हाल ही में मोदी सरकार ने जाति जनगणना के लिए मंजूरी दे दी है। बता दें कि देश की आखिरी पूर्ण जाति जनगणना साल 1931 में हुई थी। इसके बाद साल 1941 में जनगणना कराई तो गई थी, लेकिन उसके आंकड़े सामने नहीं आ पाए थे। वहीं इसके बाद जब साल 1952 में जनगणना हुई तो उस दौरान केवल अनुसूचित जाति और जनजाति को काउंट किया गया है। अंग्रेजों के दौर में साल 1872 में जनगणना की प्रक्रिया शुरू हुई थी। वहीं आखिरी बार यह साल 2011 में हुई थी। जब भी सरकार या कोई राज्य जातियों की गिनती की बात करते हैं, तो उस दौरान जाति जनगणना और जाति सर्वे जैसे दो शब्द सामने आ जाते हैं। इन दोनों शब्दों का जब कभी-भी नाम आता है, तो पहली नजर में ये दोनों एक जैसे लगते हैं। अगर आपको भी ये दोनों शब्द एक ऐसे लगते हैं, तो इस आर्टिकल में समझें दोनों में एक है अंतर-
जाति जनगणना और जाति सर्वे में क्या है अंतर? (Difference between Caste Census And Survey)
जाति जनगणना और जाति सर्वे में जो एक सबसे बड़ा अंतर है वह है लीगल स्टेटस, इसके तरीके और अथॉरिटी के आधार पर किया जाता है। जाति जनगणना नेशनल लेवल पर होती है। वहीं जाति सर्वे राज्य स्तर पर की जाती है। जाति जनगणना केंद्र सरकार द्वारा और जाति सर्वे एंजेसी या राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
किस एक्ट के तहत की जाती है जाति जनगणना (Which Ministry And Act is Under Caste Census)
जाति जनगणना सेंसस एक्ट 1948 के तहत की जाती है। इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनगणना कराने का साथ ही इससे जुड़ी गाइडलाइन में बदलाव कर सकती है। लेकिन वहीं जाति सर्वे को लेकर सेंसस एक्ट में किसी प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है।
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क्यों कराई जाती है जाति जनगणना? (Why Is Caste Census Conducted)
अब अगला सवाल आता है कि आखिर क्यों कराई जाती है जनगणना। बता दें कि जाति जनगणना से मिले आंकड़ों का इस्तेमाल सरकारी नीतियों और प्रोग्राम में सुधार के लिए किया जा सकता है। जाति जनगणना कराने के लिए कैबिनेट मिनिस्ट्री से मंजूरी कई मायने में आवश्यक हो सकती है। इसके तहत प्रोसेस और उद्देश्य को डिफाइन किया जाता है। हालांकि समय-समय पर जाति जनगणना के नियम और कानून में बदलाव होते रहते हैं।
क्यों जरूरी है जाति जनगणना (Why Is Caste Census Important)
भारत के कई क्षेत्रों में जाति-आधारित भेदभाव अभी भी मौजूद है। जाति जनगणना से आधार पर समुदायों की पहचान करने में मदद मिलती है जिन्हें अधिक सहायता की आवश्यकता है। सटीक डेटा के साथ, सरकार सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित लोगों के उत्थान के लिए लक्षित योजनाएं बना सकती हैं।
जाति भारत के समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति को आकार देने में एक मुख्य भूमिका निभाती है। जाति जनगणना जनसंख्या की संरचना को समझने में मदद करता है। साथ ही शोधकर्ताओं, सामाजिक वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को यह विश्लेषण करने में मदद मिलती है।
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