ऑनलाइन और ऑफलाइन FIR में कौन-सी करवानी होती है सही? आप भी जान लीजिए

भारत की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 1973 में एफआईआर दर्ज करने के बारे में बताया गया है। इसको फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट यानी एफआईआर कहा जाता है। इसमें वारदात की पहली जानकारी को पुलिस के पास लिखित या मौखिक रूप में दर्ज कराना होता है।
FIR related interesting facts

हमारे समाज में कई तरह के लोग रहते हैं, जिनमें अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग आपको मिल जाएंगे। वहीं, कई बार लोगों के साथ कुछ अप्रिय घटना हो जाती है, जिसकी वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना तक करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप भी किसी तरह की अपराधिक घटना के शिकार हुए हैं, तो आप पुलिस की मदद ले सकते हैं और नियमों के मुताबिक पुलिस आपकी मदद करने से पीछे नहीं हट सकती है। बशर्ते आपको उस अपराधिक मामले के खिलाफ एफआईआर लिखानी होगी। लेकिन अब भी कई लोग एफआईआर कराने से डरते हैं और खुद को कानूनी पचड़े से दूर रखने की कोशिश करते हैं। जब कि हर किसी को एफआईआर कराने के तरीके के बारे में जानने के साथ ही अपने अधिकारों के बारे में भी जानना चाहिए। तो चलिए हम आपको एफआईआर से जुड़ी चीजों के बारे में बताते हैं। आप अगली स्लाइड्स में इस बारे में जान सकते हैं...

क्या है एफआईआर?

दरअसल, भारत की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 1973 में एफआईआर दर्ज करने के बारे में बताया गया है। इसको फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट यानी एफआईआर कहा जाता है। इसमें वारदात की पहली जानकारी को पुलिस के पास लिखित या मौखिक रूप में दर्ज कराना होता है। इसके बाद संज्ञेय अपराध में शिकायत दर्ज होती है। फिर पुलिस आरोपी के खिलाफ आगे की कार्रवाई करती है।

ये है तरीका

बात अगर एफआईआर लिखाने के प्रोसेस के बारे में करें, तो भारत की दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के सेक्शन 154 में एफआईआर दर्ज करने के तरीके के बारे में बताया गया है। नियमों के हिसाब से पीड़ित व्यक्ति को पुलिस को मौखिक रुप में घटना बतानी होती है, और पुलिस इसे लिखकर एफआईआर दर्ज करती है जिसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू होती है।

ऑनलाइन या ऑफलाइन कैसे भी कर सकते हैं एफआईआर

आप जिस राज्य में एफआईआर करवाना चाहते हैं, वहां की पुलिस के आधिकारिक पोर्टल पर जाकर आप आसानी से ऑनलाइन तरीके से एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा ऑफलाइन एफआईआर दर्ज करवाने के लिए आपको पुलिस स्टेशन जाना होता है।

अपने अधिकार जानें

पुलिस आपकी एफआईआर लिखने से मना नहीं कर सकती है

एफआईआर की कॉपी पीड़ित पढ़ सकता है कि उसमें क्या लिखा है

एफआईआर पढ़ने के बाद ही साइन करें, पुलिस इसमें अपने मुताबिक कुछ भी बदलाव नहीं कर सकती है

आप एफआईआर की कॉपी मुफ्त में पुलिस स्टेशन से ले सकते हैं, जिसके लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है

अगर पुलिस आपकी शिकायत दर्ज करने से मना करती है, तो ऐसी स्थिति में आप पुलिस सुपरिटेंडेंट यानी एसपी, डीआईजी या आईडी से इसकी लिखित शिकायत कर सकते हैं।

इन बातों का भी रखें ध्यान

एफआईआर दर्ज कराते समय सभी जानकारियां ठीक तरह से दें

घटना का कोई चश्मदीद हो, तो उसके बारे में भी जानकारी दें

नाम, पता, मोबाइल नंबर, घटना की जगह, घटना के बारे में सभी जानकारियां एफआईआर में जरूर लिखवाएं

ध्यान रहे कि पीड़ित के द्वारा कोई जानकारी गलत देने पर भारतीय दंड संहिता 1860 के सेक्शन 203 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

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Image credit- Freepik


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