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Puja Mistakes: मूर्ति और तस्वीर पूजा में होता है गहन अंतर, कहीं आप भी तो नहीं करते आ रहे ये गलतियां

मूर्ति पूजा और तस्वीर पूजा दोनों ही एक दूसरे से भिन्न हैं। ऐसे में आइये जानते हैं इन दोनों के बीच का गहन अंतर।
Editorial
Updated:- 2022-11-14, 12:36 IST

Puja Mistakes: आप में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जो नियमित रूप से भगवान की प्रतिमा अर्थात मूर्ति की पूजा करते होंगे। वहीं, आप में से ही कुछ लोगों के घरों में तस्वीर यानी कि भगवान की फोटो की पूजा की जाती होगी। हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि मूर्ति पूजा और तस्वीर पूजा में काफी अंतर होता है। दोनों ही पूजा के नियम अलग होते हैं, विधि अलग होती है। यहां तक कि दोनों पूजाओं में कुछ चीजों को लेकर अत्यंत सावधानी बरतनी पड़ती है। ऐसे में चलिए जानते हैं तस्वीर और मूर्ति पूजा के बीच का विस्तृत अंतर।

मूर्ति और तस्वीर पूजा के बीच का अंतर (Idol and Picture Worship Difference)

  • मूर्ति पूजा सिद्ध पूजा कहलाती है जबकि तस्वीर पूजा मानस पूजा का रूप होती है। बता दें कि सिद्ध पूजा का अर्थ है पूर्ण विधि के साथ की गई पूजा और मानस पूजा का अर्थ है मानसिक अर्थात मन से की गई पूजा जिसमें विधि महत्वपूर्ण नहीं मानी जाती है।

murti puja

  • मूर्ति पूजा में आसन पर बैठकर पूजा करना अनिवार्य है जबकि तस्वीर में आसन पर बैठकर पूजा करने का बंधन नहीं होता।

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  • मूर्ति पूजा में अभिषेक करने का खास महत्व है जबकि तस्वीर पूजा में जलाभिषेक का स्थान नहीं होता।
  • मूर्ति पूजा में साधना कर इष्ट का आवाहन किया जा सकता है जबकि तस्वीर पूजा में साधना संभव नहीं होती है।
  • मूर्ति पूजा में इष्ट की पूजा स्थापना के बाद ही की जा सकती है जबकि तस्वीर पूजा (हनुमान जी की तस्वीर के वास्तु टिप्स) में इष्ट की स्थापना नहीं होती है।

murti tasvir puja

  • मूर्ति पूजा में मूर्ति का आकार 6 इंच (घर के मंदिर से जुड़े नियम) से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि तस्वीर पूजा में भगवान की तस्वीर कितनी भी बड़ी ली जा सकती है।
  • मूर्ति पूजा में किसी भी देवी या देवता के बीज मंत्रों का जाप किया जा सकता है जबकि तस्वीर पूजा में बीज मंत्रों के जाप पर मनाही है।

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  • यूं तो चाहे प्रतिमा हो या तस्वीर स्नान करके ही पूजा करनी चाहिए लेकिन स्वास्थ कुछ परिस्थितियों में तस्वीर पूजा में स्नान आदि न भी किया जाए तब भी शुद्धता मानी जाती है लेकिन मूर्ति पूजा में स्नान न करने पर आसन पर बैठने की सख्त मनाही होती है।

tasvir puja

  • मूर्ति पूजा में प्रतिमा की धातु का बेहद ध्यान रखा जाता है। यानी कि प्रतिमा की धातु या तो अष्टधातु से बनी हो या सोने- चांदी से। वहीं, तस्वीर पूजा में तस्वीर की धातु का अधिक महत्व नहीं होता है।

तो ये था मूर्ति और तस्वीर पूजा के बीच का अंतर। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Freepik, Herzindagi

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