घर में ज्वेलरी और कैश रखने में कई लोग डरते हैं। ऐसे में वह अपना कीमती सामान बैंक लॉकर में रखते हैं। भारत में ज्यादातर बैंक अपने कस्टमर्स को लॉकर की सुविधा देते हैं। बैंक लॉकर इस सुविधा के लिए तीन या छह महीनों में मिनिमम चार्ज वसूलते हैं। मिनिमम चार्ज के बदले लोग बैंक की सिक्योरिटी में अपना कीमती सामान जैसे जेवर, कैश या दस्तावेज रखते हैं। लेकिन, यहां आज हम बैंक लॉकर के फायदों के बारे में नहीं, बल्कि इसकी सीमाओं के बारे में बात करने जा रहे हैं। जी हां, हर बैंक के कुछ नियम होते हैं जिसके अनुसार ही लॉकर में जेवर से लेकर कैश रखा जा सकता है।
अगर आप भी बैंक के लॉकर में कैश से लेकर जेवर तक रखती हैं, तो इन नियमों के बारे में जान लेना जरूरी हो जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एक लिमिट के बाहर जाकर कैश, जेवर या कीमती सामान बैंक के लॉकर में रखने पर आपके लिए परेशानी की वजह भी बन सकती है। आइए, यहां जानते हैं कि बैंक के लॉकर में कौन-कौन सी चीजें रखी जा सकती हैं और उनकी लिमिट क्या है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के नियमों के मुताबिक, बैंक के लॉकर या घर में गोल्ड रखने की लिमिट तय है। नियमों के मुताबिक, अगर आपने बैंक या घर पर गोल्ड रखा हुआ है और उसका कोई वैलिड प्रूफ नहीं है तो उसपर मोटा टैक्स देना और पैनल्टी देनी होगी, साथ ही आपका सामान जब्त भी किया जा सकता है। कानूनी तौर पर बैंक के लॉकर या घर में विवाहित महिलाएं 500 ग्राम से ज्यादा सोना नहीं रख सकती हैं।
अविवाहित महिलाएं सिर्फ 250 ग्राम सोना ही अपने बैंक लॉकर या घर पर रख सकती हैं। वहीं, पुरुषों के लिए यह लिमिट 100 ग्राम तक ही है।
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, बैंक के लॉकर में कैश रखने की अनुमति नहीं है। अगर आप बैंक लॉकर में कैश रखते हैं तो यह आपको जांच के दायरे में ला सकता है।
बैंक लॉकर में सिर्फ कैश ही नहीं, कई चीजों को रखने की मनाही होती है। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंक लॉकर में हथियार, ड्रग्स, जहर, विस्फोटक, रेडियोएक्टिव सामग्री, गैर कानूनी सामान या खराब होने वाली वस्तुएं नहीं रखी जा सकती हैं। इसी के साथ बैंक लॉकर में ऐसी कोई भी चीज नहीं रखी जा सकती है, जिससे बैंक या किसी भी ग्राहक पर खतरा हो।
बैंक लॉकर में ज्वेलरी, कानूनी दस्तावेज जैसे प्रापर्टी के कागज या वसीयत आदि, बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस पॉलिसी, शेयर और म्युचुअल फंड आदि के बॉन्ड्स रखे जा सकते हैं।
भारत में ज्यादातर बैंक पहले आओ पहले पाओ के आधार पर ग्राहकों को लॉकर देते हैं। लॉकर देने के लिए कुछ बैंक एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट कराने की भी मांग करते हैं। यह फिक्स्ड डिपॉजिट बैंक के पास सिक्योरिटी की तरह जमा होता है। इसके अलावा कुछ बैंक एनुअल या छह माह में ग्राहकों से लॉकर के लिए फीस लेते हैं। यह फीस लॉकर के साइज, बैंक और उसकी लोकेशन के हिसाब से तय होती है।
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बैंक के पास हर लॉकर की दो चाबी होती हैं। जब ग्राहक लॉकर लेता है तो एक चाबी उसे मिलती है और बैंक अपने पास Master Key रखता है। वहीं, जब ग्राहक अपना लॉकर खोलने या एक्सेस करने जाता है तो पहले उसे बैंक के पास एंट्री करनी होती है। इसके बाद बैंक एंप्लाई Master Key के साथ ग्राहक वाली चाबी लॉकर में लगाता है और तब ही वह खुलता है। बैंक अपने ग्राहकों के लॉकर की सिक्योरिटी का पूरा ध्यान रखता है।
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Image Credit: Freepik and Jagran
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