#BandhanNahiAzaadi: मेरे लिए आजादी है मन का हर तरह के बंधन से मुक्त होना- अंजुम चोपड़ा

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कैप्टन अंजुम चोपड़ा के लिए आजादी के क्या मायने हैं और किन बंधनों से वह मु्क्ति चाहती हैं, जानिए।

anjum chopra former indian cricket team captain article

भारत में क्रिकेट की दीवानगी किसी से छिपी नहीं है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग यही सोचते हैं कि क्रिकेट पुरुषों का ही खेल है। हालांकि पिछले कुछ सालों में समय में काफी बदलाव आया है और इसका क्रेडिट जाता है अंजुम चोपड़ा जैसी क्रिकेटर को, जो अब कमेंटेटर बन चुकी हैं। अंजुम चोपड़ा ने महिलाओं के लिए खड़ी की गई दीवारों को तोड़ते हुए अपने पैशन यानी क्रिकेट को चुना। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कैप्टन अंजुम चोपड़ा ने क्रिकेट में लंबा सफर तय किया है। अंजुम चोपड़ा ने HZ की मुहिम BandhanNahiAzaadi पर खास बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी लाइफ जर्नी, चुनौतियों और रक्षाबंधन के मौके पर महिलाओं की आजादी पर उनके विचारों के बारे में-

anjum chopra cricket commentator inside

जब आपने देश के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया तो आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

चुनौतियां हमेशा ही होती हैं, बस समय के साथ इनके स्वरूप में बदलाव आता रहता है। इसीलिए आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य को ध्यान में रखना जरूरी है। लक्ष्य की दिशा में सतत प्रयास ही हमें मंजिल तक पहुंचाता है।

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भारतीय महिला क्रिकेट की कामयाबी के बारे में आप क्या सोचती हैं?

मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि भारतीय महिला क्रिकेटरों ने पिछले कुछ सालों में बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है। खासतौर पर साल 2017 के ICC women’s World Cup के बाद से चीजें काफी बेहतर हुई हैं। बहुत सी महिलाएं भी अब इसे फॉलो करने लगी हैं और महिला क्रिकेटरों के अचीवमेंट्स के बारे में भी उन्हें जानकारी है। क्रिकेट के लिए जागरूकता बढ़ रही है।

anjum chopra talks about women cricket inside

आज के समय में आप आजादी को कैसे परिभाषित करेंगी?

आजादी का मतलब मेरे लिए किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से मुक्त होना है।

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आपके लिए आजादी क्या है? क्या आप किसी चीज से आजादी पाना चाहती हैं?

मेरे लिए आजादी का मतलब है मन और व्यवहार में हर तरह के बंधन से मुक्त होना है।

क्या आपको लगता है कि महिलाओं को कुछ बंधनों के साथ बने रहना चाहिए?

यह पूरी तरह से व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन आजादी की मांग करना और साथ में बंधनों में बंधे रहना, दोनों चीजें साथ-साथ नहीं चलतीं। या तो आप आजाद हैं या तो नहीं है, दोनों चीजें साथ होना मुश्किल है।

महिला क्रिकेटर के तौर पर देश का नाम रोशन करने वाली अंजुम चोपड़ा देश की उन इंस्पायरिंग महिलाओं में शुमार हैं, जिन्होंने महिलाओं को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया और नामुमकिन को मुमकिन कर हर मुश्किल को आसान बनाने का जज्बा दिया। जिस तरह अंजुम चोपड़ा ने अपने सामने आने वाली चुनौतियों का डटकर सामना किया, उससे इंस्पिरेशन लेते हुए महिलाएं अपनी जिंदगी को कामयाब बना सकती हैं। रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस इस बार एक साथ पड़ रहे है। तो इन त्योहारों पर घर-परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ जमकर जश्न मनाइए और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटिए।

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