अघोरी पूजा के लिए पीरियड ब्लड इकट्ठा करने से लेकर हड्डियों का चूरा खिलाने तक, महिलाओं के साथ होते अंधविश्वास की 5 खौफनाक कहानियां

भारत में कितने लोग अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर खौफनाक हरकतों को अंजाम दे देते हैं उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। हाल ही में हुई इन घटनाओं की बात करते हैं। 

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किसी चीज पर विश्वास करना आपकी इंसानियत को दिखाता है, लेकिन अगर ये विश्वास अंधविश्वास में तब्दील हो जाए तब क्या होता है? भारत हमेशा से ही उन देशों में से एक रहा है जहां अंधविश्वास फैला रहता है। ना जाने कितनी तरह की अघोरी घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। आपको शायद पता ना हो, लेकिन हर दिन भारत में इस तरह की घटनाएं होती हैं। हमने पिछले कुछ समय में हुई ऐसी घटनाओं को देखा तो पाया कि महिलाओं के साथ किस तरह के अंधविश्वास होते हैं।

इन घटनाओं के बारे में जानकर शायद आपको भी झटका लगे। आज 2023 में भी हमारे समाज में ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है।

1. अघोरी पूजा के लिए इकट्ठा किया पीरियड ब्लड

ये घटना पुणे की है। 27 साल की महिला ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। उसका आरोप था कि ये लोग अघोरी पूजा के लिए उसका पीरियड ब्लड इकट्ठा करते हैं। पुलिस FIR के मुताबिक विक्टिम के साथ शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना 2019 से ही चली आ रही है।

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ये घटना बीड़ जिले की है और जब विक्टिम अपने मायके लौटकर आई तभी वो इसके बारे में कुछ बता पाई। ससुराल पक्ष के 7 लोग इस घटना को अंजाम देने में शामिल थे।

इतना ही नहीं। उस महिला के मेंस्ट्रुअल ब्लड को 50 हज़ार रुपये में बेच भी दिया गया। कोई तांत्रिक उससे काला जादू कर सके इसके लिए ससुराल वालों ने पीरियड ब्लड इकट्ठा किया।

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2. अंधविश्वास के चलते नई दुल्हन को चिमटे से दागा

अंधविश्वास के चलते नई-नवेली दुल्हन को चिमटे से जला दिया गया। ऐसा माना जा रहा था कि दुल्हन मानसिक तौर पर अस्वस्थ थी और अनाप-शनाप बातें करने लगी थी। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के एक गांव में संगीता तिवारी का विवाह शिवम शुक्ला के साथ हुआ था। संगीता के पिता का कहना था कि विवाह के बाद से ही वो मानसिक तौर पर अस्वस्थ थी।

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15 फरवरी को विवाह हुआ और विदा होने के बाद से संगीता को किसी तरह का दौरा पड़ा। ऐसे में ससुराल वालों ने इलाज ना करवा कर 22 फरवरी की रात को अंधविश्वास के चलते झाड़-फूंक कराई।

इसमें नई दुल्हन के साथ मारपीट की और उसके हाथों में गरम चिमटा भी लगाया। इसके बाद संगीता ने अपने पिता को फोन किया और उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

3. वारिस मिल जाए इसके लिए बहु को खिलाया हड्डियों का चूरा

ये घटना भी पुणे की है। 2019 में एक युवती की शादी हुई थी और तब से ही ससुराल वाले बच्चे के लिए जोर दे रहे थे। जब बच्चा नहीं हुआ तो 28 साल की युवती के ऊपर काला जादू किया गया। किसी महिला तांत्रिक को बुलाया गया और अमावस की रात उसे पानी में इंसानी हड्डियों का चूरा मिलाकर पीने को कहा गया।

उसे किसी झरने में ले जाकर नहाने को भी कहा गया।

4. पत्नी और दोनों बच्चों पर अंधविश्वास के चक्कर में किया चाकू से वार

राजकोट के एक नेपाली परिवार की घटना है। चौकीदारी करने वाले पति ने अपनी पत्नी, बेटे और बेटी पर चाकू से वार किया। अंधविश्वास के चलते तीनों पर हमला किया गया। बेटी की तो मौके पर ही मौत हो गई। पत्नी और बेटे को अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

