
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग हो चुकी है। वहीं दूसरे चरण की वोटिंग कल यानी 11 नवंबर को है। मतगणना 14 नवंबर को होगी। इस चुनाव में महिलाओं की भागीदारी और उनकी उम्मीदें काफी महत्वपूर्ण हैं। आज की महिला सिर्फ वोटर नहीं, बल्कि समाज और राजनीति में बदलाव लाने वाली ताकत बन चुकी है। शिक्षा, सुरक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के साथ अब महंगाई भी महिलाओं के एजेंडे में सबसे ऊपर है।
बिहार की रहने वाली जूली कुमारी ने अपनी उम्मीदों के बारे में बताया है। उनका कहना है कि बिहार में किसी की भी सरकार बने, बस हमारी तो यही मांग है कि महंगाई कम हो। महंगाई के कारण हमलोग तीज त्योहार भी अच्छे से नहीं मना पाते हैं। जूली की बातों से साफ है कि महंगाई अब आम महिलाओं के जीवन की सबसे बड़ी बोझ बन चुकी है, तो चलिए जानते हैं कि साल 2025 के इस चुनाव में बिहार की महिलाएं आने वाली सरकार से क्या चाहती हैं और उनके हक की मुख्य मांगें क्या हैं।
जूली चाहती हैं कि इस बार ऐसी सरकार बने जो आम आदमी की जेब पर बोझ कम करे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं रसोई गैस, दाल, तेल, सब्जी जैसी जरूरी चीजों के दाम कम हों। जब महंगाई कम होगी तो घर का खर्च भी संतुलित रहेगा और त्योहारों में भी खुशियां लौटेंगी।

जूली का मानना है कि सरकार को महिलाओं के स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। गांवों में महिलाओं को कई बार पेट दर्द, खून की कमी या और बाकी बीमारियां होती हैं, लेकिन अस्पताल दूर होने की वजह से समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। ऐसे में सरकार को हर पंचायत स्तर पर महिला स्वास्थ्य केंद्र बनवाना चाहिए और इलाज भी सस्ता होना चाहिए। इससे गरीब महिलाएं भी इलाज करा सकेंगी।
जूली ने बताया कि हमारे यहां अस्पताल बहुत दूर है, एंबुलेंस आने में देर होती है। कई बार मरीज को ले जाते-जाते हालत बिगड़ जाती है। डॉक्टर भी समय पर नहीं मिलते हैं। इस बारे में उन्होंने बताया कि गांव के पास छोटे अस्पताल या हेल्थ सेंटर बनाए जाने चाहिए, जिनमें महिला डॉक्टर और नर्स उपलब्ध हों।
जूली ने बताया कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए ताकि वे अपने मुद्दे खुद रख सकें। साथ ही जब महिलाएं पंचायत या विधानसभा में होंगी, तभी वे गांव की सही समस्याएं बता सकेंगी। सरकार को महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि वे आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें।
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जूली ने कहा कि मेरे लिए सबसे अहम मुद्दा महंगाई और स्वास्थ्य सुविधा है। महंगाई से हर घर परेशान है और स्वास्थ्य सुविधा के बिना जीवन मुश्किल हो रहा है। ऐसे में जब दोनों में सुधार होगा, तभी गांव खुशहाल बनेंगे।
मेरा मानना है कि सरकार ने कुछ योजनाएं जरूर शुरू की हैं, लेकिन वे हर जरूरतमंद तक नहीं पहुंच पाती हैं। योजनाएं कागज पर अच्छी लगती हैं, लेकिन गांव में बहुत लोग उनके बारे में जानते तक नहीं हैं। सरकार को ध्यान देना चाहिए कि हर महिला को योजना का लाभ मिले।
बिहार की जूली कुमारी जैसी महिलाएं अब सिर्फ सुनने वाली नहीं, बल्कि बोलने और बदलाव की उम्मीद रखने वाली पीढ़ी की प्रतिनिधि हैं। उनकी मांगें साफ हैं- महंगाई पर नियंत्रण, सस्ती स्वास्थ्य सुविधा और महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि। इन मुद्दों पर अगर आने वाली सरकार ने ठोस कदम उठाए, तो शायद बिहार की हर महिला अपने घर में फिर से त्योहारों की खुशबू महसूस कर सकेगी।
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