अभिनव बिंद्रा पहला इंडिविजुअल गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। अब, उन्हें इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (आईओसी) द्वारा अवार्ड सेरेमनी में ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित किया जाएगा। भारत के मशहूर निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को ओलंपिक के समापन से एक दिन पहले 10 अगस्त को पेरिस में 142वें आईओसी सत्र के दौरान सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान ओलंपिक आंदोलन में उत्कृष्ट योगदान देने और ओलंपिक मूवमेंट को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि अभिनव यह सम्मान पाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इनसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इस अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
इन सब के अलावा, अब लोगों के मन में एक सवाल जरूर है कि आखिर यह ओलंपिक ऑर्डर सम्मान होता क्या है और इसकी शुरुआत कब हुई थी? अगर आपके मन भी ऐसे सवाल चल रहे हैं, तो आइए इन सारे सवालों के जवाब हम आपको बताते हैं।
ओलंपिक ऑर्डर क्या होता है?
ओलंपिक ऑर्डर ओलंपिक आंदोलन का सर्वोच्च पुरस्कार है। यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की ओर से प्रत्येक ओलंपिक खेलों के समापन समारोह में प्रदान किया जाता है। इस अवॉर्ड से वैसे लोगों को सम्मानित किया जाता है, जो खेलों को बढ़ावा देने और ओलंपिक आंदोलन में अहम भागीदारी निभाते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि अब तक 116 हस्तियों को इस अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
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कब हुई थी ओलंपिक ऑर्डर की शुरुआत?
ओलंपिक ऑर्डर की स्थापना मई 1975 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा की गई थी। इसे पहले ओलंपिक डिप्लोमा ऑफ मेरिट के उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित किया गया था। ओलंपिक ऑर्डर पहले मूल रूप से तीन कैटेगरी गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज में मिलता था। साल 1984 में साराजेवो (यूगोस्लाविया) में 87वें आईओसी सत्र के दौरान ये नियम बदल दिए गए और इसके बाद से ओलंपिक ऑर्डर सिर्फ गोल्ड कैटेगरी मिलने लगा।
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अभिनव बिंद्रा को मिलेगा ओलंपिक ऑर्डर का सम्मान
भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को यह सम्मान ओलंपिक मूवमेंट को सपोर्ट करने के लिए दिया जा रहा है। बिंद्रा ने साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक के दौरान राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वह ओलंपिक में इंडिविजुअल गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। अभिनव बिंद्रा ने साल 2006 में क्रोएशिया वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता था। उनसे पहले साल 1983 में आयोजित अवॉर्ड सेरेमनी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ये सम्मान मिल चुका है।
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