हिंदू धर्म में छठ पूजा का त्यौहार बहुत ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पूजन से विवाहित स्त्रियों का सौभाग्य बना रहता है और संतान की उन्नति के मार्ग खुलते हैं। इस पूजा का महत्व न सिर्फ बिहार में बल्कि पूरे देश में बहुत ज्यादा है और इसे मनाने के कुछ ख़ास तरीके भी हैं।
ऐसा माना जाता है कि यदि कोई महिला पूरे विधि विधान के साथ छठ की पूजा करती है तो उसके जीवन में हमेशा सौहार्द्र बना रहता है। छठ का पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।
यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा व उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। इस साल छठ पूजा 30 अक्टूबर (संध्या अर्घ्य) और 31 अक्टूबर (उषा अर्घ्य) को पड़ेगी। इस दिन यदि आप विधि विधान से छठ माता की पूजा करेंगी तो आपके जीवन में सदैव सुख समृद्धि बनी रहेगी। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें छठ पूजा की सही विधि के बारे में।
छठ पूजा की सामग्री
इस दिन पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियों में से दूध,धूप, गुड़, जल, थाली, लोटा, चावल, सिंदूर, दीपक, नए वस्त्र, बांस की 2 टोकरी, पानी वाला नारियल, पत्ते लगे गन्ने या बांस, अदरक का हरा पौधा, धूपबत्ती या अगरबत्ती, नाशपाती या शकरकंदी, हल्दी, कुमकुम, चंदन, पान, सुपारी आदि।
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छठ पूजा निर्जला व्रत विधि (Chhath Puja Nirjala Vrat Vidhi 2022)
- छठ पूजा के दिन प्रात जल्दी उठें और स्नान आदि से मुक्त होकर छठ के व्रत का संकल्प लें।
- छठ पूजा के दिन पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें और निर्जला व्रत का पालन करें।
- छठ के पहले दिन शाम को नदी के तट पर जाएं और वहां स्नान आदि करके सूरज को संध्या अर्घ्य दें।
- सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए बांस की टोकरी का ही प्रयोग करें और जल से अर्घ्य दें।
- जिन टोकरियों का इस्तेमाल आप पूजा में कर रही हैं इसमें फल, फूल, सिंदूर आदि सभी पूजा की सामग्रियां ठीक से रखें।
- इसके साथ टोकरी में ही ठेकुआ, मालपुआ और अन्य व्यंजन भी भोग स्वरुप चढ़ाएं।
- सूर्य देव को अर्घ्य देते समय ध्यान रखें कि सभी सामग्रियां सूप में रखी होनी चाहिए।
- पूरे दिन और रात भर निर्जला व्रत का पालन करने के बाद आप अगले दिन सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य दें।
छठ पूजा में क्या किया जाता है
- छठ पूजा के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है। इस दिन पूरा मिलकर भोजन तैयार करता है और दोपहर में इसे सभी लोग एक साथ मिलकर ग्रहण करते हैं।
- छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है जिसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और ये व्रत सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त तक रखा जाता है। संध्याकाल में सूर्य की पूजा के बाद महिलाएं उस दिन के व्रत का पारण करती हैं। इसके अगले दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर सूरज की पूजा की जाती है।
छठ पूजा का महत्व
छठ का व्रत सूर्य देव, ऊषा , प्रकृति, जल और वायु को समर्पित माना जाता है। ज्योतिष की मानें तो इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं की संतान का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और उसे दीर्घायु का वरदान मिलता है। इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली स्त्रियों को संतान सुख का आशीष मिलता है और उन पर छठ माता की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है। जो महिलाऐं इस व्रत को नियम से करती हैं उनके जीवन में सदैव सुख समृद्धि बनी रहती है और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
ऐसी मान्यता है कि जो महिला छठ पूजा का पालन विधि विधान से करती है उसकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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