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नवरात्रि में क्यों करते हैं कन्या पूजन? आचार्य सचिन शिरोमणि जी से जानिए

अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। आचार्य सचिन शिरोमणि से जानिए कन्या पूजन का महत्व और विधि
Editorial
Updated:- 2021-04-19, 17:03 IST

हिंदू धर्म में नवरात्रि त्योहार की बहुत मान्यता है। इन दिनों पूरे देश में चैत्र नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को बुलाकर उनकी पूजा कर भोजन कराया जाता है। इस बार अष्टमी 20 अप्रैल 2021 और नवमी 21 अप्रैल 2021 को मनाई जाएगी। इस दिन कन्याओं के पांव धोए जाते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। माना जाता है कि कन्याओं को नौ देवी का स्वरूप मानकर उनकी सेवा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं।

इस दिन भक्त अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं को उपहार भी देते हैं। दिल्ली के जाने-माने पंडित आचार्य सचिन शिरोमणि जी ने बताया कि नवरात्रि में कन्या पूजन क्यों किया जाता है और इसकी विधि और महत्व क्या है।

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कन्या पूजन का महत्व

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नवरात्रि में नौ कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। कन्या पूजन के बिना नवरात्रि का त्योहार अधूरा है। पंडित जी के अनुसार, कन्या पूजन का सबसे अच्छा दिन अष्टमी का होता है। यह दिन कन्या पूजन के लिए बेहद शुभ होता है। हालांकि, नवमी के दिन भी कन्या पूजन किया जा सकता है। कन्या पूजन से मां दुर्गा की कृपा सदैव भक्त पर बनी रहती है।

कन्या पूजन में कन्याओं की उम्र और संख्या

पंडित सचिन शिरोमणि ने बताया कि कन्या पूजन में बैठने वाली कन्याओं की उम्र 9 साल तक होनी चाहिए। इसके अलावा आप नौ से ज्यादा कन्याओं का भी कन्या पूजन में बैठा सकते हैं। इसके अलावा एक बालक का भी कन्या पूजन में शामिल होना जरूरी होता है। जिस तरह से मां दुर्गाकी पूजा भैरव के बिना अधूरी मानी जाती है, वैसे ही कन्या पूजन भी बालक के बिना अधूरा माना जाता है। बालक को भैरव का रूप माना गया है।

 

कन्या पूजन की विधि

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1. कई लोग अष्टमी तो कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। कन्या पूजा से एक दिन पहले कन्याओं और एक बालक को अपने घर आमंत्रित किया जाता है।

2. अगले दिन कन्याओं और बालक के आने पर स्वच्छ जल से उनके पैर अपने हाथों से धोने चाहिए। 

3. इसके बाद कन्याओं से आशीर्वाद प्राप्त करें। 

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4. फिर सभी कन्याओं और बालक के अक्षत, फूल और कुंकूम का टीका लगाएं।

5. उसके बाद सभी को स्वच्छ आसन पर बैठाएं और मां दुर्गा को स्मरण कर सभी कन्याओं को सच्चे मन से भोजन कराएं।

6. भोजन कराने के बाद कन्याओं और बालक को अपने सामर्थ्य के अनुसार, दक्षिणा और उपहार देना चाहिए और आखिर में नौ देवी रूपी कन्याओं से आशीर्वाद लेना चाहिए।

 

कोरोना संक्रमण से बचाव जरूरी

इस समय देश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में नवरात्रि में अष्टमी और नवमी का त्योहार फीका पड़ सकता है। इस समय हर कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने मे लगा है। इसके अलावा लोग भी अपने बच्चों को किसी के घर भेजने से डर रहे हैं। तो ऐसे में कोशिश करें कि सीमित संख्या में ही कन्याओं को अपने घर पूजा के लिए बुलाएं और उनको बिठाने में सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखें। याद रखें कि जैसे ही बच्चे आपके घर आएं उनके हाथ सैनिटाइज जरूर करवा दें। आपके एहतियात बरतने से कन्या पूजन भी हो जाएगा और संक्रमण से भी बचाव होगा।   

 

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Image Credit: 4.bp.blogspot.com, news24online.com, googleusercontent.com

 

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