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diwali  green fire crackers are allowed only for two hours supreme court order

सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर: इस दीवाली 2 घंटों के लिए छुड़ाए जा सकते हैं केवल यह खास पटाखे

इस बार सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर से बैन हटा दिया और सभी को दीवाली पर पटाखे छुड़ाने की इजाजत मिल गई है। मगर, यह इजाजत कुछ शर्तों पर दी गई है। यह शर्तें क्‍या हैं आइए जानते हैं। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-11-01, 13:24 IST

हिंदुओं में दीवाली के त्‍योहरा का विशेष महत्‍व है। इस दिन को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर घर में दिए जलाए जाते हैं और मिठाई का आदान प्रदान किया जाता है। इसके बाद बारी आती है पटाखों की। जी हां, दीवाली पर पटाखे न छुड़ाने पर दीवाली अधूरी सी लगती है। हालाकि इससे काफी प्रदूषण होता है और दूसरे नुकसान भी होते हैं। मगर, बावजूद इसके पटाखों के बगैर दिवाली अधूरी होती है। पिछली दीवाली पर पटाखों पर बैन था। मगर, इस बार सुप्रीम कोर्ट ने यह बैन हटा दिया और सभी को दीवाली पर पटाखे छुड़ाने की इजाजत मिल गई है। मगर, यह इजाजत कुछ शर्तों पर दी गई है। यह शर्तें क्‍या हैं आइए जानते हैं। 

diwali  green fire crackers are allowed only for two hours supreme court order

क्‍या हैं शर्तें 

दिवाली पर पटाखों की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसला सुना दिया है। यह फैसला लोगों की चहरों पर मुस्‍कुराहट तो लाया मगर साथ ही लोगों के मन में सवाल भी खड़े कर गया है। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दीवाली के त्‍योहार पर पटाखे जलाने पर इस साल रोक नहीं है। लेकिन पटाखे रात में 8 से 10 बजे के बीच सिर्फ 2 घंटे के लिए ही जलाए जा सकेंगे। साथ ही दीवाली या अन्य किसी त्योहार पर सिर्फ ग्रीन पटाखे यानी कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा। अब सवाल यह उठता है कि आखिर ये ग्रीन पटाखे हैं क्या और ऐसे कौन से पटाखे हैं जिन्हें जलाने से प्रदूषण कम होगा? 

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क्‍या हैं ग्रीन पटाखे 

ग्रीन पटाखों के बारे में सभी लोग जानना चाहते हैं। आखिर ऐसे कौन से पटाखे हैं जिन्‍हें जलाने से प्रदूष नहीं होगा। दरअसल, सीएसआईआर ने पल्‍यूशन फ्री पटाखों को बनाने को तरीका खोज निकाला है। CSIR यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने पटाखों का ऐसा फॉर्म्युला तैयार किया है जिसे ग्रीन पटाखों का नाम दिया गया है। यह पटाखे बेहद खास है और इनमें इस्‍तेमा किया गया फॉर्मुला भी बेहद खास है। इन पटाखों में धूल को सोखने की क्षमता है। साथ ही इन पटाखों से होने वाला उत्सर्जन लेवल भी बेहद कम है। इनमें पटाखों का एक फॉर्म्युला ऐसा भी है जिससे वॉटर मॉलेक्यूल्स यानी पानी के अणु उत्पन्न हो सकते हैं जिससे धूल और खतरनाक तत्वों को कम करने में मदद मिलेगी। 

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ई-पटाखे भी जल्‍द आएंगे बाजर में 

प्रदूषण फ्री पटाखों के साथ ही सीएसआईआर ने ई-कैक्रर यानी इलेक्ट्रॉनिक पटाखों का प्रोटोटाइप भी तैयार किया है। अगर लोग ग्रीन पटाखों से भी परहेज कर रहे हैं तो वे इस दीवाली  ई-पटाखे भी जला सकते हैं। CSIR के NEERI इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए पटाखों के इन फॉर्म्युलों को पेट्रोलियम ऐंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन PESO के पास भेजा जा चुका है और एक बार PESO इसे अप्रूव कर दे तो उसके बाद इन पटाखों का निर्माण तेजी से किया जा सकेगा ताकि इस वर्ष न सही तो अगले वर्ष की दीवाली पर पटाखों को जलाने की जरूरत न पड़े और बिजली से ही पटाखों का आनंद उठाया जा सके। 

 

ग्रीन पटाखों से पलूशन होगा कम 

पूरी तरह से तो नहीं मगर ग्रीन पटाखों से काफी हद तक पॉल्‍यूशन को कम किया जा सकेगा। CSIR के इन ग्रीन पटाखों के जरिए खतरनाक नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के साथ ही छोटे-छोटे कणों के उत्सर्जन में भी 30 से 35 प्रतिशत की कमी लाई जा सकेगी। हालांकि अभी भी यह कहना मुश्किल है कि इस दीवाली ग्रीन पटाखे मार्केट में कितने उपलब्‍ध होंगे  और क्‍या हर आम आदमी तक पहुंच पाएंगे या नहीं।

 

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