पैरों में बिछिया पहनना विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए विशेष आभूषण माना जाता है और इन्हें पहनने की परंपरा सदियों पुरानी है। भले ही आज कई अविवाहित लड़कियां इन्हें फैशन स्टेटमेंट के लिए पहनती हैं, लेकिन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, केवल विवाहित महिलाओं को ही इसे पहनने की सलाह दी जाती है।
बिछिया को सुहाग का प्रतीक माना जाता है और ये मुख्य रूप से हिंदू धर्म की मान्यताओं से जुड़ी होप्ती है और सोलह श्रृंगार का एक प्रमुख हिस्सा मानी जाती है। यूं कहा जाए कि इसके बिना दुल्हन का श्रृंगार अधूरा होता है।
अपने कई ज्योतिष और आध्यात्मिक गुणों की वजह से शादी के बाद महिलाओं के लिए बिछिया को एक अनिवार्य आभूषण के रूप में देखा जाता है। जिस तरह से बिछिया पहनना जरूरी माना जाता है वैसे ही बिछिया को कुछ विशेष दिनों में ही पहनने की सलाह दी जाती है। आइए इसके बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से विस्तार से जानें।
बिछिया किस दिन पहननी चाहिए?
किसी भी महिला के द्वारा पैरों में पहनी जाने वाली बिछिया इस बात का प्रतीक होती हैं कि वो महिला विवाहित है अथवा नहीं। कई अलग भारतीय संस्कृतियों में, विवाह समारोह के दौरान पति अपनी पत्नी के दोनों पैरों की दूसरी उंगली में बिछिया पहनाता है।
बिछिया पहनाने की रस्म से ही हिन्दू विवाह को पूर्णता मिलती है और इसे विवाहित स्त्रियों के लिए अनिवार्य माना जाने लगता है। जब हम बिछिया पहनने के लिए शुभ दिनों की बात करते हैं तो नई बिछिया हमेशा कुछ विशेष शुभ दिनों में ही पहनने की सलाह दी जाती है, जिससे पति -पत्नी के बीच रिश्तों की मजबूती बनी रहे।
शुक्रवार के दिन पहनें नई बिछिया
शुक्रवार का संबंध शुक्र ग्रह से होता है, जो सौंदर्य, प्रेम और वैवाहिक आनंद से जुड़ा होता है। बिछिया सहित किसी भी नए गहने को पहनने के लिए इसे सबसे शुभ दिन माना जाता है। शुक्र ग्रह रिश्तों में सकारात्मक ऊर्जा और सद्भाव लाता है, इसलिए सुहाग से जुड़ी कोई भी सामग्री इसी दिन खरीदने और पहनने की सलाह दी जाती है।
बुधवार के दिन पहनें नई बिछिया
बुधवार का संबंध बुध ग्रह से होता है। बुध ग्रह संचार और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन नए आभूषण पहनने से श्रंगार से जुड़े संवादात्मक और बौद्धिक पहलुओं में वृद्धि होती है।
यह दिन गणपति का दिन भी होता है, इसलिए यदि आप नई चीजें इस दिन धारण करती हैं जैसे नए कपड़े, गहने आदि तो इसके शुभ परिणाम मिलते हैं। इसके अलावा आपको नई बिछिया एकादशी के दिन पहनने की सलाह भी दी जाती है। चंद्रमा के बढ़ने और घटने दोनों चरणों का ग्यारहवां दिन, एकादशी, नए गहने पहनने सहित विभिन्न गतिविधियों के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
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इन विशेष अवसरों पर पहन सकती हैं नई बिछिया
आप घर में किसी भी पूजा-पाठ में, किसी परिवारजन की शादी के समय, करवा चौथ और तीज जैसे त्योहारों में और अखसे तृतीया के दिन भी नई बिछिया पहन सकती हैं। अक्षय तृतीया के दिन नए गहने खरीदने से आपके घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है, इसलिए इस दिन आपके लिए बिछिया खरीदना और पहनना शुभ हो सकता है।
पैर में कितनी बिछिया पहननी चाहिए?
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स बताते हैं कि कई महिलाएं पैर की सभी उंगलियों में बिछिया पहन लेती हैं, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है। बिछिया आपको पैर की एक उंगली में ही पहननी चाहिए और मुख्य रूप से पैर की मध्यमा उंगली में बिछिया जरूर पहननी चाहिए।
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क्या रात के समय नई बिछिया पहन सकते हैं?
नई बिछिया आमतौर पर सुबह के समय पहनने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि सुबह के समय स्नान आदि से मुक्त होकर नई बिछिया पहननी चाहिए जिससे इसके पूर्ण लाभ मिल सकें। इससे आपके जीवन में समृद्धि आती है। कोशिश करें कि आप रात के समय कोई भी नया गहना न धारण करें।
बिछिया पहनते समय न करें ये गलतियां
- अगर आपकी बिछिया पुरानी हो जाए तो इसे तुरंत बदल लेना चाहिए। कभी भी आपको टूटी हुई बिछिया नहीं पहननी चाहिए।
- आपको ध्यान देने की जरूरत है कि बिछिया हमेशा चांदी की ही पहनें। कभी भी सोने की बिछिया न पहनें।
- कभी भी अपनी पहनी हुई बिछिया को दूसरों को न दें।
- आपको नई बिछिया कभी भी मंगलवार के दिन नहीं पहननी चाहिए। इससे फायदे की जगह नुकसान हो सकते हैं।
अगर आप भी पैरों में बिछिया पहनती हैं तो आपको यहां बताई बातों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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