आपने घर के बड़े-बुजुर्गों को ऐसा कहते हुए कई बार सुना होगा कि प्रेग्नेंसी के समय आपको आध्यात्मिक रहना चाहिए, पूजा-पाठ में मन लगाना चाहिए और विचारों को सात्विक रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि आप इस दौरान जैसा सोचती हैं और जैसे भी आचरण रखती हैं उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है।
प्रेग्नेंसी या गर्भावस्था को किसी भी महिला के जीवन में एक पवित्र अवधि के रूप में देखा जाता है, जो आनंद, भावनात्मक परिवर्तन और आध्यात्मिक झुकाव से भरी होती है।
ऐसे ही कई महिलाएं इस अवधि के दौरान अपने और अपने होने वाले बच्चे की भलाई के लिए दैवीय आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थनाओं और पूजा-पाठ को भी ध्यान में रखती हैं।
कई लोगों की मान्यता है कि आपको प्रेग्नेंसी के दौरान सभी देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए, लेकिन शिवलिंग की पूजा इस दौरान नहीं करनी चाहिए। इस बात का पता लगाने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए जानें कि क्या प्रेग्नेंसी के दौरान शिवलिंग का पूजन करना ठीक है?
प्राचीन ग्रंथों और हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव एक दयालु देवता हैं जो अपने सभी भक्तों को सुरक्षा, आशीर्वाद और शांति प्रदान करते हैं। भगवान शिव को किसी भी कठोर रीति-रिवाज से मुक्त माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि शिव जी भक्ति भाव से की गई किसी भी पूजा को तुरंत स्वीकार करते हैं।
अगर हम धार्मिक ग्रंथों की बात करें तो किसी भी धर्म शास्त्र में शिवलिंग की पूजा को लेकर ऐसी कोई मनाही नहीं है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को शिवलिंग पूजन नहीं करना चाहिए।
अगर हम पूजा-पाठ की बात करें तो प्रेग्नेंसी की पूरी अवधि में यदि महिलाएं पूजा-पाठ करती हैं और शिवलिंग की पूजा करती हैं तो उन्हें किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों से दूर रहने में मदद मिलती है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसा कोई सख्त नियम नहीं है जो गर्भवती महिलाओं को शिवलिंग पूजा करने से रोकता हो। इसके विपरीत, ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान शिव की पूजा करने से मां और अजन्मे बच्चे दोनों को शांति, सकारात्मकता और सुरक्षा मिलती है।
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ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की शिवलिंग के रूप में पूजा करने से मां और बच्चा दोनों के मन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति अच्छी बनी रहती है।
प्रेग्नेंसी में शिव पूजन से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और कोई भी नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है। भगवान शिव के आशीर्वाद से मां और बच्चे के बीच में उपस्थिति उनके चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाती है, जिससे नकारात्मक प्रभाव और अपशकुन दूर रहते हैं।
गर्भावस्था कई बार तनाव और भावनात्मक उतार-चढ़ाव का कारण बन सकती है। शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाने और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करने से मन को शांत करने, चिंता को कम करने और भावनात्मक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है। यही नहीं ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की कृपा से प्रेग्नेंसी का समय शांति से बीत जाता है और मानसिक तनाव कम होता है। इस दौरान मां को कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस और शक्ति भी मिलती है और बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
ज्योतिष के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान भगवान शिव की पूजा करने से ग्रह दोषों और बुरे कर्मों और बाधाओं के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। इससे आपको कोई बुरी शक्ति प्रभावित नहीं करती है और जीवन में खुशहाली आती है।
प्रेग्नेंसी में शिवलिंग की पूजा करते समय लंबे समय तक खड़े रहने के बजाय आराम से बैठकर पूजा करें। आप आराम की मुद्रा में कुर्सी में बैठकर भी पूजा कर सकती हैं।
आप शिवलिंग पर नियमित रूप से जल चढ़ा सकती हैं जिससे आपको उनकी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। प्रेग्नेंसी में आप शिवलिंग को कच्चे दूध से भी स्नान करा सकती हैं।
पूजा के दौरान ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से गर्भवती मां को शांति और शक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इन मंत्रों में उपचारात्मक गुण होते हैं जो मन और शरीर दोनों को लाभ पहुंचाते हैं।
अगर आप भी प्रेग्नेंसी में शिवलिंग का पूजन करती हैं तो यहां बताई बातों का ध्यान रखें। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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