बेटे ने भी अस्पताल में दम तोड़ दिया। आरोपी की पत्नी ने बयान दिया कि ये सब अंधविश्वास के चलते हुआ है। माताजी ने पति को आदेश दिया था कि आज पत्नी और बच्चों को मारना है। ऐसे में बिना सोचे-समझे पत्नी और बच्चों पर चाकू चला दी।

5. इलाज के लिए बागेश्वर धाम ले गया था पति

मध्यप्रदेश के शहडोल में रहने वाली नीलू उर्फ नीलम के पति देवेंद्र सिंह उसे बागेश्वर धाम ले गए। यहां किसी धार्मिक काम से नहीं बल्कि इलाज के लिए लाया गया था। नीलू काफी समय से किडनी की बीमारी से परेशान थी और इसके बाद जब उसकी हालत बिगड़ी तो पति उसे अस्पताल की जगह बागेश्वर धाम ले गया।

वहां पंडाल में अर्जी देने के लिए वो लाइन में खड़ी हुई और उसी दौरान बेहोश होकर गिर गई। अस्पताल जाने पर पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है। पति ने बताया कि पत्नी एक हफ्ते से यहां रह रही थी। तबियत बिगड़ने पर सन्यासी बाबा उसे भभूत से ठीक करते थे। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू-टोना के नाम पर लोगों को भ्रमित करने के आरोप लगते रहते हैं।

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अंधविश्वास के और भी कई मामले

नोएडा में होलिका दहन पर एक बच्ची की बली देने का मामला सामने आया था। नोएडा से किडनैप कर बच्ची को बागपत ले गए थे और वहां एक तांत्रिक उसकी बली देने वाला था। सिर्फ इसलिए कि आरोपी की शादी जल्दी हो जाए किसी तांत्रिक ने नरबलि देने की बात की।

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झारखंड के एक अस्पताल में युवती के घर वालों ने जादू-टोना शुरू कर दिया। युवती बीमार थी और उसे इलाज की जरूरत थी। अस्पताल में झाड़-फूंक होता देख वहां मौजूद चिकित्सकों ने इलाज करने से ही मना कर दिया।

कानपुर में एक शव को 1.5 साल तक घर में रखने का मामला सामने आया। घर वालों का ये मानना था कि उनका बेटा अभी उठेगा और उन्हें प्यार करेगा। इस चक्कर में झोलाछाप डॉक्टरों और अघोरियों को भी बुलाया गया। घर वालों ने 1.5 साल तक 30 लाख रुपये खर्च कर दिए ताकि उनका बेटा उठ खड़ा हो।

शहडोल में 3 महीने की बच्ची को 51 बार गर्म सलाखों से दागा गया। यहां दागना प्रथा सदियों से चल रही है। ऐसा माना जाता है कि इससे रोग दूर हो जाएगा। तांत्रिक इसे आज भी बहुत तरीकों से निभाते हैं।

भारत में इसके लिए बना है कानून

ये सारी घटनाएं ज्यादा पुरानी नहीं बल्कि फरवरी और मार्च के बीच की ही हैं। भारत में अंधविश्वास को लेकर बाकायदा कानून बना है। Anti-Superstition and Black Magic Act, 2013 के हिसाब से ये सब कुछ गैर-कानूनी है। पर कानून बनने के बाद भी नतीजे आपके सामने हैं।

ये कैसे समाज में जी रहे हैं हम जहां आए दिन अंधविश्वास के लिए लोग किसी की बली चढ़ाने से भी नहीं हिचकिचाते हैं। ये घटनाएं शायद आपके दिमाग पर घर कर जाएं। यहां सिर्फ पूजा-पाठ के नाम पर होने वाला अंधविश्वास नहीं बल्कि नर बलि की घटनाएं भी शामिल हैं। ये तो वो हैं जो नजर में आ गईं। ऐसी ही ना जाने कितनी घटनाएं तो रिपोर्ट भी नहीं की जाती हैं।

मैं फिर वही कहूंगी जो पहले कहा था। विश्वास अच्छा है, लेकिन अंधविश्वास नहीं। अगर आपके सामने भी ऐसा कुछ होता दिख रहा है तो उसके खिलाफ रिपोर्ट जरूर कीजिए।

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