हवन एक ऐसा अनुष्ठान है जो सदियों से चला आ रहा है और लोग इसका पालन करते हैं। आमतौर पर किसी भी बड़े अनुष्ठान में हवन को शामिल किया जाता है और इससे घर का शुद्धिकरण होता है।
यह एक प्राचीन अनुष्ठान है जिसका उपयोग सदियों से स्थानों को शुद्ध करने के लिए किया जाता रहा है। हवन शब्द संस्कृत शब्द से आया है जिसका अर्थ है अग्नि में अर्पित करना। ऐसा कहा जाता है कि हवन से व्यक्ति और वातावरण दोनों पर सकारात्मक प्रभाव होता है।
ऐसा माना जाता है कि हवन की अग्नि का धुआं नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, जबकि आग की लपटों से निकलने वाली गर्मी और रोशनी वातावरण को शुद्ध और ऊर्जावान बनाती है। ऐसे ही हवन करने के कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं जिसमें इसका समय प्रमुख है।
हवन को एक बहुत पवित्र अनुष्ठान माना जाता है. लेकिन क्या इसे रात के समय किया जा सकता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इसके बारे में विस्तार से।
हवन क्या होता है?
यह एक सदियों पुराना हिंदू अनुष्ठान है जिसमें संस्कृत मंत्रों के साथ पवित्र अग्नि में घी, चीनी, जौ, गुड़ और अन्य सामग्री की आहुति दी जाती है। इससे आस-पास का वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मकता बनी रहती है।
हवन दस सकारात्मक गुणों या नियमों में से एक है जो उस भक्त के लिए निर्धारित है जिसकी आकांक्षा ईश्वर के करीब आने की होती है, इसके साथ पूरे परिवार का एकत्रित होना आपसी प्रेम और एकता को बढ़ावा देता है। यह सनातन धर्म के सिद्धांतों के अनुसार, मनुष्य के पांच दैनिक कर्तव्यों में से एक है और देव यज्ञ करने का एक तरीका भी माना जाता है।
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क्यों करना चाहिए हवन?
हवन का यज्ञ करने वाले भक्त और उसके पर्यावरण दोनों पर शुद्धिकरण प्रभाव पड़ता है। मंत्रों के जाप और अग्नि में आहुतियां देने से व्यक्ति के चक्र फिर से सक्रिय हो जाते हैं, जिससे शरीर और दिमाग दोनों के लिए एक पुनर्जीवित और कायाकल्प प्रभाव पैदा होता है।
इसके सकारात्मक विचार, शब्द और कार्य आगे की सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। सभी सामग्रियों का संयुक्त प्रभाव जब हवन में उपयोग किया जाता है, तो वातावरण में धूम्रकारी प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है, जिससे आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और जिस घर में यह किया जाता है उसके चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाया जाता है, जिससे किसी भी अप्रिय ऊर्जा से बचाव होता है। यह शांति, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य को प्रेरित करता है।
कब करना चाहिए हवन?
आदर्श रूप से,हवन आपको नियमित रूप से करना चाहिए। घर में परिवार के सभी सदस्यों को सप्ताह में कम से कम एक बार हवन जरूर करना चाहिए। अगर हम हवन करने के समय की बात करें तो किसी भी अन्य धार्मिक अनुष्ठान की ही तरह हवन भी सूर्योदय के बाद के शुरुआती घंटों में ही करने की सलाह दी जाती है।
सभी धार्मिक कार्यों के लिए सबसे अनुकूल समय प्रातः काल का ही होता है, क्योंकि उस समय वातावरण ऊर्जा से भरपूर होता है। इसके विपरीत कुछ मंदिरों में हवन का अलग समय हो सकता है।
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क्या रात के समय हवन करना ठीक है?
अगर ज्योतिष की मानें तो रात के समय हवन न करना ही ठीक होता है। ऐसा माना जाता है कि रात के समय कुछ नकारात्मक ऊर्जाएं सक्रिय हो जाती हैं और जिस स्थान पर हवन किया जाता है उस स्थान पर हवन का पूर्ण प्रभाव नहीं होता है।
रात के समय हवन करने से इसका पूर्ण फल नहीं प्राप्त होता है और हवन पूर्ण नहीं माना जाता है। हवन रात के समय करने से इसके साथ कुछ नकारात्मक शक्तियां भी आस-पास आने लगती हैं, क्योंकि रात के समय कई अवांछनीय शक्तियां विचरण करती हैं। कई तांत्रिक विद्या से जुड़े लोग भी रात के समय हवन करते हैं, इसलिए ईश्वर के निमित्त हवन हमेशा सूर्यास्त के पहले ही कर लेना चाहिए। हवन का सबसे अच्छा समय गोधूलि बेला से पहले का ही होता है।
हवन करने के फायदे क्या हैं?
हिंदू धर्म में कुछ मान्यताओं के अनुसार घर में हवन करना बहुत शुभ होता है और इससे कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं। हिंदू धर्म के विभिन्न संप्रदायों के अनुसार हवन समारोह से वातावरण भी शुद्ध होता है।
हवन की अग्नि में दी गई आहुतियां धुआं उत्पन्न करती हैं और इस धुएं में ऐसे रसायन होते हैं जो हमारे घरों के साथ-साथ हमारे शरीर के भीतर से भी नकारात्मक ऊर्जाओं को हटाते हैं। यह हमारे मस्तिष्क को साफ करने में भी मदद कर सकता है जिससे चिंता और तनाव दूर होता है।
ऐसा माना जाता है कि यह अनुष्ठान सीधे स्वर्ग की ओर ले जाता है और इसमें दी गई चीजों की आहुति सीधे ईश्वर से साक्षात्कार कराती है जिससे वातावरण में सकारात्मकता आती है।
एक प्रकार के अनुष्ठान के रूप में करने के अलावा, हवन समारोह का जीवन में बहुत आध्यात्मिक महत्व भी है। इसे हमेशा सही स्थान और समय पर करने की सलाह दी जाती है।
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