कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की मदद करना दुनिया में सबसे बड़ा काम है। इस काम को हर व्यक्ति नहीं कर सकता है। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपनी सारी परेशानी छोड़कर लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे लोगों को भगवान का दूसरा रूप भी कहा जाता है। आज हम आपको उन लोगों के बारे में बताएंगे जिन्होनें अपनी दरियादिली दिखाई और लोगों की मदद की। आइए जानते हैं इन लोगों के बारे में।
अक्सर शादी में काफी मात्रा में खाना बच जाता है। जिसे ज्यादातर लोग फेंक देते हैं। ऐसे में कोलकाता में रहने वाली पपिया कर ने एक नया उदाहरण पेश किया है। पपिया कर के भाई के रिसेप्शन का खाना बच गया था, लेकिन उस खाने को फेंकने की बजाय यह महिला देर रात को रानाघाट स्टेशन पर जरूरत मंदो को बांटती हुई नजर आई।
योगेश और सुमेधा चितले ने सियाचिन बेस अस्पताल के 20, 000 सैनिकों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन देने के लिए लिए अपने पूरे परिवार के गहने बेच दिए थे। इन गहनों की कीमत करीब 1.25 करोड़ थी। उन्हीं की मदद से सियाचिन पर मौजूद सैनिकों को ऑक्सीजन प्लांट मिला। जिसके चलते उन्हें प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सम्मानित भी किया गया।
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गुजरात की रहने वाली भानुमति घीवला एक नर्स है। गुजरात के वडोदरा के सर सयाजीराव जनरल अस्पताल में नर्स हैं। भानुमति घीवला ने बाढ़ के दौरान कोविड से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की डिलवरी कराई। उनके इन प्रयासों और दूसरों की मददकरने के चलते उन्हें फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
राधिका राजे गुजरात के शाही परिवार से तालुक्क रखती हैं। इन्होनें कोरोना काल के दौरान कई बेरोजगार लोगों की मदद की। साथ ही राधिका ने कोरोना काल में जिन छोटे स्तर के कारीगरों ने अपनी नौकरी खो दी उनका भी सहारा बनी। राधिका राजे ने कोरोना काल के दौरान 700 से अधिक परिवारों की मदद की।
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अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की स्टाफ नर्स जेबा चोखावाला ने कोराना काल के दौरान 8 घंटे तक भूखे- प्यासे रहकर कोरोना के मरीजों की सेवा की। वह 1200 वाले कोविड अस्पताल में 8 घंटे काम करती थी। जिस वक्त उनकी ड्यूटी लगाई गई थी उस समय रोज़े चल रहे थे। सिर्फ इतना ही नहीं वह अपनी कैंसर से पीड़ित बीमार मां को छोड़ मरीजों की सेवा में लगी रहती थी।
डॉ नूरी परवीन आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में रहती हैं। वह केवल 10 रूपये में लोगों का इलाज करती हैं। वे आर्थिक रूप से कमजोर और बीमार लोगों की मदद करती हैं। उन्होनें इलाज की फीस केवल दस रूपये इसलिए रखी है ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोग आसानी से अपना इलाज करवा सकें।
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