फूलन देवी, यह नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। लोग फूलन देवी को बेंडिट क्वीन के नाम से भी जानते हैं। चंबल के बीहड़ों में डकैतों का जीवन जीने वाली फूलन देवी की छवि लोगों के बीच एक डाकू और खराब महिला की ही बन कर रह गई। मगर फूलन देवी की रहस्यमयी जिंदगी में ऐसी बहुत सी रोचक बातें छुपी हैं जिन्हें जान कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं। मात्र 10 वर्ष में तीन गुनी उम्र के आदमी से शादी, 18 वर्ष की उम्र में 22 ठाकुरों द्वारा रेप किया जाना, 22 कि उम्र में डाकुओं की गैंग में शामिल हो जाना और फिर 11 साल की जेल के बाद राजनेता बन जाने तक का फूलन देवी का सफर कई घटनाओं से भरा हुआ है। आज इन्हीं घटनाओं में से कुछ खास घटनाएं हम आपको बताएंगे।
बचपन से ही तेज था स्वभाव
फूलन देवी का जन्म उत्तर प्रदेश के ‘जालौन’ के एक गाँव में 1963 में हुआ था। बचपन से ही फूलन अपने तेज स्वभाव की वजह से पूरे गांव में चर्चित थीं। गरीब परिवार में जन्मी फूलन को जब पता चला कि उसके पिता की जमीन उसके चाचा ने हड़प ली है तो बगावत करने और जमीन वापिस हासिल करने के लिए फूलन ने धरना प्रदर्शन किया। इस बात से घबरा कर फूलन के पिता ने 10 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही उसका विवाह कर दिया। फूलन का विवाह 30 वर्ष एक आदमी से किया गया, शादी की पहली रात ही फूलन के पति ने उसे अपनी हवस का शिकार बना दिया। इसके बाद अपनी हवस मिटाने के लिए फूलन का रोज ही बलात्कार होने लगा। फूलन की तबियत बिगड़ी तो उसे उसके मायके भेज दिया गया।
डाकुओं से थी दोस्ती
अपने गांव वापिस लौटने पर फूलन को सभी के तिरस्कार को सहना पड़ा। गांव के लोग अपनी घर की बेटी बहुओं को फूलन के पास भी नहीं फटकने देते थे। वहीं गांव के किशोर लड़के फूलन को आते जाते छेडते। फूलन जब उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाती तो पंचायत हमेशा फूलन के खिलाफ ही फैसला सुनाती । फूलन की वजह से उसके पिता का गांव में रहना मुशिकल हो गया था। गांव से जुड़े बीहड़ों में अकेले घूमना फूलन को अच्छा लगने लगा। एक रोज बीहड़ों में टहलते हुए डाकुओं के एक गैंग्से फूलन का परिच हुआ। माला सेन की किताब बेंडिट क्वीन, जिसने बाद में चल कर एक किताब का रूप ले लिया, उसमें भी बाताया गया है कि डाकुओं की एक गैंग के सरदार बाबू गुज्जर को फूलन से प्यार हो गया। मगर फूलन उसे पसंद नहीं करती थी। सरदार ने फूलन को उसके घर से किडनैप कर लिया। इसके बाद सरदार ने फूलन का रेप किया। सरदार के ही गैंग में शामिल एक डाकू विक्रम को भी फूलन से प्यार था। सरदार जब फूलन का रेप करता विक्रम का खून खौल जाता। एक दिन उसने सरदार की हत्या कर दी और खुद गैंग का सरदार बन बैठा। विक्रम ने फूलन से शादी भी की। मगर वे दोनों ज्यादा दिन साथ नहीं गुंजार पाए। बाबू गुज्जर की गैंग के कुछ लोगों ने एक दूसरी ठाकुर डाकुओं की गैंग के साथ मिल कर विक्रम की हत्या कर दी।
हुआ था कई बार रेप
विक्रम की हत्या के बाद ठाकुर गैंग के लोगों ने फूलन पर बहुत अत्याचार किए। सबसे खौफनाक घटना का जिक्र करते हुए माला सेन ने अपनी किताब में लिखा है कि फूलन को 2 हफ्तों से भी ज्यादा समय तक नग्न अवस्था में रखा गया था। हर दिन गैंग के 22 लोग फूलन का बारी बारी से तब तक बलात्कार करते थे जब तक वो बेहोश नहीं हो जाती थी। इसके बाद एक दिन फूलन को गैंगे के सरदार ने न्यूड कर पूरे गांव के आगे बाल पकड़ घुमाया। इतना अत्याचार सहने के बाद भी फूलन ने जिंदगी से हार नहीं मानी बल्कि अपनी डाकुंओं की एक गैंग तैयार की और उन 22 ठाकुरों को लाइन से खड़ा कर मौत के घाट उतार दिया जिनहोंने उनका बलात्कार किया था।
फूलन ने जेल में बिताए 11 साल
फूलन के साथ हुए अत्याचारों ने उसे बेखौफ और संवेदनहीन बना डाला था। 22 ठाकुरों की हत्या के बाद उसके नाम से भी लोग कांपने लग जाते थे। फूलन बदनाम तो पहले ही थी और हत्याओं, डकैती और अपहरण की घटनाओं को अंजाम देने के बाद लोगों के बीच उसकी छवि एक महिला डकैत की बन गई। मगर भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी के बहुत समझाने पर फूलन देवी ने आत्मसमर्पण कर दिया और उसे 11 साल की जेल हो गई। वर्ष 2011 में जब मुलायम सिंह की सरकार सत्ता में आई तो एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए उन्होंने फूलन देवी की सजा को माफ कर दिया । जेल से बाहर आने के बाद फूलन देवी ने एक बार फिर शादी रचाई।
पोलिटिक्स में भी हाथ आजमाए
1996 में फूलन देवी ने मिर्जापुर से सपा पार्टी के लिए चुनाव लड़ा और सांसद बन गईं। जंगलों और बीहड़ों में रहने वाली फूलन देवी पॉलीटिक्स में आने के बाद बड़े सराकी बंगले में रहने लगी। वर्ष 2001 में फूलन के ही एक करीबी ने उनकी घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी। फूलन की हत्या का करण भी उन 22 ठाकुरों की हत्या का बदला था।
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