आज के समय की बढ़ती महंगाई के दौर में घर खर्च चलाना अपने आप में एक चैलेंजिंग काम है। घर में रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली चीजों के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी होने की वजह से महीने का बजट इतना ज्यादा बढ़ गया है कि इसकी वजह से कम आमदनी में घर का खर्च चलाना महिलाओं के लिए काफी ज्यादा मुश्किल हो गया है। जिन घरों में पति-पत्नी दोनों कमा रहे हैं, वहां भी घरेलू बजट बढ़ जाने की वजह से सेविंग्स कम हो गई है। यह चीज महिलाओं के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है, क्योंकि खर्च बढ़ने की वजह से उन्हें अपने इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करना पड़ रहा है और हॉलीडे/ टूर आदि में भी कटौती करनी पड़ रही है। जल्द ही सरकार बजट 2019 पेश करने वाली है, ऐसे में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि रोजमर्रा इस्तेमाल में आने वाली महत्वपूर्ण चीजों जैसे कि फूड आइटम्स, दूध, दवाएं आदि की कीमत बहुत ज्यादा न बढ़ें।
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दूध की कीमतें
किचन की बेसिक जरूरतों में से एक है दूध। बच्चों और बड़ों को तो दूध की जरूरत होती ही है, चाय बनाने, गर्मियों में ड्रिंक्स, शेक आदि बनाने के लिए भी दूध की जरूरत होती है। अगर घर में ज्यादा सदस्य हों तो दूध की खपत और भी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में दूध की कीमतें सस्ती हों तो घर-परिवार की अहम जरूरत पूरी होती है। इस साल अमूल गोल्ड की कीमतें 2 रुपये और बढ़ गईं और अहमदाबाद में 500 ml पैक के दूध की कीमतें रिवाइस होकर ₹ 27, ₹ 25, ₹ 21 और ₹ 28 हो गईं। अमूमन हर साल दूध की कीमत दो रुपये बढ़ जाती है, जिससे इसका रोजाना का इसका खर्च और भी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि सरकार इसे एशेंशियल कमॉडिटी की श्रेणी में रखते हुए इसकी कीमतों को बढ़ने से रोके, ताकि महिलाओं को इसमें राहत मिल सके।
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सिलेंडर
रोज किचन में खाना बनाने के लिए कुकिंग गैस का इस्तेमाल होता है। चाहें सब्सिडी वाले सिलेंडर हो या बिना सब्सिडी वाले, सभी पर आने वाले मासिक खर्च में इजाफा हुआ है। जिन सिलेंडरों पर सब्सिडी नहीं मिलती, उन पर कीमतें 6 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ गई हैं। हालांकि जिन सिलेंडरों पर अभी भी सब्सिडी मिल रही है, उन पर दिल्ली में 28 पैसे और मुंबई में 29 पैसे बढ़े हैं। लेकिन एक तथ्य यह भी है कि बहुत से परिवार स्वेच्छा से सिलेंडरों पर सब्सिडी छोड़ चुके हैं और उन्हें बढ़ी हुई कीमतों का सामना करना पड़ रहा है।
राशन का सामान
किचन में इस्तेमाल होने वाला अनाज, दालें, बिस्कुट, ब्रेड, मसाले जैसी चीजें भी मासिक बजट के अंतर्गत आती हैं और इनकी कीमतें बढ़ने से भी घर के बजट पर असर पड़ता है। एक छोटे परिवार के लिए पांच साल पहले महीने भर का राशन ₹4000-5000 रुपये में आ जाता था, लेकिन अब इसी सामान के लिए ₹7000-8000 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। इस साल के बजट में महिलाओं को उम्मीद होगी कि इन आवश्यक चीजों पर सरकार दाम बढ़ने से रोके, ताकि घर-परिवार की खान-पान से जुड़ी जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सके।
सब्जियों पर बढ़ गया है खर्च
लौकी, तोरई, भिंडी जैसी हरी सब्जियों की कीमत इस समय में 40-50 रुपये प्रति किलो चल रही है। इसके अलावा आलू, प्याज, प्याज, लहसुन, अदरक आदि के दाम भी काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। आजकल इतनी महंगी हैं कि दो वक्त के लिए सब्जी खरीने में अमूमन ₹150 रुपये का खर्च आ जाता है। ऐसे में महिलाएं चाहेंगी कि सरकार हरी सब्जी, टमाटर, प्याज जैसी चीजों की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
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