कुछ कर दिखाने का जज्बा, जुनून और अपने फन में माहिर, जब बात देश की पहली Woman Flair Bartender अमी श्रॉफ की होती है तो ये शब्द उनके लिए सटीक लगते हैं। बोतलों की कलाबाजी और आग से खेलना, अमी ने पुरानी और दकियानूसी सोच को दरकिनार करते हुए नया ट्रेंड सेट किया है। एमी श्रॉफ ने HerZindagi के साथ #BandhanNahiAzaadi मुहिम के लिए खास बातचीत की और अपने सफर और आकांक्षाओं के बारे में बताया।अमी की जिंदगी के शुरुआती दिनों की बात करें तो वह बारटेंडर, मिक्सोलॉजिस्ट या फ्लेयर आर्टिस्ट जैसी चीजों से अनजान थीं। उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी में आगे क्या होने वाला है। अमी मुंबई के जयहिंद कॉलेज में फिलॉसफी और पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई कर रही थीं। अमीने पॉकेट मनी के लिए ईवेंट्स में पार्ट टाइम काम शुरू कर दिया। इसी काम ने उनके भीतर bartending और विशेष रूप से Flair Bartending की चाहत जगा दी।
HZ: एक करियर के तौर पर bartending को अपनाने के बारे में आप कैसे इंस्पायर हुईं?
AmiShroff: मैंने hobby के तौर पर इसकी शुरुआत की थी और इसके बाद मैं इसमें प्रोफेशनल बन गई और यह सिलसिला चला आ रहा है। bartending में मैं नेचुरली अच्छा कर रही थी, मुझे मजा आ रहा था। 18 साल की उम्र में यह मुझे बहुत एक्साइटिंग लग रहा था। यह एक प्रोफेशन के तौर पर मुझे काफी इंट्रस्टिंग लगा। मुझे बार एक स्टेज की तरह लगा, जहां मैं अपनी क्रिएटिविटी दिखा सकती हूं। Flair bartending में कलाकार को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है। हालांकि अपनी बात करूं तो मैंने कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं ली है। मैंने टिप्स और ट्रिक्स से सीखा है। बोतलों को हवा में फेंकना, फ्लिप करना, ड्रिंक्स बनाना, एक ड्रिंक्स को दूसरी में मिलाना, मेरी curiosity मुझे जहां ले गई, मैं वहीं बढ़ती गई और यही मेरा पैशन बन गया।
इसे जरूर पढ़ें:महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं लतिका चक्रवर्ती, 89 साल की उम्र में शुरू किया बिजनेस
HZ: अलग और नए करियर में जाने के लिए क्या पेरेंट्स को मनाना मुश्किल था?
AmiShroff:मैंने अपने पेरेंट्स को शुरुआत में नहीं बताया था कि मैं bartending कर रही हूं, क्योंकि मेरे पिता मेरी सेफ्टी को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। लेकिन जब उन्हें यह पता चल गया कि इसमें मेरी दिलचस्पी है और मैं यह कर रही हूं तो उन्होंने मुझे सपोर्ट किया और मेरा हौसला बढ़ाया। मेरे पेरेंट्स बहुत कूल हैं और खुली सोच के हैं, लेकिन यह चीज मैं तब नहीं समझती थी जब मैं 18 साल की थी। मैं अब sexism को बेहतर तरीके से समझती हूं और अपने को खुशकिस्मत समझती हूं कि मैं ऐसी फैमिली में हुई, जहां लड़कियों के लिए किसी तरह की बंदिश या अलग व्यवहार नहीं था। इसके लिए मैं अपने बेहतरीन पेरेंट्स को थैंक्स कहती हूं। आज मुझे अहसास होता है कि मेरे पेरेंट्स ने जिस तरह से मुझे सपोर्ट किया और मेरी इच्छाओं का सम्मान किया, जिसे पहले मैं शायद अपना हक समझ लेती है, लेकिन आज इन्हीं चीजों ने मेरी शख्सीयत को बनाने में अहम भूमिका निभाई है। पूरी दुनिया में और खासकर भारत में महिलाओं को उतनी आजादी नहीं है, जितनी उन्हें मिलनी चाहिए। महिलाओं को बहुत सारी चीजें मानने के लिए मजबूर किया जाता है-ये आपको करना है, ये आप नहीं कर सकतीं। खुशकिस्मती से मेरे लिए वह लिस्ट बहुत छोटी थी। मेरे पिता मेरे लिए बहुत प्रोटेक्टिव थे और हमेशा मेरे लिए फिक्रमंद रहते थे। लेकिन मेरे पेरेंट्स ने कभी मुझ पर बंदिश नहीं लगाई और मेरे लिए दीवारें नहीं खड़ी कीं।
इसे जरूर पढ़ें:संगीता गौड़ अपनी हिम्मत और हौसले से मुश्किलों के बावजूद बनीं जज, जानें इनकी इंस्पायरिंग स्टोरी
HZ: आपको अपने मेहमानों से किस तरह के रिएक्शन मिलते हैं?
