Hz Exclusive Interview: एक्ट्रेस आकांक्षा सिंह ने बताई मनचलों से Fightback कर उन्हें मजा चखाने की बेहतरीन ट्रिक

एक्ट्रेस आकांक्षा सिंह ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में शेयर की अपनी बेहतरीन ट्रिक, जिससे आप मनचलों का मुकाबला कर सकती हैं और उन्हें सख्त सबक सिखा सकती हैं। जानें उनके सुझाव और अनुभव इस विशेष बातचीत में।

celeb talk on fight back pic

घर से निकल कर कुछ दुर पहुंचते ही मोहल्ले का ही एक छिछोरा लड़का रोज रास्ता रोकने की कोशिश करता है।

कई बार तो मन करता है घर से बाहर ही न निकलूं, क्योंकि वो आदमी रोज मेरा पीछा करता है।

घर में कैसे बताऊं कि एक आदमी मेरे पीछे पड़ गया है। घरवाले मेरे को ही गलत बोलने लगेंगे।

रास्‍ते में चलते-चलते ऐसी कई घटनाएं होती हैं, जो हमारे मन में एक डर पैदा कर देती हैं। खासतौर पर महिलाओं के साथ फिजिकल और मेंटल हैरेसमेंट केस तो हम आए दिन सुनते रहते हैं। ऐसे अनुभव केवल हम आम महिलाओं के साथ ही नहीं बल्कि सेलिब्रिटीज के साथ भी होते हैं। ऐसी एक अदाकारा से आकांक्षा सिंह से हमारी भारत में महिलाओं के सेफ्टी इशूज को लेकर बातचीत हुई।

आकांक्षा सिंह को आपने कई टीवी सीरियल्स में बतौर एक्ट्रेस देखा होगा और जल्‍दी ही आप उन्‍हें तेलगू वेब सिरीज 'बेंच लाइफ' लीड एक्ट्रेस के तौर पर देखेंगे। यह वेब सिरीज हिंदी सहित 7 अन्‍य भाषाओं में रिलीज हो चुकी है। इस सीरीज में आप आकांक्षा को बहुत ही पावरफुल अवतार में देखेंगे। आपको बता दें कि अकांक्षा असल जिंदगी में भी एक बहुत ही मजबूत इरादों वाली महिला हैं। बातचीत के दौरान आकांक्षा ने हमारे साथ कुछ ऐसी बातें शेयर की, जो आम महिलाओं के लिए भी एक सीख हो सकती है।

अपनी सेफ्टी को लेकर फिक्र

आकांक्षा को देश में अपनी सेफ्टी को लेकर बहुत फिक्र है। वह कहती हैं, "मैं खुद को कहीं भी सेफ नहीं मानती हूं।" इतना ही नहीं, आकांक्षा का मानना है कि हम हमेशा महिलाओं को सशक्त करने की बात ही क्‍यों करते रहते हैं। वह कहती हैं , "महिला सशक्‍त‍िकरण का मतलब यह नहीं है कि उसे मार्शल आर्ट या जूडो कराटे आना चाहिए। महिला तब सशक्त होगी जब हमारी सोच इससे ऊपर उठेगी और समाज उसे वो दर्जा देगा जो उसने पुरुषों को दिया है।"

आकांक्षा की बात से आप भी इत्‍तेफाक रखते होंगे। जाहिर है, हर महिला शारीरिक रूप से उतनी मजबूत नहीं हो सकती है कि वो सेल्‍फ डिफेंस के दांव पेंच सीखे, बल्कि देश में ऐसी नौबत ही क्‍यों आ रही है कि महिलाओं को सेल्फ डिफेंस के लिए जंग लड़नी पड़ रही है। आकांक्षा का मानना है कि महिलाओं को शरीर से नहीं बल्कि दिमाग से सशक्‍त होना पड़ेगा।

अपनी सेफ्टी के लिए क्‍या है सबसे जरूरी?

