दिल्ली के ऐसे कई कैफेज और रेस्तरां है, जो काफी अलग और यूनीक हैं। किसी का डेकोर, किसी की क्वर्की थीम या फिर खाना उन्हें अलग बनाता है। ऐसा ही एक कैफे है Echoes कैफे, जिसका अपना अलग अंदाज है। इस कैफे की खासियत यह है कि यहां का पूरा का पूरा स्टाफ Deaf और Mute लोगों से भरा है। इतना ही नहीं इस कैफे का डेकोर भी उन्हीं के मुताबिक रखा गया है। आइए जानें यह कैफे दिल्ली के कौन से इलाके में है।
सत्यानिकेतन में स्थित
दिल्ली का साउथ कैंपस कहा जाने वाला सत्यनिकेतन ऐसी जगह है जहां तमाम रेस्तरां और कैफेज हैं। यह रेस्तरां भी वहीं हैं। रेस्तरां में घुसते ही एक मुस्कुराता हुआ चेहरा आपका हाथ जोड़कर स्वागत करता है। मेन्यू कार्ड के साथ आपको नोटपेड मिलता है। हर व्यंजन का अलग कोड और साइन हैं। हर टेबल पर आपको प्लाकार्ड्स मिलेंगे। इसके साथ ही टेबल्स के ऊपर लटके लाइट बल्ब्स हैं, जिन्हें स्विच ऑन-ऑफ करके आप स्टाफ के किसी मेंबर को बुला सकते हैं।
कब हुई शुरुआत
इसे साल 2015 में दिल्ली में शुरू किया गया था। छह दोस्तों ने अपने पैशन पर काम किया। उन्हीं छह दोस्तों के दिमाग में Echoes का आइडिया आया। प्रतीक बबर, गौरव कंवर, शिवांश कंवर, साहिल गुलाटी, साहिब सरना, और क्षितिज बेहल वो चार दोस्त हैं। वो समाज में एक बदलाव लाना चाहते थे, इसलिए उन्हें लगा कि डिफरेंटली एब्लड लोगों को अपने साथ जोड़कर वे उन्हें रोजगार भी दे सकेंगे और समाज को एक मैसेज दे सकेंगे। इसी के साथ पहले सत्यनिकेतन और फिर हडसेन लेन में Echoes की शुरुआत हुई और आज इसके ब्रांचेज कई शहरों में हैं।
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डेकोर भी है एकदम अलग
हर रेस्तरां का अलग डेकोर होता है। उसी तरह इस रेस्तरां का डेकोर एकदम अलग और हटके है। Echoes का डेकोर भी एकदम अलग है, जिसे इन्हीं लोगों के मुताबिक तैयार किया गया है। सत्यनिकेतन के इस रेस्तरां की दीवारों पर साइन लैंग्वेज बनी हुई है और क्वर्की पिक्चर्स हैं। जो इसकी खूबसूरती और बढ़ाती है। सभी टेबल्स पर प्लाकार्ड्स रखे हुए हैं, जिनमें तरह-तरह के मैसेज लिखे हैं।
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ऑर्डर के लिए खास तकनीक
हर टेबल के ऊपर बल्ब लिखे हैं। जिसका स्विच टेबल के पास होता है, इसे दबाते ही वेटर को पता चलता है कि ग्राहक ऑर्डर करना चाहता है। जो लोग साइन लैंग्वेज नहीं समझते उनके लिए मेन्यू में हर डिश के सामने एक खास कोड नंबर लिखा है, जिसे ग्राहक ऑर्डर स्लिप पर लिखता है। जैसे अगर उन्हें पिज्जा ऑर्डर करना हो, तो वो मेन्यू से उसका कोड देख नोटपेड में लिख देंगे। और इस तरह ग्राहक और वेटर दोनों के लिए संवाद करना आसान हो जाता है।
कैसे किया लोगों को ट्रेन
Echoes के ओनर्स नोएडा के एक डेफ सोसाइटी स्कूल में गए और तब उन्होंने अपने रेस्तरां के लिए लोगों को चुना। उन्हें पूरी ट्रेनिंग दी गई। किस तरह काम करना है, चीजों को कैसे संभालना है, यह सब बताया गया। चूंकि लैंगवेज एक बैरियर थी तो प्रतीक और उनके साथियों को भी इसमें समय लगा। तरह-तरह के रिसोर्सेज से डेफ लोगों की मदद की गई। इसके साथ ही उनके साथ एक आदमी जरूर होता था।
शेक्स के लिए फेमस है Echoes
सत्यनिकेतन ऐसी जगह है, जो स्टूडेंट्स से घिरा हुआ है, इसलिए उन्हें देखते हुए कैफे में कॉन्टिनेंटल, इटली, मैक्सिकन, चाइनीज और अमेरिकी व्यंजनों को शामिल किया गया है। यहां के थिक शेक स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय है। यह जगह स्टूडेंट्स के साथ ही कई लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है।
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Image Credit : Freepik images
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