखते हैं। ऐसे में लोग सांप को भगवान के सामान दर्जा देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सांप दूध नहीं पिता है।
समाज में सांप को दूध पिलाना शुभ माना जाता है। यही वजह है कि अधिकतर लोग मानते हैं कि सांप दूध पीता है। लेकिन अगर विज्ञान की मानें तो सांप दूध नहीं पिता है। बायोलॉजी के अनुसार सांप एक सरीसृप वर्ग का मांसाहारी जीव है। यह अपने आहार के रूप में मेंढक, चूहा और दूसरे जीव का मांस खाता है। लेकिन अपनी स्वेच्छा से दूध कभी नहीं पीता है।
सांप क्यों नहीं पिता है दूध?
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सपेरे लोगों को सांप का करतब दिखाने के लिए लंबे समय तक भूखा-प्यासा रखते हैं। ऐसे में जब उन्हें दूध मिलता है, तो दूध पीने के अलावा उनके पास कोई और उपाय नहीं रहता है। भूख मिटाने के लिए वह दूध पी लेते हैं। लेकिन बता दें कि अगर दूध सांप के फेफड़ों में घुस जाता है, तो उसे निमोनिया हो जाता है, जिसके कारण सांप मर भी सकता है।
सांप पकड़ने पर होती है सजा?
भारत में अनेक प्रकार की प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं। उतनी ही तेजी से लोग इनका शिकार करते हैं। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार सांप शेड्यूल वन श्रेणी का प्राणी है। सांप को मारना या पकड़ना दोनों ही कानूनन अपराध है। इस नियम के अनुसार अगर कोई व्यक्ति पहली बार सांप पकड़ता है, तो उसे तीन की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माना के तौर पर देना पड़ता है। दूसरी बार यह काम करने पर शख्स को सात साल की सजा और 25 हजार जुर्माना लगता है।
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