हम महिला सुरक्षा पर बड़े-बड़े कानून बना रहे हैं, नारे लगा रहे हैं और बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, मगर महिलाएं न तो आज से 20 साल पहले सेफ थी न उससे पहले और न आज हैं। हादसा कहीं भी और किसी भी उम्र की महिला, वृद्ध औरत या बच्‍ची के साथ हो सकता है। इतना ही नहीं, घटना के वक्‍त आप कितने पढ़े लिखे और समझदार हो या गांव-देहात से हो, यह भी काम नहीं आता है। अकांक्षा कहती हैं, "महिलाओं को स्मार्ट होने की जरूरत है। कई बार जो काम हम शारीरिक क्षमता से नहीं से नहीं कर पाते हैं, वह काम दिमाग लगाने से हो जाता है। किस तरह की परिस्थितियों में आप क्‍या सोच रहे हो और क्‍या एक्‍शन ले रहे हो यह बहुत महत्वपूर्ण होता है।"

बचपन में घटी एक घटना आज भी आती है याद

हम सभी महिलाओं के साथ घर में, सड़क पर या फिर किसी और सार्वजनिक स्थल पर कभी न कभी मेंटल या फिजिकल हैरेसमेंट हुआ होगा, मगर कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं कि जहन में एक छाप छोड़ जाती हैं। खासतौर पर जब हम ऐसी किसी घटना के बारे में सुनते हैं, तो मन में कसक भी उठती है कि हमने उस वक्‍त अपने साथ हुए गलत काम के लिए आवाज क्‍यों नहीं उठाई थी। मगर अकांक्षा उन लोगों में से नहीं है, जो गलत को सह लें। वह आप बीती बताती हैं, "मेरी उम्र कुछ 12 या 13 वर्ष रही होगी। मैं अपने एक दिन अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी और एक आदमी ने मुझे रोक कर पूछा की क्‍या यह लड़की आपके स्कूल में पढ़ती है। मैंने जब उसके हाथ में मौजूद तस्वीर देखी तो वो वह एक न्‍यूड महिला की तस्‍वीर थी।" यह देख कर आकांक्षा को उस आदमी के इरादे समझने में देर नहीं लगी। वह कहती हैं, "मैंने उसे मारना शुरू कर दिया। उस आदमी ने सोचा नहीं होगा कि इतनी छोटी उम्र की लड़की इतनी बहादुरी से उसे मारेगी। वह वहां से भाग गया। मेरे भाई ने जब मेरे पूछा कि मैंने ऐसा क्‍योंकि, तब मैंने उसे भी उस तस्वीर के बारे में बाताया। इतना ही नहीं, मैंने अपने घरवालों को भी उस घटना के बारे में बाताया।"

महिलाओं के लिए संदेश

आकांक्षा कहती हैं, "महिलाओं को अपने आंख और कान दोनों खोलकर रखने की जरूरत है। इतना ही नहीं, कुछ गलत होने पर तुरंत फाइट बैक करना ही सही निर्णय है। चुप रह कर या बात को छुपाकर आप खुद को ही दंड दे रही हैं।"

भारत में आकांक्षा जैसी सोच वाली महिलाओं की कमी है, इसका बड़ा कारण यह है कि अगर किसी भी महिला या लड़की के साथ कोई हादसा होता है, तो लोग उसे ही गलत ठहराने लगते हैं। खुद महिला भी अपने को ही दोषी मानने लगती है और शर्म लाज के कारण मुंह बंद कर लेती है। जबकि हमें फाइट बैक करने की जरूरत है। जब तक हम ईंट का जवाब पत्‍थर से नहीं देंगे हादसे होते रहेंगे।

महिलाओं को सुरक्षा के लिए कब तक करना पड़ेगा इंतजार? सुरक्षा कोई मजाक नहीं हक है हमारा, पढ़िए ऐसी महिलाओं की स्टोरीज जिन्होंने अपने सम्मान के लिए किया Fightback और बदला समाज का नजरिया। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें HerZindagi Fightback पेज पर और बनें इस पहल का हिस्सा। #Fightback

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