लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी कर रही हैं जवानों की अगुवाई, बदलाव से नए भारत का निर्माण

देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जवानों की अगुवाई महिला अफसर करे। राइजिंग डे के मौके पर लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी 144 जवानों की टुकड़ी को लीड कर रही हैं।

 
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पिछले एक दशक में वर्किंग वुमन की संख्या में ना सिर्फ बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि प्रोफेशनल वर्ल्ड में उन्होंने अपनी कुशलता का परचम भी लहराया है। वैसे तो अमूमन सभी पेशों में महिलाओं के सीनियर पोशिजन पर अपनी योग्यता साबित करने के उदाहरण हमारे सामने हैं, लेकिन भारतीय सेना में यह और भी ज्यादा गौरवान्वित करने वाली बात है। भारतीय सेना, जो देश के नागरिकों की रक्षा में अपने प्राण तक न्यौछावर कर देती है, में महिलाओं का अहम जिम्मेदारी लेना उनकी देशभक्ति की भावना को दर्शाता है। आज 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है और इस मौके पर हम बात करेंगे इंस्पायरिंग लेडी लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी की, जो राइजिंग डे परेड में 144 सैनिकों की अगुवाई कर रही हैं।

क्यों मनाते हैं राइजिंग डे?

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15 जनवरी 1949 को तत्कालीन फील्ड मार्शल कोंडेरा एम करियप्पा ने ब्रिटिशर्स के आखिरी कमांडर-इन-चीफ जनरल सर फ्रांसिस बूचर से भारतीय सेना की पहले कमांडर-इन-चीफ का जिम्मा लिया था। इसी दिन को हर साल देश में राइजिंग डे के नाम से मनाया जाता है। इस दिन देश के बहादुर सैनिकों की वीरता को याद किया जाता है, जिन्होंने देश की खातिर अपने प्राणों की आहुति दे दी। सैनिकों के इस महान बलिदान को याद करते हुए देश की राजधानी दिल्ली में कई मिलिटरी शोज के आयोजन होते हैं। साथ ही भारतीय सेना की विभिन्न रेजिमेंट की परेड और झांकियां निकाली जाती हैं। जनवरी, 2019 में देश अपना 71वां आर्मी दिवस मना रहा है। इस अवसर पर ‘आर्मी सर्विस कोर’ 23 साल बाद फिर से 'सेना दिवस' की परेड में शामिल होने जा रहा है, जिसका नेतृत्व पहली बार एक महिला अफसर करने जा रही हैं।

लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी सेना की अगुवाई करने के इस सम्मान से काफी खुश हैं। इस बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, 'यह पहली बार होगा, जब एक महिला अफसर जवानों की अगुवाई कर रही है। इससे पहले कभी भी किसी महिला अफसर ने जवानों की अगुवाई नहीं की है।' राइजिंग डे पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी ने कड़ी मेहनत की है। 6 महीने से वह लगातार इसके लिए प्रैक्टिस करती रही हैं।

पहले महिला सैनिकों की हो चुकी है अगुवाई

साल 2015 में गणतंत्र दिवस के मौके पर हमने देखा था कि किस तरह से जल थल और वायु सेना की महिला अफसरों ने सेना की टुकड़ियों की अगुवाई की थी। उस समय लद्दाख की 28 साल की सब इंस्पेक्टर स्टेंजिन नॉरयेंग ने साहसी और जांबाज महिला सैनिकों की अगुवाई की थी। इसमें पंजाब से 20, पश्चिम बंगाल से 15, मध्य प्रदेश से 10, महाराष्ट्र से 9 और उत्तर प्रदेश से 8 सदस्य शामिल थे।

लेफ्टनेंट भावना कस्तूरी की जवानों की अगुवाई के साथ देश एक नए बदलाव की ओर बढ़ रहा है। महिलाओं को वह सम्मान और प्रतिष्ठा मिल रही है, जिसके लिए दशकों से आवाजें उठती रही हैं। जाहिर है इससे महिला सशक्तीकरण की भावना को बल मिलेगा और महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए एक नया जोश मिलेगा।

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