AmiShroff:ज्यादातर मेहमानों के रिएक्शन पॉजिटिव होते हैं। कुछ रिएक्शन्स में मुझे तारीफें मिलती हैं, कुछ में हैरानी बयां होती है और बहुत कम रिएक्शन पुरुषवादी सोच के होते हैं। लेकिन हर कोई वह बात जाहिर नहीं करता जो वह सोचता है।
HZ: कई बार महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका जाता है या फिर उन्हें समर्थन नहीं मिलता है, क्योंकि उनकी पसंद की चीजों को असुरक्षित करार दे दिया जाता है। आपने इस स्थिति का सामना कैसे किया जबकि आपका वर्कप्लेस एक बार है?
AmiShroff:बार शब्द के साथ एक पुरानी सोच जुड़ी हुई थी और जब बात महिलाओं की होती है तो इस बारे में और भी नेगेटिव सोच थी। भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के मद्देनजर इसे सुरक्षित जगह नहीं माना जाता। और इस सोच को बदलने का तरीका यही है कि हम बाहर निकलें, अपनी आवाज उठाएं, नई जगहों पर जाएं और ऐसी जगहों पर भी, जिनके बारे में सोचकर डर लगता है। खुद को सुरक्षित करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। अगर हमें डर लग भी रहा है तो भी हमें साहस दिखाना चाहिए और मजबूती से खड़ा होना चाहिए। इतने सालों तक काम करने के बाद मुझे बाहर जाने के बजाय बार के भीतर ज्यादा ज्यादा सुरक्षित महसूस होता है। मेरा मानना है कि हमें अपनी खोई जमीन वापस लेने की जरूरत है। एक अंधेरी सड़क या एक सुनसान बार महिलाओं के लिए असुरक्षित हो सकता है, लेकिन अगर वहां 20 महिलाएं हों तो स्थिति कैसी होगी? अगर bartender महिला हो और बार में महिलाओं का ही शोर सुनाई दे रहा हो तो स्थिति कितनी अलग होगी? क्या वह जगह तब भी असुरक्षित मानी जाएगी? बार में 15 साल बिताने के बाद भी मुझे स्थितियां बहुत बदली हुई नजर नहीं आतीं।
HZ: जब आपने इस करियर में कदम रखा था, तब क्या इसमें कोई women bartender थी? क्या आपको अब कोई बदलाव नजर आता है?
AmiShroff:मुझे बहुत बदलाव नजर नहीं आता। अगर पहले से तुलना करूं तो बहुत कम बढ़त दिखाई देती है। 15 साल पहले बार इंडस्ट्री बहुत छोटी थी। इस इंडस्ट्री में पुरुषों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अगर पहले बार में महिलाओं की संख्या 1000 में एक थी तो अब वह 1000 में 2 हो गई है। 15 सालों में इसमें बहुत बड़ा बदलाव नहीं आया है, जबकि इंडस्ट्री में बूम नजर आ रहा है। इस फील्ड में लड़कियों की कमी की वजह से इनकी मांग ज्यादा है, लेकिन यहां लोगों की दकियानूसी सोच भी दिखाई देती है, लोग इस मांग को औरत होने के फायदे के तौर पर देखते हैं या फिर कैसे हमें पुरुषों से ज्यादा पैकेज मिल रहा है। यह सोच पिछले 15 सालों में नहीं बदली है।
हालांकि इस फील्ड में काम करने पर अंदर और बाहर दोनों तरफ से प्रेशर का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन दबावों के बावजूद अमी ने बिना डरे Flair Bartender के तौर पर शोहरत हासिल की है और देश की उन करोड़ों महिलाओं के लिए उदाहरण पेश किया है, जो अपने ख्वाबों को पूरा करने में झिझक महसूस करती हैं।
HZ: जो महिलाएं आपकी इंस्पिरेशनल स्टोरी पढ़ रही हैं, उन्हें आप क्या संदेश देना चाहेंगी? सत्ता के शिखर तक पहुंचने और taboos को तोड़ने के लिए आप उन्हें क्या मैसेज देंगी?
AmiShroff:आपने अब तक के जीवन में जो पुरुषवादी नजरिया अपनाया है, उससे बाहर आएं। खुद पर यकीन रखें और अपने लिए दयालु रहें। आप जो हैं, उसके लिए शर्मिंदा होने की कतई जरूरत नहीं है।
अमीश्रॉफ आज के समय की ऐसी कामयाबी महिला का उदाहरण पेश करती हैं, जो कामयाबी की मिसाल हैं और जिन्होंने साबित किया है कि आजाद होने पर इंसान क्या कुछ हासिल कर सकता है।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों